न्यूयॉर्क ने छेड़ी चूहों के खिलाफ जंग
न्यूयॉर्क की सड़कों, गलियों और सब-वे से लेकर तमाम जगहों पर चूहों का आतंक फैला हुआ है. चूहों के डर से लोग अपने बच्चों को फुटपाथ पर चलने देने से भी डर रहे हैं. शहर ने चूहों के खिलाफ अत्याधुनिक तकनीक से जंग छेड़ दी है.
लोगों में चूहों का डर
सड़कों, गलियों के साथ ही लोगों के घरों में भी चूहों की आवाजाही बहुत बढ़ गई है. कई जगह तो हालत यह है कि लोग फर्श पर बच्चों को खेलने के लिए नहीं छोड़ रहे. इसी तरह गलियों और फुटपाथ में भी बच्चों के चूहों से उलझने का डर बना हुआ है.
उच्च तकनीक का इस्तेमाल
चूहों का सफाया करने के लिए उच्च तकनीक वाले मैपिंग टूल का इस्तेमाल हो रहा है, ताकि उनकी आबादी पर लगाम लग सके. इसके लिए नए-पुराने कई तरीकों की मदद ली जा रही है. कई मोबाइल ऐप भी शहर के कर्मचारियों की इसमें मदद कर रहे हैं.
नसबंदी करने वाला फंदा
न्यूयॉर्क के स्वास्थ्य विभाग के 70 इंस्पेक्टर शहर में घूम-घूमकर उन जगहों का पता लगा रहे हैं, जहां चूहे हैं. वो घर, दुकान और दफ्तरों में जाकर लोगों को सफाई करने और चूहों से छुटकारा पाने के उपाय बता रहे हैं. जगह जगह ऐसे फंदे लगाए जा रहे हैं जो चूहों की नसबंदी कर देते हैं.
शहर में चूहों को मिल रही है भरपूर खुराक
करीब 85 लाख की घनी आबादी वाले शहर में जहां-तहां बिखरा भोजन चूहों को पनपने के लिए पर्याप्त खुराक दे रहा है. डस्टबिन से लेकर कचरे के ढेर तक में उन्हें अपना आहार मिल जा रहा है. चूहों को औसतन प्रतिदिन महज 28 ग्राम भोजन की जरूरत होती है.
कचरे में भी है चूहों का भोजन
आमतौर पर चूहे इंसानों के खाने वाली तमाम चीजों में अपना भोजन ढूंढ लेते हैं. यहां तक कि कचरे में फेंकी जाने वाली सोडा केन और कबूतरों के लिए डाला जाने वाला दाना भी उनकी भूख मिटाता है.
चूहों का तेज प्रजनन
आमतौर पर इन चूहों की गर्भावस्था 20 से 24 दिनों की होती है. एक बार में यह 12 तक बच्चे पैदा कर सकते हैं. 1-2 साल तक जीवनकाल वाले चूहे पैदा होने के छह हफ्ते बाद ही गर्भधारण करने लायक बन जाते हैं. छोटे से जीवन काल में ये 5-7 बार बच्चों को जन्म दे सकते हैं.
जागरुकता अभियान
शहर प्रशासन इस काम में आम लोगों की भी मदद चाहता है. लोगों से कहा जा रहा है कि वे खुले में खाने-पीने की चीजें ना रखें. ना ही कचरे के डिब्बों में ऐसी चीजें फेंके, जो चूहों के लिए आहार बन जाएं. अक्टूबर 2022 में शहर प्रशासन ने कचरे के लिए सीलबंद कंटेनर रखने शुरू किए थे, ताकि चूहों को उनसे दूर किया जा सके.
कोरोना की महामारी में बढ़ी संख्या
कोरोना की महामारी से पहले भी चूहों पर नियंत्रण के लिए शहर में अभियान चला था. इस दौरान कई इलाको में 90 फीसदी से ज्यादा चूहे खत्म हो गए. महामारी के दौरान ही उन्हें फिर से बढ़ने का मौका मिला और अब एक बार फिर इनकी संख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है.