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फेसबुक और यूट्यूब पर बैन लगा रहा नेपाल, टिकटॉक कैसे बचा

आदर्श शर्मा एपी, एएफपी
५ सितम्बर २०२५

नेपाल सरकार ने कहा है कि वे फेसबुक, एक्स और यूट्यूब समेत ज्यादातर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को अपने देश में ब्लॉक कर रहे हैं. नियमों के तहत रजिस्ट्रेशन ना करवाने की वजह से इन ऐप्स पर यह कार्रवाई की जा रही है.

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नेपाल सरकार द्वारा लाए गए सोशल मीडिया से संबंधित बिल का विरोध करते लोग
नेपाल सरकार द्वारा लाए गए सोशल मीडिया से संबंधित बिल का लोग विरोध कर रहे हैंतस्वीर: Sanjit Pariyar/NurPhoto/picture alliance

नेपाल सरकार ने गुरुवार, 4 सितंबर को कहा कि फेसबुक और यूट्यूब समेत ज्यादातर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को तत्काल प्रभाव से ब्लॉक किया जाएगा. सरकार का कहना है कि यह कंपनियां उन नियमों का पालन करने में विफल रही हैं, जिनके तहत उन्हें सरकार के पास अपना रजिस्ट्रेशन करवाना था. इनमें एक्स और लिंक्डइन जैसी बड़ी सोशल मीडिया कंपनियां भी शामिल हैं.

नेपाल के संचार एवं सूचना मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुड ने कहा कि करीब दो दर्जन सोशल नेटवर्क प्लेटफॉर्म, जो नेपाल में काफी इस्तेमाल किए जाते हैं, उन्हें नोटिस दिया गया था कि वे आगे आएं और अपनी कंपनियों को नेपाल में आधिकारिक तौर पर रजिस्टर करें. इसके लिए कंपनियों को बुधवार, 3 सितंबर तक का समय दिया गया था.

न्यूज एजेंसी एपी के मुताबिक, टिकटॉक और वाइबर समेत केवल पांच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को ही नेपाल में चलते रहने की अनुमति दी गई है क्योंकि इन कंपनियों ने सरकार के पास अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया था. इनके अलावा, दो अन्य कंपनियों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया जारी है. वहीं, कुल 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सरकार की कार्रवाई से प्रभावित हुए हैं.

एक फोन की स्क्रीन जिस पर कई ऐप्स दिख रहे हैं
नेपाल में टिकटॉक पर बैन नहीं लगाया गया है तस्वीर: Dado Ruvic/REUTERS

सरकार के फैसले का विरोध कर रही जनता

नेपाल सरकार चाहती है कि ये कंपनियां देश में अपना एक स्थानीय संपर्क, शिकायतों का समाधान करने वाला अधिकारी और नियमों के पालन के लिए जिम्मेदार अधिकारी नियुक्त करें. इसके लिए सरकार संसद में एक बिल भी लेकर आई है जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को ठीक ढंग से प्रबंधित किया जाए और वे जिम्मेदार और जवाबदेह रहें.

इस बिल पर अभी संसद में पूरी चर्चा नहीं हुई है. इस बिल की यह कहते हुए आलोचना की जा रही है कि यह सेंसरशिप का औजार है और ऑनलाइन विरोध जताने वालों को सजा देता है. अधिकार समूहों ने इसे सरकार द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने और नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने का प्रयास बताया है. आम लोग भी इस बिल का विरोध कर रहे हैं.

बिल का विरोध करता हुआ युवक
डिजिटल राइट्स एक्टिविस्ट का कहना है कि यह बिल सरकार के "नियंत्रणकारी” रवैये को दिखाता हैतस्वीर: Subaas Shrestha/NurPhoto/picture alliance

वहीं, नेपाली अधिकारियों का कहना है कि सोशल मीडिया की निगरानी के लिए कानून लाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि इसके यूजर और प्लेटफॉर्म, दोनों इस बात के लिए जिम्मेदार और जवाबदेह रहें कि क्या शेयर किया जा रहा है, क्या पब्लिश हो जा रहा है और क्या कहा जा रहा है.

डिजिटल राइट्स नेपाल के अध्यक्ष भोलानाथ कहते हैं कि प्लेटफॉर्मों को अचानक से बंद करना, सरकार के "नियंत्रणकारी” रवैये को दिखाता है और "जनता के मौलिक अधिकारों को सीधे तौर पर प्रभावित करता है.” उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया को विनियमित करना गलत नहीं है लेकिन पहले हमें इसे लागू करने के लिए कानूनी ढांचा तैयार करना होगा.

क्या हैं भारत में सोशल मीडिया कंपनियों के नियम

नेपाल के पड़ोसी देश भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों की जवाबदेही सूचना प्रौद्योगिक नियम, 2021 के जरिए तय की जाती है. इसमें 11 तरह के कंटेंट को गैर-कानूनी बताया गया है और सोशल मीडिया कंपनियों के लिए ऐसे कंटेंट को अपने प्लेटफॉर्म से हटाना कानूनी तौर पर जरूरी होता है. ऐसा ना करने पर कंपनियों को आईटी एक्ट के अनुच्छेद 79(1) के तहत दी गई छूट वापस ली जा सकती है और उन्हें गैर-कानूनी कंटेंट के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.

भारत के आईटी रूल्स के अनुसार, अश्लील, पॉर्नोग्राफिक, बाल यौन शोषण से संबंधित और दूसरों की शारीरिक निजता का उल्लंघन करने वाले कंटेंट को सोशल मीडिया पर प्रतिबंधित किया गया है. सोशल मीडिया पर गलत सूचना साझा करने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. साथ ही एआई की मदद से बनाए गए डीपफेक्स को भी बैन किया गया है.

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किस नियम को लेकर होता है टकराव

आईटी रूल्स के तहत, भारत सरकार के पास यह अधिकार है कि वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को नियमों का उल्लंघन करने वाले कंटेंट को हटाने या भारत में उसे ब्लॉक करने के लिए कह सकती है और कंपनियों को इन आदेशों का पालन करना होता है. आईटी एक्ट के तहत, सरकार देश की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भी कंटेंट को ब्लॉक करने का निर्देश दे सकती है.

भारत के केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसके लिए सहयोग पोर्टल बनाया गया है, जिसके माध्यम से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को कंटेंट हटाने के लिए नोटिस भेजे जाते हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स कर्नाटक हाईकोर्ट में इस पोर्टल के खिलाफ मुकदमा लड़ रहा है. एक्स का कहना है कि मोदी सरकार कंटेंट हटाने के नोटिस देने में नियमों का ठीक ढंग से पालन नहीं कर रही है और आईटी कानूनों का दुरुपयोग कर रही है. अभी इस मामले में अंतिम फैसला आना बाकी है.

आदर्श शर्मा
आदर्श शर्मा डीडब्ल्यू हिन्दी के साथ जुड़े आदर्श शर्मा भारतीय राजनीति, समाज और युवाओं के मुद्दों पर लिखते हैं.