पाक सेना के खिलाफ बोलने वाला मानवाधिकार कार्यकर्ता गिरफ्तार
२७ जनवरी २०२०पाकिस्तान की पुलिस ने पश्तून संरक्षण आंदोलन के नेता को सोमवार सुबह गिरफ्तार कर लिया है. मंजूर पश्तीन के अलावा छह और लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है. पाकिस्तान के पेशावर प्रांत में तड़के डाले गए छापे के दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया है.
स्थानीय पुलिस अधिकारी जावेद खान का कहना है कि पश्तीन को सरकार विरोधी बयान देने और हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. 27 साल के पश्तीन, पश्तून संरक्षण आंदोलन का नेतृत्व करते हैं और देश के पश्तून अल्पसंख्यकों के मुद्दे उठाते हैं. उनकी रैलियों में दसियों हजारों की भीड़ जुटती है. पश्तून समूहों का कहना है कि अफगानिस्तान से सटे बीहड़ सीमा क्षेत्र में इस्लामी आतंकियों से लड़ाई के दौरान सेना उन्हें डराना चाहती है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा के इस इलाके में पश्तून और कबायली लोग रहते हैं.
पश्तून समूहों का कहना है कि सेना इलाके में भारी बलपूर्ण रणनीति अपनाती है. वे सेना पर एनकाउंटर और हजारों लोगों को गुम कराने और हिरासत में रखने का आरोप लगाती आई है.
इस समूह के सदस्य और सांसद मोहसिन दावर ने पश्तीन की गिरफ्तारी की पुष्टि की है. उन्होंने समाचार एजेंसी एपी को बताया कि पश्तीन को सरकार विरोधी रैलियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
पश्तीन के समर्थकों ने सोशल मीडिया पर उनकी गिरफ्तारी का विरोध किया जबकि कुछ अन्य लोगों ने इसे "गद्दार" का गिरफ्तार होना बताया. मानवाधिकार कार्यकर्ता अफरासियाब खट्टक ने पश्तीन की गिरफ्तारी का विरोध किया है, उनका कहना है, "पश्तूनों के खिलाफ यह औपनिवेशिक किस्म की दमनकारी नीति को उजागर करता है."
पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता गुलालई इस्माइल ने ट्वीट किया, "हम पश्तून, हमारे नेता की गिरफ्तारी के मद्देनजर अहिंसक रहेंगे." इस्माइल पिछले दिनों सेना की कथित ज्यादती को लेकर देश छोड़कर चली गईं थी. उन्होंने सेना पर परेशान करने का आरोप लगाया था. गुलालई ने ट्वीट में लिखा: "शांतिपूर्ण प्रतिरोध" आंदोलन का प्रमुख स्तंभ है. गुलालई लंबे समय से पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के कथित जुल्मों के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं.
पाकिस्तानी सेना पर तालिबान आतंकियों को ढूंढने के लिए पश्तून इलाके में अंधाधुंध बल प्रयोग करने का आरोप लगता है. कबायली इलाके में पश्तूनों की घनी आबादी है. आरोप है कि पाकिस्तानी सेना ने संदिग्ध आतंकियों के परिवार के सदस्यों के घरों पर बुलडोजर चला दिया और आतंकी हमले के लिए पूरे गांव को सामूहिक सजा दी.
2018 में 27 साल के नकीबुल्ला मेहसूद के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के बाद इस समूह का गठन हुआ था. नकीबुल्ला पश्तून समुदाय से था और वह मॉडलिंग करना चाहता था. कबायली इलाके में सेना के ऑपरेशन के बाद कई विस्थापित पश्तूनों को पुनर्स्थापित किया जा चुका है. पाकिस्तान की कुल आबादी में 15 फीसदी हिस्सा पश्तूनों का है.
एए/आरपी (एपी)
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