पाकिस्तान में बाढ़, जिंदा बचे शख्स ने कहा "ऐसा लगा जैसे मौत घूर रही हो"
पाकिस्तान में मूसलाधार बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ ने कम-से-कम 344 लोगों की जान ले ली. अब भी कई शव मलबे में दबे हैं. मॉनसून जरूरत भी है, और कहर भी.
ये मौतें 48 घंटे के भीतर हुईं
बाढ़ और भारी बरसात के कारण कई घर ढह गए. मौत का बड़ा कारण यही बना. बचावकर्मियों के लिए मलबे में फंसे शवों को निकालना मुश्किल हो रहा है. प्रभावित इलाके के एक शख्स ने बताया, "मैंने जोर की एक आवाज सुनी, मानो पहाड़ खिसक रहा है. ऐसा लगा जैसे मौत मुझे घूर रही हो."
"मानो दुनिया का अंत हो"
सबसे ज्यादा 324 मौतें, खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हुई हैं. एक स्थानीय निवासी ने बाढ़ की भीषण स्थिति का ब्योरा देते हुए समाचार एजेंसी को बताया कि पानी के जोर से धरती कांप गई, "ऐसा महसूस हुआ मानो दुनिया का अंत हो." एक अन्य ग्रामीण अब्दुल खान ने कहा, "अब भी लोग मलबे के नीचे दबे हैं. जो लोग बह गए, उन्हें दरिया में नीचे की ओर खोजा जा रहा है."
मलबे में दबे हैं शव
प्रशासन ने बताया कि करीब 2,000 बचावकर्मियों को तैनात किया गया है और मलबों से शव निकालने का काम जारी है. इसके अलावा नौ जिलों में बचाव कार्य चालू है.
दूर-दराज के प्रभावित इलाकों में मदद पहुंचाना बड़ी चुनौती
खैबर पख्तूनख्वा में बचाव एजेंसी के प्रवक्ता बिलाल अहमद फैजी ने एएफपी को बताया, "भारी बरसात, कई इलाकों में मिट्टी खिसकने-ढहने, और सड़कें बह जाने के कारण मदद पहुंचाने में बहुत चुनौतियां आ रही हैं, खासतौर पर भारी मशीनरी और एंबुलेंस ले जाने में."
लोग सुरक्षित जगह पर जाने को तैयार नहीं
बिलाल अहमद फैजी ने बताया कि सड़कें बंद होने के कारण दूर-दराज के कई प्रभावित इलाकों में बचावकर्मियां को पैदल जाना पड़ रहा है. जमीनी स्थिति बताते हुए उन्होंने कहा, "बचावकर्मी, बचे हुए लोगों को सुरक्षित जगह पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन बहुत कम लोग ही जा रहे हैं, क्योंकि या तो उनके रिश्तेदारों की मौत हो गई है या उनके परिजन मलबे में फंसे हैं."
सड़के बह गईं, मदद पहुंचाने के लिए नए रास्तों की तलाश
खैबर पख्तूनख्वा में कई जिलों को आपदा प्रभावित घोषित किया गया है. इनमें से ही एक, बुनेर जिला के डेप्युटी कमिश्नर ने बताया कि बचावकर्मी, मजबूरन दूरस्थ इलाकों तक पहुंचने के लिए नए रास्ते तलाश रहे हैं. उन्होंने कहा, "और भी लोग मलबे के नीचे फंसे हो सकते हैं. स्थानीय नागरिक हाथ से मलबा नहीं साफ करते हैं."
कई लोगों ने अपना सबकुछ, सारी जमापूंजी खो दी
आपदा में जो जिंदा बचे, उनमें से कई ऐसे हैं जिन्होंने अपना सबकुछ खो दिया है. बुनेर जिले के ही रहने वाले अब्दुल हयात ने बताया, "मेरी बेटी का दहेज, जिसकी कीमत करीब पांच लाख रुपये थी, बाढ़ में बह गया. हमारे पास अब पहनने के लिए कपड़े भी नहीं हैं, खाना भी बह गया."
जलवायु परिवर्तन की मार
मौसम विभाग ने उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान में भारी बारिश की संभावना के मद्देनजर चेतावनी जारी की है. भारत और पाकिस्तान, दोनों के लिए ही मॉनसून की अच्छी बारिश बहुत जरूरी है. लेकिन मॉनसून के साथ बाढ़ और जमीन खिसकने जैसी प्राकृतिक आपदाएं भी आती हैं. जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम अप्रत्याशित होता जा रहा है. चरम मौसमी घटनाओं की तीव्रता बढ़ती जा रही है.