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भारत-पाकिस्तान में आई बाढ़ के लिए जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार

५ सितम्बर २०२५

साल 2024 में अकेले एशिया में ही 167 प्राकृतिक आपदाएं आईं, जो सारे महाद्वीपों में सबसे ज्यादा है. विशेषज्ञ कहते हैं कि एशियाई देशों को प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए अपनी तैयारी बेहतर करने की जरूरत है.

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जम्मू-कश्मीर में बाढ़ के पानी में डूबे हुए घर
बाढ़ से पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैंतस्वीर: Waseem Andrabi/Hindustan Times/Sipa USA/picture alliance

लगातार हो रही मॉनसून की बारिश के चलते उत्तर भारत में भीषण बाढ़ के हालात बन गए हैं और भूस्खलन की कई घटनाएं भी हो रही हैं. सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, इन घटनाओं में करीब 90 लोगों की मौत हो चुकी है और लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा है. भारत के हिमालयी क्षेत्र में स्थित उत्तराखंड, हिमाचल-प्रदेश और जम्मू-कश्मीर को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.

इनके अलावा, पंजाब में भी बाढ़ ने जमकर तबाही मचाई है. राज्य के सभी 23 जिलों के 1,400 से ज्यादा गांव बाढ़ की चपेट में आए हैं. तीन लाख से ज्यादा लोग भारी बारिश और बाढ़ की वजह से प्रभावित हुए हैं. पंजाब की बड़ी आबादी खेती पर निर्भर रहती है. बाढ़ के चलते, करीब 1.5 लाख हेक्टेयर खेत पानी में डूब गए हैं और फसलें बर्बाद हो गई हैं.

पड़ोसी देश पाकिस्तान में अधिकारियों ने बताया है कि 10 लाख से अधिक लोगों को बाढ़ग्रस्त इलाकों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. पाकिस्तान के पूर्व में स्थित पंजाब प्रांत में बाढ़ ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है. जून के आखिर में मानसून की शुरुआत से लेकर अब तक पाकिस्तान में बाढ़ के चलते 800 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

बाढ़ग्रस्त इलाके से लोगों को बचाकर ले जाती टीमें
पाकिस्तान की कई नदियां उफान पर आ गई हैंतस्वीर: Jahan Zeb/AP Photo/picture alliance

जलवायु परिवर्तन हो सकती है प्रमुख वजह

दक्षिण एशियाई क्षेत्र, दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है और यह जलवायु परिवर्तनों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील भी है. विशेषज्ञ कहते हैं कि अब बारिश संबंधी आपदाएं ज्यादा आ रही हैं और उनकी तीव्रता भी बढ़ रही है, ऐसे में इस क्षेत्र को इन आपदाओं से निपटने के लिए अपनी तैयारी बेहतर करनी होगी.

विशेषज्ञों का कहना है कि मॉनसून की अनिश्चितता के पीछे जलवायु परिवर्तन एक प्रमुख कारण हो सकता है. वे कहते हैं कि मानव-जनित जलवायु परिवर्तन दक्षिण एशिया के मॉनसून को तीव्र कर रहा है. पहले जिन बारिशों का अनुमान लगाया जा सकता था, वे अब अनियमित हो गई हैं. कई बार बेहद कम समय के भीतर, बहुत अधिक बारिश होती है और बाद में सूखा पड़ जाता है.

अंजल प्रकाश हैदराबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर हैं और कई जलवायु रिपोर्टों के लेखक भी हैं. उन्होंने न्यूज एजेंसी एपी से कहा, "अब हम एक गर्म दुनिया में रह रहे हैं, जो औद्योगिक काल से पहले की तुलना में लगभग 1.5 डिग्री अधिक गर्म है." वे यह भी कहते हैं कि भविष्य में अत्यधिक बारिश की घटनाओं की संख्या और तीव्रता में बढ़ोतरी ही होगी.

वे बताते हैं कि तेजी से हो रहे शहरीकरण, जंगलों की कटाई और उचित योजना के बिना खड़े किए गए बुनियादी ढांचे ने बाढ़ की स्थिति और गंभीर कर दी है. उन्होंने आगे कहा, "पानी निकलने की प्राकृतिक प्रणालियां नष्ट हो गई हैं. नदियों का कुप्रबंधन हो रहा है. जब भारी बारिश और ऐसी कमजोरियां आपस में मिलती हैं तो आपदाओं का टालना नामुमकिन हो जाता है.”

भविष्य की तैयारियों पर भी सवाल

अक्षय देवरस ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग में मौसम विज्ञानी हैं. उन्होंने एक दशक से अधिक समय तक भारतीय मौसम प्रणालियों पर नजर रखी है. वे भी अत्यधिक बारिश की घटनाओं में जलवायु परिवर्तन की भूमिका को स्वीकार करते हैं.

उन्होंने न्यूज एजेंसी एपी से कहा, "अगर बारिश समान रूप से बंटी हुई होती है तो आप पर उतना प्रभाव नहीं पड़ता है. लेकिन मान लीजिए कि अगर पूरे महीने की बारिश, कुछ घंटों या कुछ दिनों में ही हो जाती है तो उससे समस्याएं पैदा होती हैं. फिलहाल, हम यही होता देख रहे हैं.”

इमरजेंसी इवेंट्स डेटाबेस के मुताबिक, साल 2024 में अकेले एशिया में ही 167 आपदाएं आई थीं, जो किसी भी महाद्वीप के लिए सबसे ज्यादा है. शोधकर्ताओं ने पाया कि तूफान, बाढ़, लू और भूकंप की घटनाओं के कारण 32 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ.

अक्षय देवरस कहते हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़नी तय है इसलिए "देशों को इनसे निपटने के लिए अधिक तैयारी करने की जरूरत है.” वे आगे चिंता जताते हुए कहते हैं कि फिलहाल "भारत में इस बारे में कोई स्पष्ट दृष्टिकोण नहीं है कि भविष्य में इन चीजों को कैसे संभाला जाएगा.”

आदर्श शर्मा
आदर्श शर्मा डीडब्ल्यू हिन्दी के साथ जुड़े आदर्श शर्मा भारतीय राजनीति, समाज और युवाओं के मुद्दों पर लिखते हैं.