जर्मनी में एएफडी के समर्थकों में भारी संख्या पुरुषों की
१२ फ़रवरी २०२५लाइपजिष यूनिवर्सिटी के कराए इस सर्वे के नतीजे बुधवार को जारी हुए. रिसर्च मार्च से जून 2024 के बीच किया गया. रिसर्चरों ने देखा कि एएफडी का समर्थन करने वालों में 70.6 फीसदी लोग पुरुष हैं. किसी भी जर्मन पार्टी के लिहाज से यह अनुपात सबसे बड़ा है. ज्यादा पुरुषों का समर्थन पाने के लिहाज से दूसरे नंबर पर कारोबार समर्थक फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी और वामपंथी द लिंके हैं. इन दोनों के समर्थकों में 62 फीसदी पुरुष हैं.
राजनीति पर शिक्षा, आय का भी असर
यह स्थिति ग्रीन पार्टी के मामले में बिल्कुल उलट जाती है. ग्रीन पार्टी का समर्थन करने वालों में ज्यादा महिलाएं हैं. सर्वे के मुताबिक ग्रीन पार्टी को सिर्फ 33.6 फीसदी पुरुषों का ही समर्थन हासिल है. बाकी का हिस्सा महिलाओं का है.
करीब 2,500 जर्मन निवासियों की मतदान के लिए पसंद के बारे में यह विश्लेषण चुनाव से महज दो हफ्ते पहले जारी किया गया है. जर्मनी में 23 फरवरी को आम चुनाव होना है. इस सर्वेक्षण से यह भी पता चला है कि एएफडी के समर्थक मुख्य रूप से या तो मध्यमवर्ग के हैं या फिर बेरोजगार. तुलनात्मक रूप से बहुत कम ही लोग इनमें ऊंची शिक्षा पाने वाले हैं.
ग्रीन पार्टी के समर्थकों यहां भी उल्टी धारा के हैं. पार्टी के 53 फीसदी समर्थकों ने ऊंची शिक्षा पाई है. इतना ही नहीं पार्टी का समर्थन करने वाले करीब 44 फीसदी लोगों के परिवार का मासिक वेतन 3,500 यूरो से ज्यादा है. इसी रिसर्च में यह भी पता चला कि एएफडी के 22 फीसदी समर्थक एक बंद और चरमपंथी दक्षिणपंथी दुनिया का विचार रखते हैं. इसकी तुलना में जर्मनी की ज्यादा लोकप्रिय पार्टियों में ऐसे लोगों का प्रतिशत महज 2.5 है. इनमें मुख्य रूप से रुढ़िवादी मध्य दक्षिणपंथी सीडीयू और उसकी बवेरियाई सहयोगी सीएसयू पार्टियां और मध्य वामपंथी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी यानी एसपीडी शामिल हैं.
आप्रवासियों का विरोध
एएफडी के चरमपंथी गुट होने का संदेह है और इसकी जांच जर्मनी की घरेलू खुफिया एजेंसी कर रही है. चुनाव से पहले के सर्वेक्षणों में इस पार्टी को फिलहाल 20 फीसदी से ज्यादा लोगों का समर्थन मिलता दिख रहा है. इस रिसर्च में यह भी पता लगाने की कोशिश की गई है कि सीडीयू/सीएसयू के वोटरों और एएफडी के समर्थकों में मुख्य रूप से क्या अंतर है. रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि एएफडी के समर्थक एक मजबूत प्रशासन की इच्छा रखते हैं जिनसे समर्थक खुद को जुड़ा महसूस कर सकें. एएफडी के 27 फीसदी समर्थक इस स्थिति के पक्ष में हैं. दूसरी तरफ मध्य दक्षिणपंथी धड़े के वोटरों में ऐसा चाहने वाले सिर्फ 14 फीसदी लोग हैं.
जर्मनी के चुनाव में आप्रवासियों का मुद्दा सिर चढ़ कर बोल रहा है. मौजूदा सरकार पर इस बारे में ढिलाई बरतने का आरोप लगा कर प्रमुख विपक्षी दल सीडीयू/सीएसयू और साथ ही एएफडी ने अपनी जमीन मजबूत की है. चुनाव के पास होने के साथ पार्टियों का रुख इस मामले में और ज्यादा सख्त होता जा रहा है. एएफडी खासतौर से आप्रवासियों का प्रबल विरोध करती है.
चुनावी माहौल में सीडीयू/सीएसयू भी इस रुख पर सख्ती से पेश आ रही है. पार्टी के नेता फ्रीडरिष मैर्त्स ने तो इस मामले पर संसद में एएफडी के सहयोग से प्रस्ताव भी पारित कराया है. हालांकि पार्टी के इस रुख के खिलाफ जर्मनी में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन भी हो रहे हैं. खुद सीडीयू के ही कई नेता मैर्त्स के रुख से सहमत नहीं हैं. यह और बात है कि सर्वेक्षणों में पार्टी की लोकप्रियता पर इसका कोई खास असर होता हुआ नहीं दिखा है.
एनआर/वीके (डीपीए)