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NCERT के नए मॉड्यूल में बंटवारे के लिए कांग्रेस जिम्मेदार

रीतिका एएनआई
१६ अगस्त २०२५

स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले जारी एनसीईआरटी के नए मॉड्यूल में मोहम्मद अली जिन्ना, माउंटबेटन के साथ-साथ कांग्रेस को भी जिम्मेदार ठहराया गया है. कांग्रेस और विपक्ष के कई नेताओं ने इस पर आपत्ति जताई है.

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बंटवारे के बाद की तस्वीर
एनसीईआरटी मॉड्यूल में कांग्रेस नेतृत्व पर भी सवाल उठाए गए हैं और लिखा गया है कि उन्होंने उतना संघर्ष नहीं किया और बंटवारे के फैसले को मान लिया.तस्वीर: Indian Rail Bengal

एनसीईआरटी की किताबों के नए संस्करण में भारत के बंटवारे के लिए कांग्रेस पार्टी को भी जिम्मेदार ठहराया गया है. 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के मौके पर कक्षा छह से 12वीं तक के लिए, बंटवारे पर आधारित नए मॉड्यूल में इसका जिक्र किया गया है.

इसमें लिखा गया है कि भारत के बंटवारे के लिए तीन तत्व जिम्मेदार थे- "जिन्ना, जिन्होंने इसकी मांग की. कांग्रेस, जिसने इसे स्वीकार किया. और, तीसरे लॉर्ड माउंटबेटन, जिन्होंने इसे औपचारिक रूप दिया और लागू किया."

Ausstellung Unabhängigkeitstag in Indien
कक्षा छह से लेकर बारहवीं तक के लिए भारत के बंटवारे पर आधारित यह मॉड्यूल जारी किया गया है. तस्वीर: Indian Rail Bengal

मॉड्यूल के चैप्टर "विभाजन के दोषी" में यह भी लिखा गया है कि किसी भी भारतीय नेता के पास देश या प्रांत, सेना, पुलिस आदि को संभालने का अनुभव नहीं था. इसलिए उन्हें इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि आने वाले समय में कौन सी समस्याएं झेलनी पड़ेंगी, वरना इतनी जल्दबाजी नहीं दिखाई जाती.

इसमें यह भी बताया गया है कि कांग्रेस ने बंटवारे की योजना को स्वीकार लिया और जिन्ना की क्षमता को कम आंका. पार्टी बंटवारे के दूरगामी परिणामों को देखने में असफल रही थी.  हालांकि, ये मॉड्यूल रोजमर्रा की किताबों से अलग होते हैं. इन मॉड्यूल्स का इस्तेमाल स्कूलों में वाद- विवाद, पोस्टर, चर्चा जैसी गतिविधियों में किया जाता है.

मॉड्यूल में विभाजन को कश्मीर विवाद की वजह बताते हुए लिखा गया है कि कश्मीर को हथियाने के लिए पाकिस्तान ने अब तक तीन युद्धों की शुरुआत की और हारने के बाद जिहादी आंतकवाद का सहारा लिया. युवा पीढ़ी के लिए बंटवारे को एक चेतावनी की तरह दर्शाते हुए मॉड्यूल में लिखा गया है कि शासकों में दूरदर्शिता की कमी एक बड़ी त्रासदी की वजह बन सकती है.

किताब को आग लगा देनी चाहिए: कांग्रेस

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इस मॉड्यूल का विरोध करते हुए कहा कि ऐसी किताबों को जला देना चाहिए. साथ ही, उन्होंने कहा कि इतिहास को तोड़-मरोड़ देने से हकीकत नहीं बदलेगी. 

उन्होंने हिंदू महासभा पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत के बंटवारे की हिमायती हमेशा से हिंदू महासभा रही. वहीं, संदीप दीक्षित ने एनसीईआरटी को बहस की चुनौती देते हुए आरोप लगाया कि उसपर बीजेपी का नियंत्रण है, जिन्हें बंटवारे के बारे में कुछ नहीं पता.

बीजेपी नेता शहनवाज हुसैन ने मॉड्यूल का बचाव करते हुए कहा कि बंटवारे में कई लाख लोग मारे गए और कांग्रेस ने इसे कबूल कर लिया. उन्होंने दावा किया कि अगर कांग्रेस नेतृत्व संघर्ष करता, तो आज भारत का बंटवारा नहीं हुआ होता.

यह पहला मौका नहीं है जब किताब और सिलेबस में बदलावों के लिए एनसीईआरटी विवादों में घिरी है. इससे पहले मुगल शासकों से जुड़े चैप्टर हटाने, उनमें बदलाव करने पर भी विवाद हुआ था.

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