मध्य पूर्व में अपने लड़ाकू जहाज भेजेगा जापान
२७ दिसम्बर २०१९जापान सरकार की कैबिनेट ने एक आदेश जारी कर कहा कि जापान मध्य पूर्व के इलाके में अपने जहाजों की रक्षा करने के लिए एक युद्धक पोत और निगरानी पोत भेजेगा. ईरान की जलसीमा के पास ओमान की खाड़ी और अरब सागर में जापानी जहाजों की रक्षा करने और जानकारी जुटाने के लिए एक हेलीकॉप्टर युक्त युद्धक पोत और दो पी-3सी हवाई जहाज इस इलाके में तैनात किए जाएंगे. जापान इस मिशन में 206 नौसेनिकों की तैनाती करेगा. यह तैनाती जनवरी 2020 के आखिर से शुरू हो सकती है.
जापान के तेल आयात का 90 प्रतिशत हिस्सा मध्य पूर्व से आता है. ईरान और अमेरिका के बीच चल रहे तनाव में दो तेल टैंकरों पर इस इलाके में हमले हुए थे. इनमें से एक जापानी तेल टेंकर कोकुका भी था. अमेरिका ने इन हमलों का आरोप ईरान पर लगाया था. ईरान ने एक ब्रिटिश तेल टैंकर को भी बंधक बना लिया था. कुछ दिन हिरासत में रखने के बाद इस तेल टैंकर को छोड़ दिया गया था. इस घटना से ईरान और ब्रिटेन के बीच तनाव बढ़ गया. जापानी सरकार ने कहा है कि अगर वहां कोई आपात स्थिति पैदा होती है तो रक्षा मंत्रालय की तरफ से बल प्रयोग करने के आदेश दिए जा सकते हैं.
होरमुज जलडमरूमध्य में नहीं जाएगा मिशन
इस मिशन को ओमान की खाड़ी, अरब सागर के उत्तरी हिस्से के साथ लाल सागर और अदन की खाड़ी को जोड़ने वाले बाब अल मंदेब जलडमरूमध्य के बीच ही तैनात किया जाएगा. इस मिशन के कार्यक्षेत्र के इलाके में होरमुज जलडमरूमध्य को नहीं रखा गया है. दिसंबर में जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने दो दिवसीय ईरान यात्रा के दौरान ईरान के राष्ट्रपति हसन रोहानी को अपनी इस योजना के बारे में बताया था. जून 2019 में भी शिंजो आबे ने ईरान की यात्रा की थी. वह ईरान के सर्वोच्च नेता अयोतोल्लाह खमेनई से मिले थे. 41 साल में ये पहला मौका था जब कोई जापानी प्रधानमंत्री ईरान के दौरे पर गया.
जापान का ये मिशन रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है. अमेरिका ने छह देशों के साथ मिलकर होरमुज जलडमरूमध्य में जहाजों की रक्षा करने के लिए एक टास्क फोर्स बनाई है. जापान इस टास्क फोर्स में शामिल नहीं हुआ था. ईरान ने अमेरिका के इस कदम की आलोचना की थी.
आरएस/एके (डीपीए, रॉयटर्स)
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