जर्मनी के बड़े एयरपोर्ट बंद, कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द
१४ मार्च २०२२सोमवार को जर्मनी से आने जाने वाले यात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी. जर्मनी के श्रमिक संगठन, वरडी ने देश के आठ बड़े हवाई अड्डों में एक दिन की हड़ताल की थी. श्रमिक संगठन करीब 25 हजार कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी और काम की बेहतर स्थितियों की मांग कर रहा है.
समाचार एजेंसी डीपीए से वरडी संगठन ने कहा कि कोलोन/बॉन हवाई अड्डे पर रात में ही काम बंद कर दिया गया. इसके अलावा ड्यूसलडॉर्फ, बर्लिन-ब्रांडनबुर्ग, ब्रेमेन, हनोवर और लाइपजिग हवाई अड्डों पर भी हड़ताल है. श्रमिक संगठन जर्मनी के सबसे बड़े हवाई अड्डों- फ्रैंकफर्ट और म्यूनिख में भी आंशिक रूप से काम बंद कराने में सफल रहा.
संगठन के मुताबिक, उनके और देश में हवाई सुरक्षा मुहैया कराने वाली कंपनियों के संगठन बीडीएलएस के बीच तीन दौर की बातचीत हो चुकी है. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया.
कितनी उड़ानें रद्द हुईं?
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, बॉन-कोलोन एयरपोर्ट से 94 उड़ानें रद्द हुई हैं. देश के सबसे बड़े एयरपोर्ट फ्रैंकफर्ट के संचालकों ने यात्रियों से एयरपोर्ट पर नहीं आने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि हड़ताल के मद्देनजर फ्लाइट मिलने की गुंजाइश नहीं है. फ्रैंकफर्ट में आज कल हर रोज करीब 750 उड़ानें आती-जाती हैं. बर्लिन एयरपोर्ट के संचालकों ने भी कहा है कि उड़ानें रद्द या फिर देरी से चल सकती हैं. इसलिए आने से पहले एयरलाइनों से संपर्क कर लें.
क्या हैं मांगें?
श्रमिक संगठन सुरक्षा कर्मियों के वेतन में 1 यूरो प्रति घंटे का इजाफा करने की मांग कर रहा है. संगठन की मांग है कि जिन कर्मचारियों पर सामान और स्टाफ की सुरक्षा का जिम्मा होता है, उनकी तनख्वाह यात्रियों की सुरक्षा जांच करने वाले कर्मियों के बराबर की जाए. इसके अलावा उड़ानों की निगरानी और कागजात जांचने का जटिल काम करने वाले कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तनख्वाह के मानक बनाए जाएं. वरडी संगठन की ओर से मध्यस्थता कर रहे वोल्फगांग पीपर ने कहा कि उड्डयन सुरक्षा का काम आर्थिक लिहाज से आकर्षक बना रहना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञों को तुरंत नौकरी पर रखा जा सके.
सुरक्षा कंपनियों का पक्ष
दूसरी तरफ बीडीएलएस का कहना है कि हम मार्च की शुरुआत में ही बढ़ोतरी के दो प्रस्ताव दे चुके हैं. लेकिन हर बार बात के बाद वरडी ने नई मांगें रखी हैं. तनख्वाह में बढ़ोतरी के प्रस्ताव से बड़ा आर्थिक असर होगा. इसलिए सुरक्षा कंपनियां चाहती हैं कि जो ढांचागत बदलाव किए जाने हैं, वो पहले हों और फिर ज्यादा तनख्वाह पर बात की जाए. दोनों संगठनों के बीच अगले दौर की बातचीत 16 और 17 मार्च को बर्लिन में होगी.
यात्रियों की मुश्किल
इस हड़ताल का सबसे ज्यादा असर अंतरराष्ट्रीय यात्रियों पर पड़ रहा है. कोविड की वजह से इस वक्त आम दिनों के मुकाबले बहुत कम अंतरराष्ट्रीय उड़ानें उपलब्ध हैं. यूक्रेन युद्ध और अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम बढ़ने से टिकट का दाम बढ़ गया है. उड़ान रद्द होने से दोबारा टिकट खरीदना ग्राहकों के लिए बहुत मुश्किल साबित हो रहा है. युद्ध शुरू होने से पहले बर्लिन से मुंबई का राउंड ट्रिप करीब 550 यूरो में बुक किया जा सकता था, लेकिन अब उसी के लिए 1200 यूरो से ज्यादा खर्च करने होंगे.
आरएस/एनआर (डीपीए/रॉयटर्स)