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कानून और न्यायजापान

48 साल की जेल के बदले 14 लाख डॉलर का मुआवजा

२५ मार्च २०२५

एक आदमी को हत्या का दोषी करार दे कर लंबे समय तक मौत की सजा के इंतजार में कैद रखा गया. अब वह जापान के इतिहास का सबसे बड़ा मुआवजा लेकर जेल से रिहा हो रहा है.

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रिहाई के बाद एक समर्थक के साथ इवाओ हाकामादा (सितंबर, 2024)
इवाओ हाकामादा ने 48 साल हिरासत में मौत की आशंका के बीच बिताए हैंतस्वीर: Kyodo News/AP/picture alliance

पूर्व बॉक्सर इवाओ हाकामादा ने हिरासत में 48 साल से ज्यादा बिताए हैं. इस तरह उन्होंने दुनिया में सबसे लंबे समय तक मौत की सजा का इंतजार कैद में रह कर किया है. जापान की सरकार उन्हें हर दिन के लिए लगभग 83 अमेरिकी डॉलर का मुआवजा दे रही है. जापान की मीडिया का कहना है कि इस तरह के मामलों में यह जापान में दिया गया सबसे बड़ा मुआवजा है.

चार लोगों की हत्या का आरोप

अब 89 साल के हो चुके हाकामादा को 1966 में चार लोगों की हत्या का दोषी करार दिया गया था. उनकी बहन और दूसरे लोगों ने उन्हें इस दोष से मुक्त करने के लिए लंबा अभियान चलाया जिसके बाद पिछले साल उन्हें कोर्ट ने इस मामले में निर्दोष करार दिया. इस मामले ने जापान के न्याय तंत्र पर बड़े सवाल उठाए हैं और उनकी समीक्षा करने की मांग हो रही है.

सोमवार को सिजुओका डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने हाकामादा के लिए मुआवजे पर फैसला सुनाया. कोर्ट के प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "वादी को 217,362,500 येन यानी 14.4 लाख डॉलर का मुआवजा मिलेगा." इसी अदालत ने बीते साल सितंबर में इस मामले की दोबारा सुनवाई में फैसला दिया था कि हाकामादा दोषी नहीं थे और पुलिस ने सबूतों से छेड़छाड़ की थी. उस वक्त अदालत ने कहा था हाकामादा के साथ, "अमानवीय तरीके से पूछताछ की गई थी जिसका मकसद उन्हें आरोप मानने के लिए मजबूर करना था," जिसे बाद में उन्होंने वापस ले लिया था.

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सबूतों से छेड़छाड़

हाकामादा को उनके बॉस, उनकी पत्नी और दो किशोर बच्चों की हत्या और उन्हें लूटने का दोषी माना गया था. शुरुआत में उन्होंने आरोपों से इनकार किया लेकिन पुलिस का कहना था कि आखिरकार उन्होंने जुर्म कबूल कर लिया. सुनवाई के दौरान हाकामादा ने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि उनसे जबरन जुर्म कबूल कराया गया.

हत्या के करीब एक साल बाद जांच अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने खून के धब्बों वाला कपड़ा बरामद किया है. इसे तब एक अहम सबूत माना गया बाद में अदालत ने कहा कि उसे जांच अधिकारियों ने ही रखवाया था.

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मौत की आशंका में दशकों का इंतजार

हाकामादा के वकीलों का कहना है कि 1966 में गिरफ्तारी से लेकर 2014 में रिहाई तक उन्होंने जो कुछ झेला है उसके लिए यह मुआवजा काफी कम है. 2014 में मुकदमे की दोबारा सुनवाई की मंजूरी मिलने के बाद उनकी रिहाई हुई.

हाकामादा के वकील हिदेयो ओगावा ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, "मेरा ख्याल है कि वह इसे स्वीकार करेंगे...उनकी मुश्किलों की इससे कुछ भरपाई हो सकेगी. हालांकि पिछले 47-48 वर्षों में जो मुश्किलें उन्होंने झेली हैं और इस हाल में पहुंचे हैं, यह दिखाता है कि अदालत ने जो गलतियां की हैं, उनकी 20 करोड़ येन से भरपाई नहीं होगी."

जो आदमी चार दशक तक हिरासत में रहे और हर पल मौत की आशंका में बिताए उसकी हालत समझी जा सकती है. उनके मानसिक स्वास्थ्य पर इसका काफी बुरा असर हुआ है. उनके वकीलों का कहना है कि "वह सपनों की दुनिया में जी रहे थे."

जापान का न्याय तंत्र

हाकामादा अब अपनी बहन के साथ रहते हैं और उन्हें अपने समर्थकों की मदद भी मिली है. जापान में किसी मामले की दोबारा सुनवाई बहुत कठिन है. अकसर मौत की सजा का इंतजार कर रहे कैदियों को फांसी दिए जाने से महज कुछ घंटे पहले इसकी सूचना मिलती है.

हाकामादा पांचवें ऐसे कैदी हैं जिन्हें विश्वयुद्ध के बाद मौत की सजा के मुकदमों में दोबारा सुनवाई की मंजूरी मिली. इससे पहले के चार मामलों में भी कैदियों को मुकदमे से बरी किया गया. विकसित देशों में अमेरिका के अलावा जापान अकेला ऐसा लोकतांत्रिक देश है जहां अब भी मौत की सजा दी जाती है. जापान के लोग इस नीति का समर्थन करते हैं. जापान के न्याय मंत्री ने अक्टूबर में कहा था कि हाकामादा को बरी किए जाने के बावजूद मौत की सजा को खत्म करना "अनुचित" होगा.

एनआर/एए (एएफपी)