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अपराध

केरल नन केस: पीड़िता का साथ देने वाली नन को चर्च ने निकाला

ऋषभ कुमार शर्मा
७ अगस्त २०१९

केस में एक गवाह रहे जालंधर के एक पादरी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है. पीड़िता का साथ देने वाली सभी ननों का तबादला हो चुका है. जमानत मिलने पर आरोपी आर्चबिशप का माला पहनाकर और पोस्टर लगाकर स्वागत किया गया था.

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Indien Festnahme Bischoff Franco Mulakkal
तस्वीर: Reuters/Sivaram V

केरल नन रेप केस में पीड़ित नन के समर्थन में प्रदर्शन करने वाली एक और नन सिस्टर लूसी कलाप्पुरा को फ्रांसिस्कन क्लैरिस्ट कॉन्ग्रेगेशन (FCC)से बाहर कर दिया गया है. इसका मतलब है कि अब वो नन नहीं रहेंगी. लूसी कलाप्पुरा उन पांच ननों में शामिल थीं जिन्होंने पीड़ित नन के समर्थन में कोच्ची उच्च न्यायालय के बाहर प्रदर्शन किया था. उन्हें 10 दिन के अंदर अपने कॉन्वेंट को छोड़ने का आदेश दिया गया है. लूसी फिलहाल केरल के वायनाड में द्वारका सैकरेड हार्ट स्कूल में कार्यरत हैं. इस रेप केस में जालंधर के आर्चबिशप फ्रांको मुलक्कल मुख्य आरोपी हैं.

एफसीसी के सुपीरियर जनरल एन जोसेफ ने 5 अगस्त को लूसी के नाम एक खत जारी करते हुए लिखा कि उन्होंने एफसीसी के नियमों का उल्लंघन करने पर ना तो कोई पछतावा जाहिर किया और ना ही कोई संतोषजनक जवाब दिया है. गौरतलब है कि इससे पहले 11 मई 2019 को जनरल काउंसिल की एक बैठक में मतदान द्वारा लूसी को हटाने का फैसला किया गया था. इस फैसले को वैटिकन की स्वीकृति के लिए भेजा गया था. इसके जवाब में वैटिकन ने नन पर लगाए गए आरोपों को सही मानते हुए उन्हें नन के पद से हटा देने का आदेश दिया है.

लूसी के ऊपर आरोप लगाया गया कि उन्होंने चर्च के विरुद्ध जाकर फ्रांको मुलक्कल का विरोध किया. साथ ही उन्होंने नन के जीवन जीने के तौर तरीकों से अलग हटकर काम किया. उन्होंने बिना अनुमति के चैनलों की बहस में हिस्सा लिया. साथ ही बिना चर्च की अनुमति के एक गैर मिशनरी अखबार में लिखा और एक कविताओं की किताब भी लिखी. इसके अलावा उन पर आरोप लगाया गया है कि सोशल मीडिया पर भी उन्होंने सक्रियता दिखाई जो नियमविरुद्ध है. साथ ही उन पर ननों की पोशाक ना पहनने और समय पर ना आने के भी आरोप लगाए गए. इस पत्र में कहा गया है कि लूसी ने अपनी गलती सुधारने की कोशिश नहीं की. इसलिए ये कार्रवाई की जा रही है.

Indien Neu Delhi Protest gegen Bischoff Franco Mulakkal
तस्वीर: Imago/Hindustan Times/B. Bhuyan

इस फैसले के बाद लूसी ने कहा कि वो अपनी जगह छोड़कर नहीं जाएंगी और इस फैसले के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगी. सितंबर 2018 में फ्रांको के विरोध में पांच ननों ने प्रदर्शन किया था. तब से इन ननों ने चर्च द्वारा दबाव बनाए जाने के आरोप लगाए हैं. सितंबर के प्रदर्शन के बाद लूसी को बाइबल पढ़ाने और प्रार्थनसभा में भाग लेने से रोक दिया गया था. उनके किसी भी धार्मिक गतिविधि में भाग लेने पर रोक लगा दी गई थी.

इस मामले में चर्च पर लग रहे हैं आरोप

फ्रांको का मामला सामने के आने के बाद से ही चर्च पर पक्षपात करने के आरोप लग रहे हैं. पीड़ित नन ने कहा कि पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने से पहले उसने चर्च के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर इस बारे में बताया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. फ्रांको ने नन के ऊपर ब्लैकमेलिंग का मामला दर्ज करवा दिया था. साथ ही नन का साथ देने वाली दूसरी ननों का तबादला भी दूसरी जगहों पर कर दिया गया और पीड़ित नन को अकेला करने की कोशिश की गई. इस मामले में गवाह रहे एक पादरी कुरिआकोसे कट्टूथारा की भी संदेहास्पद स्थितियों में मौत हो गई. जब आरोपी आर्चबिशप को कोर्ट से जमानत मिली तो उनका माला पहनाकर और पोस्टर लगाकर स्वागत किया गया था.

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