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पेरिस एआई समिट में छा सकता है चीन का एआई मॉडल डीपसीक

१० फ़रवरी २०२५

तीसरी बार हो रहे एआई शिखर सम्मेलन में चीन और डीपसीक की चर्चा अहम होगी. इस सम्मेलन की सह-अध्यक्षता भारत कर रहा है.

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पेरिस एआई एक्शन समिट 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 और 11 फरवरी पेरिस में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों के साथ एआई एक्शन समिट 2025 की सह-अध्यक्षता कर रहे हैंतस्वीर: Michel Euler/AP/dpa/picture alliance

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 और 11 फरवरी पेरिस में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों के साथ एआई एक्शन समिट 2025 की सह-अध्यक्षता कर रहे हैं. यह आमंत्रण सीधा फ्रांस से भारत के लिए आया. इस समिट में कई टेक सीईओ भी शामिल होंगे. यह सम्मेलन इसलिए भी अहम है क्योंकि इसमें एआई पर गहन चर्चा होगी.

फ्रांस के लिए भारतीय राजदूत संजीव सिंगला के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी मार्से में भारत के कॉन्सुलेट का उद्घाटन करेंगे और साथ ही अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (आईटीईआर) की साइट का दौरा करेंगे. यह एक बड़ी विज्ञान परियोजना है और भारत इसका अहम हिस्सा है.

क्या है शिखर सम्मेलन का महत्व

एआई पर हो रहे सम्मेलनों में से यह सबसे हालिया सम्मेलन है. 2023 में युनाइटेड किंग्डम में यह सम्मेलन पहली बार हुआ था और पिछले साल दक्षिण कोरिया के सोल में छोटे तौर पर एक बैठक आयोजित की गई थी. इस बार अनुमान है कि सम्मेलन का सबसे बड़ा मुद्दा रहेगा, सस्ते और आधुनिक चीनी फाउंडेशन मॉडल पर बना डीपसीक एआई, जिसने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में हलचल मचा दी है.

इस बार इस चर्चा में ज्यादा देशों को न्योता गया है और पिछली बैठकों की तरह इस बार ऐसे कोई भी नियम कानून पारित नहीं होंगे जिन्हें मानना अनिवार्य होगा. इस बार खुली चर्चा होगी. ला प्रोवेंस अखबार के अनुसार, माक्रों ने कहा, "शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब कई लोग खुद को अंतरराष्ट्रीय मुकाबले में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. यह इस खेल के नियमों को स्थापित करने के बारे में है. एआई को खुला अखाड़ा नहीं बनाया जा सकता.”

पेरिस शिखर सम्मेलन के तीन जरूरी लक्ष्य हैं: लोगों को स्वतंत्र, सुरक्षित और विश्वसनीय एआई उपलब्ध कराना, ऐसा एआई विकसित करना जो पर्यावरण के अनुकूल हो, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित कानून और नियंत्रण सुनिश्चित करना जो प्रभावी और समावेशी दोनों हो.

डीपसीक एआई
डीपसीक को बनाने वाली कंपनी का दावा है कि उनका एआई मॉडल मौजूदा एआई मॉडलों से काफी सस्ता हैतस्वीर: Frank Rumpenhorst/dpa/picture alliance

डीपसीक पर ही बात क्यों?

जब डीपसीक लॉन्च हुआ था तब अमेरिका के शेयर बाजार में अफरा तफरी मच गई थी . डीपसीक को बनाने वाली कंपनी का दावा है कि उनका एआई मॉडल मौजूदा एआई मॉडलों से काफी सस्ता है. लॉन्च होने के तुरंत बाद ही एप्पल स्टोर पर डीपसीक एआई असिस्टेंट की डाउनलोड संख्या ने एआई की दुनिया के सबसे प्रसिद्ध असिस्टेंट चैट जीपीटी को भी पीछे छोड़ दिया.

डीपसीक के आने से अमेरिकी कंपनी चिप निर्माता एनविडिया, जो एआई मार्केट में अब तक सबसे ऊपर थी, उसे डीपसीक के आने से शेयर बाजार में 593 अरब अमेरिकी डॉलर गंवाने पड़ गए. यह वॉल स्ट्रीट पर किसी भी कंपनी के लिए एक दिन का सबसे बड़ा रिकॉर्ड नुकसान था.

