तालिबान के 11 सदस्यों के बदले तीन भारतीय इंजीनियरों की रिहाई
८ अक्टूबर २०१९जिन इंजीनियरों को रिहा किया गया है वे एक अफगान नागरिक सहित उन सात लोगों में शामिल थे, जिन्हें मई 2018 में अफगानिस्तान के उत्तरी बागलान प्रांत स्थित एक पॉवर प्लांट से काम करते वक्त अगवा किया गया था. उस समय इस घटना की जिम्मेदारी किसी संगठन ने नहीं ली थी. सरकारी सूत्रों ने बताया कि रिहा किए गए तालिबान कैदियों में से कोई भी सीनियर कमांडर नहीं हैं. बंदियों की अदला बदली का यह मामला हाल ही में इस्लामाबाद में तालिबान के साथ हुई बैठक से संबंधित नहीं है. तालिबान से जुड़े दो सूत्रों ने पुष्टि की है कि यह रिहाई रविवार को हुई. वहीं काबुल में स्थित भारतीय दूतावास ने इस मामले पर किसी तरह की टिपण्णी करने से मना कर दिया. तालिबान के प्रवक्ता और अमेरिकी दूतावास ने किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी.
राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने की वार्ता रोके जाने के बाद पिछले सप्ताह पहली बार अमेरिकी प्रतिनिधि जाल्माय खलीलजाद ने तालिबान के साथ बैठक की थी. इस बैठक के बाद ही तीन भारतीय इंजीनियरों की रिहाई हुई है. अफगानिस्तान सरकार ने कहा कि उन्हें बताया गया था कि बैठक में 2016 में काबुल में तालिबान से संबद्ध हक्कानी समूह द्वारा दो विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों, अमेरिका के केविन किंग और ऑस्ट्रेलिया के टिमोथी विक्स के अपहरण पर चर्चा की गई थी.
भारतीय सरकार ने मार्च महीने में जानकारी दी थी कि सात अगवा लोगों में से एक भारतीय इंजीनियर को रिहा कर दिया गया है. अन्य के बारे में उस समय स्थिति स्पष्ट नहीं हुई थी. मई 2018 में करीब 150 भारतीय इंजीनियर और तकनीशियन अफगानिस्तान में आधारभूत संरचना के निर्माण कार्य में जुटे हुए थे. अफगानिस्तान में फिरौती के लिए विदेशियों और अफगानी नागरिकों को अगवा करने की घटना आम बात हो गई है. देश में बड़े पैमाने पर गरीबी है. इस वजह से हालात और बदतर हो रहे हैं.
आरआर/एमजे (रॉयटर्स)
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