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विज्ञानसंयुक्त राज्य अमेरिका

137 किलो के घायल कछुए के इलाज की मुश्किल ऐसे हल हुई

२६ मई २०२५

एक विशाल लॉगरहेड मादा कछुआ बोट से टकरा कर घायल हो गई. कछुए का विशाल शरीर अस्पताल में इलाज के लिए मौजूद उपकरणों में फिट नहीं हो रहा था. हालांकि पशु चिकित्सकों ने आखिरकार इसका हल निकाल लिया.

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रिहैबिलिटेशन टैंक में तैरती पेनीवाइज
यह मादा कछुआ बोट से टकरा कर घायल हो गई थीतस्वीर: Cody Jackson/AP Photo/picture alliance

फ्लोरिडा में जूनो बीच के लॉगरहेड मरीन लाइफ सेंटर में पशु चिकित्सकों का दल इस घायल कछुए का सिटी स्कैन करना चाहते थे. वो यह देख कर हैरान रह गए कि उसका विशाल शरीर उपकरणों में फिट नहीं हो रहा था.

इसके बाद वो उसे पास के ज्यूपिटर मेडिकल सेंटर ले गए. जहां इंसानों का इलाज होता है. मुश्किल तब और बढ़ गई जब इंसानों के लिए बने सिटी स्कैन मशीन में भी यह कछुआ नहीं घुस पाया. इसके तुरंत बाद पशु चिकित्सकों को नई तरकीब सूझी और वो उसे वेलिंग्टन के पाम बीच इक्वाइन क्लिनिक ले गए. यहां घोड़ों के लिए मौजूद सिटी स्कैन मशीन उनके काम आया और आखिरकार कछुए का सिटी स्कैन हो गया.

मोबाइल में कछुए का स्कैन दिखाता एक पशु चिकित्सक
पशु चिकित्सकों के दल ने आखिरकार कछुए का सिटी स्कैन करने में सफलता हासिल कर लीतस्वीर: Cody Jackson/AP Photo/picture alliance

पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से जानवर बनाते हैं अपना नक्शा

गर्भवती है पेनीवाइज

स्कैन के बाद पता चला कि पेनीवाइज नाम के इस मादा कछुए के पेट में अंडे हैं. लॉगरहेड मरीन लाइफ सेंटर की मुख्य विज्ञान अधिकारी हीथर बैरन ने समाचार एजेंसी एपी को बताया, "सौभाग्य से घोड़े के आकार वाली मशीन इतनी बड़ी थी कि वह उसमें फिट हो गई." बैरन ने यह भी कहा, "हमें उम्मीद है कि हम जितनी जल्दी संभव है उसे जंगल में छोड़ देंगे ताकि वह अंडे दे सके." 

लॉगरहेड कछुओं पर लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है. ये कछुए एक बार में कई अंडे देते हैं. पेनीवाइज को सेंटर पर सोमवार, 19 मई को लाया गया था. इनवाटर रिसर्च ग्रुप ने उसे अटलांटिक के पानी में बहते हुए देखा था उसके खोल पर चोट लगी थी, हालांकि उसके जख्म पहले ही भरने शुरू हो गए थे.

मछली पकड़ने वाली बेकार जालों में उलझा एक लॉगरहेड कछुआ
लॉगरहेड कछुए उन जीवों में हैं जिनके लुप्त होने का खतरा हैतस्वीर: V. Legrand/blickwinkel/AGAMI/picture alliance

कछुआ और कई दूसरे जीव भी बोल कर बातचीत करते हैं

कछुए की हड्डियों को नुकसान

जूनो बीच टर्टल सेंटर के कर्मचारियों का अनुमान है कि पेनीवाइज के जख्म करीब एक महीने पुराने हैं. बैरन का कहना है कि सिटी स्कैन की तस्वीरों से पता चला है कि उसके स्पाइनल कॉर्ड के आसपास की हड्डियों को नुकसान पहुंचा है. उन्होंने कछुए को ज्यादा ताकतवर एंटीबायोटिक दिए हैं.

बैरन ने यह भी बताया, "सौभाग्य से अब उसके न्यूरोलॉजिकल टेस्ट से पता चला है कि उसकी सारी तंत्रिकाएं दुरूस्त हैं जो उसके लिए अच्छा संकेत है. हम इस बात से बहुत उत्साहित हैं और जल्दी ही उसकी दोबारा जांच करेंगे यह सुनिश्चित करने के लिए कि उसकी बीमारियां आगे ना बढ़ें, जैसे ही हमें यह महसूस होगा कि उसके जख्म भर गए हैं, वह जंगल में लौट सकती है."

कछुए रहते तो समंदर में हैं लेकिन अंडे देने के लिए किनारों पर आ कर रहते हैं. फ्लोरिडा में कछुओं के अंडे देने का समय 1 से 31 अक्टूबर तक होता है. इस बीच इलाके से गुजरने वाली बोटों की गति कम रखने की सलाह दी जा रही है. खासतौर से टर्टल प्रोटेक्शन जोन में जो किनारों से करीब 1.6 किलोमीटर के दूर में फैला है.