जिस रफ्तार से डीपसीक की प्रसिद्धि बढ़ रही है, उससे कई देश हैरान हैं और कई ने तो अपने अपने देशों में इस पर रोक भी लगा दी है. दरअसल डीपसीक लोगों का जो डेटा इस्तेमाल करेगा, सरकारों को शंका है कि उन्हें कहीं खुफिया एजेंसियों को बेच तो नहीं दिया जाएगा.

क्या एआई से हो सकती हैं गलतियां?

चीन, डीपसीक और उसकी लागत

अब तक एआई जगत की अमूमन सभी बड़ी कंपनियां अमेरिकी ही हैं : चाहे वह ओपन एआई हो, माइक्रोसॉफ्ट  हो या गूगल. यही कंपनियां अब तक एआई पर हो रही चर्चा के केंद्र में थीं जिनके इर्द-गिर्द ही कानून और नियामक बनते. ये सभी कंपनियां चिप निर्माता एनविडिया से अपनी चिप सोर्स कराती हैं जो चिप मार्केट में एक बड़ा नाम है.

लेकिन, किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि एक चीनी एआई  लैब साल की शुरुआत में ही डीपसीक एआई को लॉन्च कर देगी, वो भी एक ओपन-सोर्स मॉडल के रूप में. डीपसीक ने मौजूदा एआई मॉडल को चुनौती तो दी है, साथ ही प्रतिबंधों के बावजूद लैब ने लगभग 60 लाख डॉलर की लागत से ही अपने मॉडल को ट्रेन किया. यह पैसा ओपन एआई द्वारा अपने मॉडल को प्रशिक्षण देने में लगाई गई लागत का केवल एक छोटा सा हिस्सा था.

और सबसे बड़ी बात है डीपसीक का ओपन सोर्स होना. इसमें डिवेलपर को पूरी आजादी होगी पिछले कोड के ऊपर कोडिंग करने की और उसे आगे ले जाने की. इस वजह से लोग शायद डीपसीक को ज्यादा तवज्जो दें.
 

डीपसीक का आना महंगा है लेकिन सही भी

डीपसीक के डर ने कई देशों को साथ लाकर खड़ा कर दिया है. अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वैंस शिखर सम्मेलन में रहेंगे. ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन, माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष ब्रैड स्मिथ और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई भी शामिल होंगे. ये सभी अमेरिका से हैं. चीन की तरफ से उप प्रधानमंत्री झांग गुओकियांग बैठक में हिस्सा लेंगे.

देखा जाए तो डीपसीक का आना कई देशों के लिए अच्छा साबित हो सकता है. इस मॉडल से पता चला है कि बेतहाशा महंगे और एडवांस हार्डवेयर या ढेर सारे पैसे के बिना भी एआई को प्रशिक्षण दिया जा सकता है.

भारत और एआई मॉडल प्रशिक्षण

फिलहाल भारत सरकार ने 18,693 ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट बनाने का फैसला किया है जिन्हें जीपीयू कहा जाता है. इनकी आपूर्ति करने के लिए 10 कंपनियों का चयन किया है जो एक मूलभूत मॉडल विकसित करेंगे. भारत ने इंडिया एआई मिशन में एक स्वदेशी डोमेस्टिक लार्ज लैंग्वेज मॉडल यानी एलएलएम बनाने का फैसला किया है और उन कंपनियों से प्रस्ताव मांगे हैं जो मॉडल बनाना चाह रहे हैं.

यह बैठक भारत द्वारा विकसित किए जा रहे  एआई मॉडल की रफ्तार को बढ़ावा दे सकती है, साथ ही मॉडल को ज्यादा प्रभावी और सस्ता बनाने में भी मदद कर सकती है.

इसके अलावा, भारतीय प्रधानमंत्री और माक्रों भारत-फ्रांस सीईओ फोरम को संबोधित भी करेंगे और प्रथम विश्व युद्ध के दौरान शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए मार्से में मजार्ग युद्ध कब्रिस्तान का दौरा भी करेंगे.