18,000 विदेशियों को निकालने की तैयारी में पुर्तगाल
४ मई २०२५पुर्तगाल में 18 मई को मध्यावधि चुनाव के लिए मतदान होना है. चुनाव से ठीक पहले देश के 'मिनिस्टर ऑफ द प्रेजिडेंसी' अंतोनियो लेइतो अमारो ने बताया कि सरकार लगभग 18,000 लोगों को देश छोड़कर जाने का आदेश देगी. इसके लिए नोटिफिकेशन जारी किए जाएंगे.
मंत्री के मुताबिक, यह कार्रवाई अनियमित तरीके से रह रहे लोगों पर केंद्रित है. यह कार्रवाई आगामी हफ्ते में शुरू होगी. शुरुआत में करीब 4,500 विदेशियों को स्वेच्छा से देश छोड़कर जाने का आदेश दिया जाएगा. पुर्तगाल छोड़ने के लिए उन्हें 20 दिन की मोहलत दी जाएगी.
आप्रवसान बड़ा मुद्दा
पुर्तगाल में आप्रवासन बड़ा मुद्दा है. अनियमित तरीके से देश में दाखिल होने वाले लोगों को डिपोर्ट करने की व्यवस्था चाक-चौबंद बनाने की भी मांग उठ रही है. 'यूरो न्यूज' के मुताबिक, अंतोनियो लेइतो अमारो ने पिछले हफ्ते भी यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि पुर्तगाल का डिपोर्टेशन सिस्टम कारगर नहीं है और इसकी समीक्षा किए जाने की जरूरत है.
उन्होंने कहा था कि पुर्तगाल उन तीन यूरोपीय देशों में है, जहां सबसे कम संख्या में लोगों को डिपोर्ट किया जाता है. उनके मुताबिक, ये ऐसे लोग हैं जिन्हें नियमों का उल्लंघन करने पर देश छोड़ने का आदेश दिया जाता है.
पुर्तगाल में भी धुर-दक्षिणपंथ का बढ़ता जनाधार
यूरोप के कई अन्य देशों की तरह पुर्तगाल में भी धुर-दक्षिणपंथ मजबूत हो रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक धुर-दक्षिणपंथ, राष्ट्रवाद और लोक-लुभावनवाद की भावना मजबूत होने से राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर पड़ रहा है. मार्च 2024 में हुए चुनाव में धुर-दक्षिणपंथी शेगा पार्टी का जनाधार बढ़ा और 18 फीसदी वोटों के साथ वह पुर्तगाल की तीसरी बड़ी पार्टी बन गई.
साल 2019 में गठित हुई इस पार्टी ने बहुत तेजी से आधार बढ़ाया है. इसके नेता आंद्रे वेंतुरा पर नस्लवाद और इस्लामोफोबिया के आरोप लगते रहे हैं. 'पॉलिटिको' मैगजीन के मुताबिक, एक राजनीतिक ताकत के तौर पर वेंतुरा के उभार का संबंध उनके द्वारा दिए जाने वाले कई उग्र प्रस्तावों से भी हो सकता है. मसलन, साल 2020 में शेगा पार्टी एक विधेयक लाई जिसमें यौन अपराध, खासतौर पर बच्चों के साथ ऐसे अपराध में लिप्त लोगों को नपुंसक बनाने (केमिकल कैस्ट्रेशन) की सजा का प्रस्ताव था. देश की 'सुपीरियर काउंसिल ऑफ जूडिशरी' ने फैसला सुनाया कि यह प्रस्ताव संविधान का उल्लंघन करता है.
राजनीतिक अस्थिरता
शेगा पार्टी आप्रवासन नीति को सख्त बनाने की भी मांग करती है. आलोचकों का आरोप है कि शेगा आप्रवासी और एलजीबीटीक्यू विरोधी है. उस पर रोमा समुदाय को निशाना बनाने के भी आरोप लगते हैं.
कई विश्लेषकों का यह भी मानना है कि धुर-दक्षिणपंथ के मजबूत होने की एक वजह राजनीतिक अस्थिरता भी है. 18 मई को हो रहा चुनाव पिछले तीन साल में हो रहा तीसरा मध्यावधि चुनाव है. इसके अलावा देश की दोनों बड़ी पार्टियों, सोशलिस्ट पार्टी (पीएस) और सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी (पीएसडी) पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं. ऐसे में शेगा का मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था बदलने का वादा कई लोगों को आकर्षक लगता है.