बच्चों के लिए सबसे अच्छे देश नीदरलैंड्स और डेनमार्क: यूनिसेफ
१५ मई २०२५संयुक्त राष्ट्र की बाल सहायता एजेंसी यूनिसेफ की एक नई रिसर्च रिपोर्ट से पता चला है कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य और कौशल के मामले में नीदरलैंड्स और डेनमार्क बच्चों के लिए दुनिया के दो सर्वोत्तम देश हैं.
इस अध्ययन में यूरोपीय संघ और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन के 43 सदस्य देशों की तुलना की गई, जिसमें फ्रांस तीसरे, पुर्तगाल चौथे और आयरलैंड पांचवें स्थान पर रहा. न्यूजीलैंड, कोलंबिया, मैक्सिको, तुर्की और चिली को सूची में सबसे नीचे रखा गया.
स्कूल बंद होने से बच्चों की शिक्षा पर असर
अध्ययन में पता चला कि कोविड महामारी के दौरान स्कूल बंद होने से कई देशों में छात्रों के शैक्षणिक कौशल में काफी गिरावट आई है. कोविड-19 महामारी का प्रकोप जनवरी 2020 में शुरू हुआ, जिसके बाद धीरे-धीरे इसने दुनिया भर में देशों को अपनी चपेट में ले लिया था. इससे बचाव के लिए लॉकडाउन जैसे उपाय को अपनाया गया और स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों को पूरी तरह से बंद कर दिए गए.
यूनिसेफ इनोसेंटी कार्यालय के निदेशक बो विक्टर निलुंड ने कहा कि कोरोना महामारी से पहले भी बच्चे कई कठिनाइयों का सामना कर रहे थे और "अब, बढ़ती आर्थिक अनिश्चितता को देखते हुए, सभी देशों को बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की जरूरत है ताकि उनके बेहतर भविष्य और खुशी के साथ-साथ मानव समाजों में आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सके."
अध्ययन से पता चला है कि 43 देशों में, 15 वर्ष की आयु वाले 80 लाख बच्चे पूरी तरह साक्षर नहीं हैं और ना ही वे गिनती और हिसाब में पारंगत हैं. उनके लिए लिखे हुए समझना आसान नहीं है, जिससे उनके भविष्य के प्रति चिंता है. ऐसे बच्चों की सबसे अधिक संख्या बुल्गारिया, कोलंबिया, कोस्टा रिका, साइप्रस और मैक्सिको में पाई गई.
बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंता
अध्ययन से जो सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं उनमें बाल मृत्यु दर में कमी, किशोरों में आत्महत्या की दर में कमी और स्कूल पूरा करने की दर में वृद्धि शामिल है. हालांकि, इस रिपोर्ट में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में असंतोष व्यक्त किया गया. रिपोर्ट के अनुसार, जापान एकमात्र ऐसा देश है जहां इस संबंध में सुधार देखा गया.
शोध के नतीजों के मुताबिक, बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य को लेकर भी स्थिति अच्छी नहीं है और अधिक वजन वाले बच्चों की संख्या में भी वृद्धि हुई है.
इस बारे में बो विक्टर निलुंड ने कहा, "वैश्विक महामारी के बाद बच्चों के स्वास्थ्य के संबंध में एकत्र किए गए आंकड़े चिंता का कारण हैं, खासकर वंचित समूहों के बच्चों के स्वास्थ्य के संबंध में."
उन्होंने कहा कि आज बच्चों के सामने आने वाली चुनौतियों का समन्वित और व्यापक तरीके से समाधान किए जाने की जरूरत है ताकि जीवन के हर चरण में उनकी आवश्यकताओं का ध्यान रखा जा सके.
अध्ययन के मुताबिक, सम्पन्न देशों में बच्चों के स्वास्थ्य-कल्याण में कड़ी मेहनत से दर्ज की गई प्रगति अब जलवायु परिवर्तन समेत अन्य वैश्विक चुनौतियों के कारण नाजुक हालात में पहुंच रही है.