2012 के बाद बांग्लादेश पहुंचे पाकिस्तानी विदेश मंत्री
२३ अगस्त २०२५पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार, शनिवार को बांग्लादेश की राजधानी ढाका पहुंचे. 2012 के बाद यह पहला मौका है जब पाकिस्तान का कोई इतना बड़ा नेता ढाका पहुंचा है. भारत के पूर्वी और पश्चिमी पड़ोसी देशों को उम्मीद है कि दोनों के बीच कई आपसी समझौते होंगे. इसी कड़ी में रविवार को व्यापार समझौता होने की उम्मीद है. पाकिस्तानी विदेश मंत्री डार का कहना है कि वह बांग्लादेश की सत्ता संभाल रहे अंतरिम नेता, मोहम्मद यूनुस से भी मुलाकात करेंगे.
कितनी तेजी से करीब आ रहे हैं पाकिस्तान और बांग्लादेश
नई दिल्ली के अपने इन दोनों पड़ोसियों के साथ रिश्ते खराब चल रहे हैं. ढाका के साथ भारत के संबंध अगस्त 2024 में तत्कालीन बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से खट्टे हैं. वहीं पाकिस्तान के साथ पहले से ठंडे पड़े रिश्ते, अप्रैल में हुए पहलगाम हमले और फिर मई में दोनों देशों के बीच छिड़े सैन्य संघर्ष के बाद बहुत ही नाजुक हो चले हैं. ऐसे में विश्लेषकों का कहना है कि डार के इस दौरे पर भारत की भी पैनी नजर रहेगी.
दक्षिण एशिया पर नजर रखने वाले अमेरिकी विश्लेषक माइकल कूगलमान कहते हैं, "अपने पड़ोस में बांग्लादेश भारत का सबसे करीबी साझेदार रहा है, और अब यह भारत के मुख्य प्रतिद्वंद्वी के साथ मीठी मीठी बातें कर रहा है."
शेख हसीना के देश छोड़ने पर भारत में शरण लेने के बाद से ही बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच समुद्री व्यापार शुरू हो चुका है. फरवरी में दोनों देशों ने सरकारों के बीच व्यापारिक रिश्ते बढ़ाने का एलान भी किया. डार से पहले गुरुवार को पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्री जाम कमाल खान ने ढाका में दोनों देशों के बीच कारोबार और निवेश को बढ़ाने के लिए ज्वाइंट कमीशन के गठन पर सहमति भी जताई. इसके बाद शुक्रवार को पाकिस्तान में दोनों देशों के शीर्ष सैन्य कमांडरों की मुलाकात भी हुई.
बांग्लादेश में सत्ता बदली, विदेश नीति बदली
बांग्लादेश कभी पाकिस्तान का हिस्सा हुआ करता था और 1971 से पहले उसे पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था. 1971 में बांग्लादेश, पाकिस्तान से अलग होकर एक नया देश बना. पाकिस्तान की सेना पर पूर्वी पाकिस्तान के नेताओं और आम लोगों पर बर्बर अत्याचार के आरोप लगते हैं. बांग्लादेश का कहना है कि आजादी के संघर्ष के दौरान लाखों लोग मारे गए. ढाका के कई लोग आज भी पाकिस्तान से इन हत्याओं के लिए माफी मांगने को कहते हैं.
लेकिन अब सत्ता में आए मोहम्मद यूनुस, शेख हसीना को शरण देने की वजह से भारत पर बिफरे हुए हैं. युनूस आरोप लगा रहे हैं कि भारत, शेख हसीना को गंभीर अपराधों के मुकदमों में बचाकर न्याय में बाधा डाल रहा है. हसीना पर 2024 में बांग्लादेश में भड़के छात्र आंदोलन को बलपूर्वक दबाने के आरोप हैं. आरक्षण के मुद्दे पर शुरू हुआ ये आंदोलन बाद में इतना बड़ा हो गया कि इसमें बड़ी संख्या में आम लोग और दूसरी राजनीतिक पार्टियां भी शामिल हो गईं. अंत में शेख हसीना को जान बचाने के लिए आनन फानन में भारत भागना पड़ा.
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के थोमास कीन कहते हैं, "शेख हसीना का गिरना भारत के लिए एक रणनीतिक धक्का था, और बांग्लादेश और पाकिस्तान के बेहतर होते संबंध उनके सत्ता से बेदखल होने का नतीजा हैं."
बांग्लादेश शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग पर प्रतिबंध लगा चुका है. देश में फरवरी 2026 में आम चुनाव होने हैं. ढाका का आरोप है कि भारत अब भी आवामी लीग का समर्थन कर रहा है. वहीं भारत का कहना है कि वह, "अपनी जमीन से दूसरे देश के खिलाफ किसी राजनीतिक गतिविधि को इजाजत नहीं देता है."