भारत, ब्राजील और चीन पर अमेरिका के बाद अब नाटो का भारी दबाव
१६ जुलाई २०२५पश्चिमी देशों के सैन्य संगठन नाटो के महासचिव मार्क रुटे इस वक्त अमेरिका में हैं. वॉशिंगटन में रुटे ने पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से मुलाकात की और उसके अगले ही दिन अमेरिकी सांसदों से भेंट की. सांसदों से मुलाकात के बाद बुधवार को रुटे ने ब्रिक्स देशों के मुख्य स्तंभ कहे जाने वाले चीन, भारत और ब्राजील को कड़ी चेतावनी दी.
नीदरलैंड्स के पूर्व प्रधानमंत्री रह चुके रुटे ने कहा, "इन तीनों देशों के लिए मेरा विशेष प्रोत्साहन ये है कि अगर आप बीजिंग, या दिल्ली में रहते हैं या फिर आप ब्राजील के राष्ट्रपति हैं, तो आपको इस पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि यह आप पर बहुत तेज आघात कर सकता है."
यूक्रेन की सुरक्षा के लिए भारत पर बढ़ता दबाव
इसके आगे रुटे ने कहा, "तो कृपया व्लादिमीर पुतिन को फोन कीजिए और उनसे कहिए कि उन्हें अब शांति वार्ताओं को लेकर गंभीर होना ही होगा, क्योंकि इसके बिना ब्राजील, भारत और चीन पर बहुत ही तगड़ा असर पड़ेगा."
नाटो महासचिव चाहते हैं कि नई दिल्ली, बीजिंग और ब्रासीलिया अपने प्रभाव का इस्तेमाल करें और रूसी राष्ट्रपति पुतिन को शांति व बातचीत की मेज पर लेकर आएं. यूरोपीय संघ और नाटो पूरी कोशिश कर रहे हैं कि यूक्रेन में अब युद्ध विराम हो.
अमेरिकी समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, दिसंबर 2022 में जब यूरोपीय संघ ने रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाया, तब से चीन और भारत ने 85 फीसदी रूसी कच्चा तेल खरीदा है. दोनों एशियाई देशों ने इसी दौरान रूस से 63 फीसदी कोयला भी खरीदा. भारतीय अखबार द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक लगातार तीसरे साल भारत ने रूस से 49 अरब डॉलर का कच्चा तेल खरीदा.
यूरोपीय संघ और अमेरिका को उम्मीद थी कि रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाने से रूस की अर्थव्यवस्था लड़खड़ाने लगेगी और मॉस्को को यूक्रेन से पैर पीछे खींचने पड़ेंगे. लेकिन भारत व चीन की खरीदारी के चलते ये प्रतिबंध बहुत असरदार नहीं हुए.
रूस से खरीदारी बंद नहीं की तो लगेंगे और ज्यादा टैरिफ
नाटो महासचिव रुटे से पहले ट्रंप ने भी पुतिन के रुख पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा था कि रूसी राष्ट्रपति एक तरफ शांति की बात करते हैं और दूसरी तरफ यूक्रेन पर भीषण बमबारी करते हैं. ट्रंप ने अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अब ऐसा नहीं चलेगा. इस दौरान ट्रंप ने अपने रुख से पलटते हुए यूक्रेन को अमेरिकी हथियारों की डिलीवरी का एलान भी किया. इन हथियारों में पैट्रियट मिसाइलें भी शामिल हैं.
ट्रंप ने नाम लिए बिना कुछ देशों को चेतावनी दी कि अगर 50 दिन के भीतर यूक्रेन को लेकर शांति समझौता नहीं हुआ तो रूसी सामान खरीदने वाले देशों पर 100 फीसदी का सेकेंडरी टैरिफ लगाया जाएगा.
यूक्रेन को मिलने जा रही अमेरिकी पैट्रियट मिसाइलों पर खुशी जताते हुए नाटो महासचिव ने कहा, "यह बचाव और आक्रमण दोनों है. हर तरह के हथियार हैं, लेकिन कल राष्ट्रपति के साथ हमने उन पर विस्तार से बात नहीं की. इस पर असली काम पेंटागन और यूरोप स्थित सुप्रीम एलाएड कमांडर के बीच हो रहा है, वो भी यूक्रेनियों को साथ रखते हुए."
पश्चिमी देशों के हथियारों पर निर्भर यूक्रेन
अमेरिका और उसके करीब 50 साझेदार देश अब तक यूक्रेन को 10 लॉन्ग रेंज मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम, 178 लंबी दूरी के तोप सिस्टम, एक लाख राउंड आर्टिलरी असलहा, 359 टैंक और 8,214 छोटी दूरी की मिसाइलें दी जा चुकी हैं. फरवरी 2022 से रूसी आक्रमण से अपनी रक्षा कर रहा यूक्रेन, अब अमेरिका और यूरोपीय देशों की सैन्य मदद पर पूरी तरह निर्भर है.
हाल के हफ्तों में रूस ने यूक्रेन पर भीषण हमले तेज किए हैं. जुलाई की शुरुआत में ही रूस ने कीव पर करीबन 10 घंटे तक लगातार हमले किए. हालिया हमले उस दौरान किए गए जब अमेरिकी और रूसी अधिकारी युद्ध विराम को लेकर बातचीत कर रहे थे. इन हमलों के बाद 14 जुलाई को ट्रंप ने कहा कि, वह "राष्ट्रपति पुतिन से बिल्कुल भी खुश नहीं हैं." और अब अमेरिका यूक्रेन को आत्मरक्षा के लिए ज्यादा हथियार देगा.