पाकिस्तान ने की जांच में सहयोग की पेशकश
२६ अप्रैल २०२५पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने कहा है कि उनकी सेनाएं "देश की संप्रभुता की रक्षा करने के लिए” पूरी तरह तैयार हैं. कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के बाद भारत के आरोपों के बारे में शरीफ ने कहा कि वह निष्पक्ष जांच में सहयोग को भी तैयार हैं.
एबटाबाद में एक सैन्य अकादमी के कार्यक्रम में शरीफ ने कहा, "हमारी मुस्तैद सेनाएं किसी भी दुस्साहस के खिलाफ देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार हैं. ऐसा वे फरवरी 2019 में अपने नपे-तुले लेकिन स्पष्ट जवाब में दिखा भी चुकी हैं.”
साथ ही पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने जांच में सहयोग की भी पेशकश की. उन्होंने कहा, "पाकिस्तान किसी भी निष्पक्ष, पारदर्शी और भरोसेमंद जांच में हिस्सा लेने को तैयार है.”
निष्पक्ष जांच को तैयार
इससे पहले पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा कि इस हमले की अंतरराष्ट्रीय जांच होनी चाहिए और पाकिस्तान इसके लिए पूरी तरह से सहयोग को तैयार है.
भारत का कहना है कि इस हमले में पाकिस्तानी आतंकियों का हाथ है. भारत ने पिछले दो दिनों में 13 देशों के नेताओं को फोन पर इस बारे में जानकारी दी है, और विदेश सचिव विक्रम मिस्री के नेतृत्व में दिल्ली में 30 से ज्यादा राजनयिकों को ब्रीफ किया गया है. इन बैठकों में भारत ने तकनीकी और मानवीय इंटेलिजेंस, आंखों देखी गवाही और इलेक्ट्रॉनिक संकेतों के आधार पर बताया कि हमला पाकिस्तान से जुड़े तत्वों ने किया.
भारत ने बताया कि हमले की जिम्मेदारी जिस संगठन "कश्मीर रेजिस्टेंस" ने ली है, उसका सीधा संबंध पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से है. भारत का दावा है कि हमलावरों की पहचान हो चुकी है और उनके पाकिस्तान से आने, पहले भी आतंकी गतिविधियों में शामिल होने और लंबे समय से भारत में छिपे होने की पुष्टि हो चुकी है.
पाकिस्तान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि लश्कर-ए-तैयबा अब "बिल्कुल निष्क्रिय" है, उसका पाकिस्तान में कोई सेटअप नहीं है, और उसके बचे-खुचे सदस्य या तो नजरबंद हैं या पुलिस हिरासत में हैं. रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने आरोप लगाया कि भारत इस हमले को राजनीतिक फायदे और जल समझौते को निलंबित करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है.
भारत ने इस हमले के बाद सिंधु जल संधि को फिलहाल के लिए रोक दिया है और बदले में पाकिस्तान ने अपनी हवाई सीमा भारतीय विमानों के लिए बंद कर दी है.
दुनिया ने जताया समर्थन
इस तनाव के बीच दुनिया के कई नेताओं ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की और समर्थन जताया. शुक्रवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर और नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री डिक शोफ ने मोदी को फोन किया. स्टार्मर ने घटना को "डरावना" बताया और मृतकों के लिए संवेदना व्यक्त की. डच प्रधानमंत्री ने "कायराना हरकत" की कड़ी निंदा की और भारत के साथ खड़े रहने की बात कही.
इससे पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों, इस्राएल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू, इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी, जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा, मिस्र के राष्ट्रपति अल-सिसी, जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला, मॉरीशस के पीएम रामगुलाम, नेपाल के पीएम ओली, ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अल्बनीजी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भी मोदी से बात की.
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा, "मैं भारत के भी बहुत करीब हूं और पाकिस्तान के भी बहुत करीब हूं, और वे कश्मीर में हजार साल से लड़ते आ रहे हैं. कश्मीर का मुद्दा हजार साल से चल रहा है, शायद उससे भी ज्यादा समय से. वह (आतंकी हमला) एक बहुत बुरा मामला था. उस सीमा पर 1,500 साल से तनाव बना हुआ है. स्थिति हमेशा से ऐसी ही रही है, लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि वे किसी ना किसी तरीके से इसे सुलझा लेंगे. मैं दोनों नेताओं को जानता हूं. पाकिस्तान और भारत के बीच भारी तनाव है, लेकिन हमेशा से ऐसा ही रहा है."
पहलगाम में 26 पर्यटकों की जान गई. भारत ने विदेशी सरकारों को यह भरोसा दिलाया है कि देश पर्यटकों के लिए सुरक्षित है, और यात्रा चेतावनियों की कोई जरूरत नहीं है. हालांकि अमेरिका और ब्रिटेन ने अब तक यात्रा को लेकर एडवाइजरी जारी की है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को सऊदी अरब, इस्राएल, नेपाल, मिस्र और अर्जेंटीना के राजदूतों से मुलाकात कर भारत की स्थिति स्पष्ट की और पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग करने की दिशा में कूटनीतिक प्रयास जारी रखे.
भारत का साफ कहना है कि वह इस "क्रूर आतंकी हमले” के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराने के पर्याप्त सबूत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने रख चुका है. पाकिस्तान की ओर से सहयोग की पेशकश और भारत की कूटनीतिक सख्ती के बीच अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका अहम मानी जा रही है.