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7,000 मीटर के अनुभवी ही छू सकेंगे माउंट एवरेस्ट

२८ अप्रैल २०२५

पर्वतारोहियों की मौतों और बढ़ते कचरे को कम करने के लिए नेपाल, माउंट एवरेस्ट के लिए नया कानून बना रहा है. भविष्य में अनुभवी पर्वतारोहियों को ही एवरेस्ट पर चढ़ने दिया जाएगा.

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माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करते पर्वतारोही
तस्वीर: Yang Huyuan/HPIC/dpa/picture alliance

पर्वतारोहण में 8,000 मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर जाने का मतलब है, डेथ जोन में दाखिल होना. डेथ जोन में कदम रखते ही, कड़ाके की सर्दी के बीच ऑक्सीजन एक तिहाई रह जाती है. यानी सामान्य हालात में इंसान एक सांस में जितनी ऑक्सीजन खींचता है, उतनी ही ऑक्सीजन पाने के लिए डेथ जोन में तीन बार सांस लेनी पड़ती है.

कम ऑक्सीजन के चलते दिमाग ठीक से काम नहीं करता है. शरीर के हर अंग तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए दिल बहुत तेजी से धड़कने लगता है. उस ऊंचाई पर धक्के लगना, उल्टी होना, बेहोशी छाना और शरीर का संतुलन बिगड़ना तो बहुत आम परेशानियां हैं. इसके अलावा हार्ट अटैक, ब्रेन हैमरेज और फेफड़ों में पानी भरने का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है.

डेथ जोन में ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म होने का मतलब है कि उसके सहारे चल रहे पर्वतारोहियों को जल्द-से-जल्द नीचे आना होगा. वरना हर मिनट के साथ उनके शरीर की कोशिकाएं तेजी से दम तोड़ती जाएंगी. ऐसे हालात में कम अनुभवी पर्वतारोहियों के मरने की मजबूत आशंका होती है.

माउंट एवरेस्ट के रूट पर लगा इंसानी जाम
कोविड महामारी के दौरान भी बड़ी संख्या में पर्वतारोही माउंट एवरेस्ट के रूट पर निकलेतस्वीर: Rizza Alee/AP/dpa/picture alliance

कैसे दिखते हैं दुनिया के डेथ जोन

दुनियाभर के पर्वतों में मौजूद सभी 14 डेथ जोन हिमालय और काराकोरम पर्वत शृंखला में हैं. इन डेथ जोनों पर जगह-जगह पर्वतारोहियों के शव बिखरे हैं. इतनी ऊंचाई से खतरनाक ढलान पर उतरते हुए उन शवों को नीचे लाना अपनी जिंदगी को जोखिम में डालने जैसा होता है. ज्यादातर पर्वतारोही ये जानते हैं कि अगर वे डेथ जोन में मारे गए, तो उनका शव वहीं पड़ा रहेगा. पर्वतारोही इसे उस चोटी के साथ एक अनकहा समझौता बताते हैं.

माउंट एवरेस्ट की चढ़ाईअब तक 300 से ज्यादा लोगों की जान ले चुकी है. इसके बावजूद हर साल सैकड़ों लोग कई सीमाओं को पार करते हुए 8,849 मीटर ऊंची चोटी को फतह करने के लिए नेपाल पहुंचते हैं.

माउंट एवरेस्ट के करीब पहुंचे पर्वतारोही
माउंट एवरेस्ट की चोटी से पहले की आखिरी बड़ी बाधातस्वीर: AFP/Getty Images

बीते दो-तीन साल में कई बार ऐसे वीडियो आए हैं, जब दुनिया की सबसे ऊंची चोटी की ढलान पर पर्वतारोहियों का जाम लगा रहा. 2023 में ऐसी ही भीड़ की वजह से 12 क्लाइंबर मारे गए और पांच लापता हो गए. 2024 में आठ लोग मारे गए.

क्यों नया कानून बना रही नेपाल सरकार

नेपाल अब इन मौतों को कम करने के लिए कुछ नए कदम उठाने की तैयारी कर रहा है. प्रस्तावित नए कानून के तहत आने वाले दिनों में एवरेस्ट पर चढ़ने की अनुमति उसी पर्वतारोही को दी जाएगी, जिसने नेपाल में ही कम-से-कम एक 7,000 मीटर ऊंची चोटी फतह की हो. पर्वतारोही को इसका सबूत देना होगा.

इसके साथ ही अभियान का नेतृत्व करने वाला प्रमुख भी नेपाली नागरिक ही होगा. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, प्रस्तावित बिल को संसद के ऊपरी सदन में रख दिया गया है. सत्ताधारी गठबंधन के पास ऊपरी सदन में बहुमत है. माना जा रहा है कि इस बहुमत से प्रस्ताव पास हो जाएगा.

नेपाल की अर्थव्यवस्था पर्वतारोहण, ट्रैकिंग और पर्यटन पर बहुत ज्यादा निर्भर है. हर साल लाखों विदेशी पर्यटक नेपाल पहुंचते हैं. एवरेस्ट की चढ़ाई का खर्च कम-से-कम 30 हजार अमेरिकी डॉलर से एक लाख अमेरिकी डॉलर के बीच आता है. हाल के बरसों में नेपाल की पर्यटन नीति, आलोचना का केंद्र भी बनी है. पैसा कमाने के चक्कर में बिल्कुल नौसिखिए लोगों को एवरेस्ट का परमिट देना इस खिंचाई का एक अहम बिंदु है.

नेपाल में माउंट एवरेस्ट का बेस कैंप
चोटी से लेकर बेस कैंप तक, एवरेस्ट क्षेत्र में कूड़े का अंबार भी हैतस्वीर: Prakash Mathema/AFP/Getty Images

अंतरराष्ट्रीय अभियान ऑपरेटरों को नेपाल के नए नियम पर आपत्ति

पर्वतारोहण अभियान कराने वाले अंतरराष्ट्रीय ऑपरेटर नेपाल सरकार की योजना से परेशान हैं. एवरेस्ट एक्सपीडिशन की विख्यात ऑस्ट्रियन कंपनी 'फुर्टेनबाख एडवेंचर्स' के मुताबिक, नेपाल को कहीं भी की गई 7,000 मीटर की चढ़ाई को मान्यता देनी चाहिए. फुर्टेनबाख एडवेंचर्स के पर्वतारोहण आयोजक लुकास फुर्टेनबाख यह भी कहते हैं, "यह जरूरी है कि माउंटेन गाइड्स IFMGA (इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ माउंटेन गाइड्स) जैसी योग्यता वाले हों, इससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए कि उनकी राष्ट्रीयता क्या है. हम यूरोप में आल्प्स में नेपाली IFMGA गाइड्स के काम करने का स्वागत करते हैं."

अमेरिका की 'मैडिसन माउंटेनियरिंग' के गैरेट मैडिसन को लगता है कि नेपाल सरकार को ऊंचाई को 6,500 मीटर करना चाहिए. मैडिसन कहते हैं, "नेपाल में 7,000 मीटर से ऊंची ठीक ठीक चोटी खोजना बहुत ही मुश्किल है."