वो बहादुर लोग जिन्होंने हिटलर को रोकने की कोशिश की
जर्मनी के इतिहास में कुछ ऐसे लोगों के नाम भी दर्ज हैं जिन्होंने नाजियों से लड़ने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी. बर्लिन के जर्मन रेजिस्टेंस मेमोरियल सेंटर में ऐसे लोगों की यादों को संजो कर रखा गया है.
हिटलर की हत्या की कोशिश, जुलाई 20, 1944
75 साल पहले अडोल्फ हिटलर के मुख्यालय 'वूल्फ्स लेयर' में एक बम फटा. धमाका करने वालों का इरादा हिटलर की हत्या कर देने का था, लेकिन वो कोशिश नाकाम रही और हिटलर बच गया. उसके कुछ ही दिनों के अंदर उस हमले में शामिल रेजिस्टेंस लड़ाकों को ढूंढ लिया गया और खत्म कर दिया गया.
इस कोशिश के पीछे कौन था
क्लाउस ग्राफ शेंक फॉन श्टाउफेन्बर्ग ने इस कोशिश में अग्रणी भूमिका निभाई थी. वो हिटलर की सेना वेयरमाख्ट के ही अधिकारी थे जिन्हें 1942 में ही अहसास हो गया था कि जर्मनी द्वितीय विश्व युद्ध नहीं जीत पाएगा. जर्मनी की बर्बाद तय लग रही थी लेकिन ऐसा होने से रोकने के लिए श्टाउफेन्बर्ग और वेयरमाख्ट के अन्य अधिकारियों ने हिटलर का तख्तापलट करने की ठान ली.
क्रेसाउ सर्कल
क्रेसाउ सर्कल का लक्ष्य था जर्मनी में मूलभूत राजनीतिक सुधार. हेल्मुट जेम्स ग्राफ फॉन मोल्टके और पीटर ग्राफ यॉर्क फॉन वारटेनबर्ग इस आंदोलन के पीछे के मुख्य चेहरे थे. सर्कल के कुछ सदस्य 1944 में 20 जुलाई की योजना में शामिल हो गए. हत्या की कोशिश विफल होने के बाद उन पर मुकदमा चलाया गया और मौत की सजा दी गई.
हान्स और सोफी शोल
1942 से ही हान्स और सोफी शोल नामक भाई-बहन की जोड़ी के नेतृत्व में म्यूनिख के कुछ छात्रों ने नाजियों का विरोध करने की कोशिश की. खुद को 'द व्हाइट रोज' कहने वाले इस समूह ने नाजी शासन के अपराधों की निंदा करने वाले हजारों पर्चे बांटे. फरवरी 1943 में खुफिया नाजी पुलिस गेस्तापो ने उन्हें पकड़ लिया और मौत की सजा दे दी.
जॉर्ज एल्सर
1939 में बढ़ई जॉर्ज एल्सर ने म्यूनिख बुर्गरब्राऊ ब्रूअरी में हिटलर के भाषण-मंच के पीछे ही विस्फोटक लगा दिए थे. बम तय समय पर फटा जरूर लेकिन हिटलर बच गया, क्योंकि वह उम्मीद से छोटा भाषण दे कर हॉल से जा चुका था. धमाके में सात लोग मारे गए और 60 घायल हो गए. एल्सर को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया और दखाऊ कंसंट्रेशन कैंप ले जाया गया. 1945 में उसकी वहीं मृत्यु हो गई.
नेत्रहीन लोगों के लिए वर्कशॉप
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बर्लिन में रहने वाले व्यवसायी ऑटो वीट ने मुख्य रूप से दृष्टिहीन और बधिर यहूदियों को नौकरी पर रखा हुआ था. चूंकि उसके व्यवसाय को "महत्वपूर्ण डिफेंस व्यवसाय" माना जाता था, नाजी उसे बंद नहीं कर सकते थे. वीट ने पूरे युद्ध के दौरान अपने यहूदी कर्मचारियों का ख्याल रखा और उन्हें निर्वासन से भी बचाया.
कलाकारों और बुद्धिजीवियों की कोशिशें
कई कलाकार और बुद्धिजीवी तो 1933 में हिटलर के सत्ता में आते ही उसके शासन के खिलाफ हो गए थे. कई तो देश छोड़ कर चले गए लेकिन बर्लिन के एक कैबरे समूह 'काटाकॉम्बे' ने खुलेआम शासन की आलोचना की. 1935 में गेस्तापो ने समूह को बंद कर दिया और उसके संस्थापक वेर्नर फिंक को एस्टरवेगन कंसंट्रेशन कैंप में बंद कर दिया.
'डाई स्विंग यूथ'
'द स्विंग यूथ' अमेरिकी-अंग्रेजी जीने के ढंग को कहा जाता था. स्विंग संगीत और डांस को इसका प्रतिनिधि माना जाता था, जो नाजी शासन और 'द हिटलर यूथ' के ठीक विपरीत था. अगस्त 1941 में स्विंग यूथ के कई लोगों को गिरफ्तार किया, विशेष रूप से हैम्बर्ग में. उनमें से कइयों को या तो हिरासत में ले लिया गया या युवाओं के लिए विशेष कंसंट्रेशन कैंपों में भेज दिया गया.
रेड ऑर्केस्ट्रा रेजिस्टेंस समूह
'रोटे कपेल' नाम का रेजिस्टेंस समूह हारो शुल्ज-बॉयसन और आर्विड हारनैक के नेतृत्व में नाजियों के अपराधों को दर्ज करने में यहूदियों की मदद करना और पर्चे बांटने का काम करता था. 1942 में समूह के 120 से भी ज्यादा सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया. उनमें से 50 से भी ज्यादा को मौत की सजा दे दी गई.
जर्मन रेजिस्टेंस मेमोरियल केंद्र
19 जुलाई, 1953 को बर्लिन की बेंडलरब्लॉक बिल्डिंग में जर्मन रेजिस्टेंस मेमोरियल केंद्र का उद्घाटन किया गया. यह वही जगह थी जहां हिटलर की हत्या की योजना के असफल हो जाने के बाद श्टाउफेन्बर्ग को मौत की सजा दे दी गई थी. यह मेमोरियल उन सभी बहादुर पुरुषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि देता है जिन्होंने हिटलर के शासन के आगे खड़े होने की हिम्मत दिखाई. (डीडब्ल्यू ट्रैवेल)