दुनिया की कई जगहों पर रमजान ऐसा भी
दुनिया की एक चौथाई आबादी मुस्लिम है और उसका एक बहुत बड़ा हिस्सा रमजान के महीने में रोजे रखता है. कहीं तो हर सुबह और शाम जश्न जैसा माहौल है तो कहीं रोजेदार युद्ध और तबाही के माहौल में रमजान मनाने को मजबूर हैं.
इफ्तार की तैयारी
दो साल से युद्ध के कारण गाजा में एक से बढ़कर एक तकलीफें झेल रहे लोगों के लिए उपवास का पवित्र महीना भी कठिनाइयों से भरा है. तस्वीर में जबेलिया नाम की जगह पर तंबुओं और मलबे के साये में इफ्तार की तैयारी करते बच्चे.
असद के बिना रमजान
कई दशकों से असद परिवार के शासन में रहने वाले सीरिया के लोगों के लिए इस बार रमजान कुछ अलग है. दिसंबर 2024 में वहां बशर अल-असद का राज खत्म हुआ और तबसे लोग बेहतर भविष्य की आस लगाए हैं. लेकिन उसके बाद चले गृहयुद्ध ने मलबे का अंबार खड़ा कर दिया है, जैसे यहां दमिश्क में.
बर्बादी के मंजर में उम्मीदों की लौ
कई महीनों तक इस्राएली हमले झेल चुके दक्षिण गाजा के राफा में हर ओर बर्बादी दिखती है. लेकिन इसी के बीच लोगों ने बिजली की लड़ियां सजाई हैं. इफ्तार की लंबी मेज भी सड़क पर ही लगाई गई है.
सहरी का आह्वान
तुर्की की मशहूर ब्लू मॉस्क के सामने सुल्तान अहमद चौक पर सहरी यानी सूर्योदय के पहले का आखिरी भोजन करते लोग. इस्तांबुल में आजकल भोर कुछ ऐसी दिखती है और वहां की हवाओं में इस समय ड्रम की आवाजें तैरती हैं.
न्यूयॉर्क का टाइम्स स्क्वैयर
न्यूयॉर्क के सबसे व्यस्त और दुनिया भर में मशहूर चौक टाइम्स स्क्वैयर पर सैकड़ों मुसलमान एक साथ अपनी प्रार्थना वाली दरियां बिछाते हैं और सजदे में अपने सिर झुकाते हैं.
बर्लिन के लिए भी खास है रमजान
जर्मन राजधानी बर्लिन की सेहित्लिक मॉस्क में तरावीह की पहली नमाज अदा करते लोग. बर्लिन में रमजान का महीना खास होता है क्योंकि यहां इस्लाम को मानने वालों की बहुत बड़ी आबादी रहती है. बर्लिन में 10 फीसदी लोग इस्लाम को मानते हैं, 12 फीसदी प्रोटेस्टेंट हैं और 7 फीसदी कैथोलिक लोग.