इस्राएल ने कुछ इलाकों में संघर्ष विराम की घोषणा की
२७ जुलाई २०२५गाजा पट्टी में लगातार बिगड़ते मानवीय हालात और वैश्विक दबाव के बीच, इस्राएली सेना ने रविवार से तीन इलाकों में हर दिन "संघर्षविराम जैसी मानवीय रोक" लागू करने की घोषणा की है. यह अस्थायी युद्धविराम गाजा सिटी, दीर अल-बलह और मुवासी क्षेत्रों में सुबह 10 बजे से रात 8 बजे तक प्रभावी रहेगा. साथ ही, इस्राएल ने इन क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने के लिए सुरक्षित मार्ग तय करने और हवाई जहाजों से राहत सामग्री गिराने का दावा भी किया है.
हालांकि, सेना का कहना है कि इन क्षेत्रों में उसका कोई सक्रिय सैन्य अभियान नहीं है, लेकिन बीते कुछ हफ्तों में इन इलाकों में हवाई हमले और गोलीबारी देखी गई है. सेना ने यह भी बताया कि इन कदमों का उद्देश्य मानवीय संगठनों को भोजन, दवाएं और अन्य जरूरी सामान पहुंचाने में सहायता करना है. शनिवार को इस्राएल ने घोषणा की थी कि वह फिर से हवाई राहत की अनुमति देगा.
गाजा में बिगड़ते हालात
कई संगठनों का दावा है कि गाजा में स्थिति गंभीर होती जा रही है. गाजा के अधिकारियों के मुताबिक हाल के हफ्तों में सैकड़ों फलस्तीनी नागरिक, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, भोजन वितरण केंद्रों के पास मारे गए हैं. शनिवार को ही फलस्तीनी नागरिक सुरक्षा एजेंसी ने बताया कि 50 से अधिक लोग इस्राएली हमलों में मारे गए, जिनमें 14 लोग उन केंद्रों के पास मारे गए जहां भोजन बांटा जा रहा था.
शनिवार को एक और घटना में, इस्राएली नौसेना ने ‘फ्रीडम फ्लोटिला कोएलिशन' नामक समूह की एक नाव हंडाला को समुद्र में रोका, जो गाजा में थोड़ी मात्रा में राहत सामग्री पहुंचाने की कोशिश कर रही थी. इससे पहले भी इसी समूह कीएक अन्य नाव ‘मैडलिन' को रोका गया था.
इस्राएल ने दावा किया है कि उसने राहत ट्रकों के प्रवेश पर कोई रोक नहीं लगाई है और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां गाजा के भीतर ट्रकों से राहत सामग्री नहीं उठा रही हैं. लेकिन मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि इस्राएली सेना गाजा के अंदर जरूरत से ज्यादा प्रतिबंध लगाती है और राहत कार्यों की राह में लगातार बाधाएं खड़ी करती है.
हवाई राहत की सीमाएं और आलोचना
इस्राएल, यूएई और ब्रिटेन जैसे देश हवाई राहत अभियान चलाने या दोबारा शुरू करने की बात कर रहे हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि ये प्रयास पर्याप्त नहीं हैं. संयुक्त राष्ट्र की फलस्तीनी शरणार्थी एजेंसी यूएनआरडब्ल्यूए के प्रमुख फिलिप लाजारीनी ने कहा, "हवाई राहत से गहराती भुखमरी नहीं रुकेगी. यह महंगी, अलाभकारी और कई बार जानलेवा होती है.” विशेषज्ञों का कहना है कि व्यापक पैमाने पर राहत केवल जमीन के रास्ते ही संभव है.
उधर इस्राएल पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है. ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी ने रविवार को इस्राएल पर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "गाजा में नागरिकों की मौत अस्वीकार्य है. यह स्पष्ट तौर पर अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है कि भोजन की सप्लाई को रोका जाए.” हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऑस्ट्रेलिया फिलहाल फलस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता नहीं देगा, जब तक सभी परिस्थितियां अनुकूल नहीं होतीं.
इधर, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने घोषणा की है कि सितंबर में फ्रांस फलस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देगा. संयुक्त राष्ट्र के लगभग 140 सदस्य देश पहले ही फलस्तीन को मान्यता दे चुके हैं, लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे कई प्रमुख पश्चिमी देश अब तक इससे दूर रहे हैं.
अक्टूबर, 2023 में शुरू हुए इस्राएल-हमास युद्ध में अब तक फलस्तीनी अधिकारियों के मुताबिक 59,000 से अधिक फलस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें अधिकांश नागरिक हैं. युद्ध की शुरुआत हमास की ओर से इस्राएली नागरिकों पर किए हमले से हुई थी, जिसमें 1,219 लोगों की मौत हुई थी. उसके बाद से गाजा पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया, जिससे भोजन, दवा और ईंधन की भारी कमी हो गई.