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समाजजर्मनी

जर्मनी में ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करना इतना मुश्किल क्यों?

२ मई २०२५

जर्मनी में कई युवाओं के लिए ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करना काफी मुश्किल हो गया है. लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया में सुधार लाने की मांग जोर पकड़ रही है, लेकिन क्या यह काफी होगा?

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यूरोपीय संघ की मुद्रा यूरो की एक सांकेतिक तस्वीर
जर्मनी में ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करना महंगा है, इसमें हजारों यूरो का खर्च आता हैतस्वीर: Frank Hoermann/SVEN SIMON/picture alliance

इन दिनों जर्मनी में ड्राइविंग सीखने के लिए सिर्फ धैर्य की जरूरत नहीं है. इसके लिए काफी पैसा भी चाहिए. जर्मनी के सबसे बड़े ऑटोमोबिल क्लब 'एडीएसी' के मुताबिक, ड्राइविंग लाइसेंस पाने में 2,500 यूरो से लेकर 3,500 यूरो तक का खर्च आ सकता है. कुछ मामलों में तो इससे भी ज्यादा. पढ़ाई कर रहे युवाओं और आम लोगों के लिए इतनी रकम जुटाना वाकई मुश्किल हो सकता है.

यूरोपीय संघ (ईयू) के किसी एक देश में बना ड्राइविंग लाइसेंस पूरे यूरोप में मान्य होता है, लेकिन लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया और उससे जुड़े नियम राष्ट्रीय स्तर पर तय किए जाते हैं. ईयू के हर सदस्य देश में ड्राइविंग स्कूल की अपनी व्यवस्था है, जिससे ड्राइविंग सीखने की कीमत तय होती है. 

जर्मनी में ड्राइविंग की पढ़ाई बहुत विस्तृत तरीके से होती है. इसके लिए सख्त कानून बनाए गए हैं. सीखने वालों को कम-से-कम 14 थिअरी क्लास (नियम-कानूनों की पढ़ाई) और 12 प्रैक्टिकल ड्राइविंग क्लास करने पड़ते हैं. वहीं, पोलैंड में कानून थोड़ा कम सख्त है. इसके बावजूद, यहां भी 26 थिअरी और 30 प्रैक्टिकल क्लास पूरे करने होते हैं. इसमें 600 से 900 यूरो तक का खर्च आता है. 

जर्मनी में कार के भीतर बैठे तीन शख्स. ड्राइविंग टेस्ट की सांकेतिक तस्वीर
जर्मनी में अगर ड्राइविंग की व्यावहारिक परीक्षा में पास ना हों, तो फिर से टेस्ट देने का खर्च ही करीब 130 यूरो हैतस्वीर: Antje Kunde/dpa/DEKRA/picture alliance

ऐसे में, जर्मनी में ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने की सुविधा में सुधार लाने की मांग जोर पकड़ रही है. क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन (सीडीयू) के परिवहन नीति के प्रवक्ता फ्लोरियान म्यूलर उन लोगों में से हैं, जो 'समय के मुताबिक और आधुनिक ड्राइविंग एजुकेशन' पर जोर दे रहे हैं, जो किफायती भी हो और जिसमें सड़क की मौजूदा स्थिति की भी जानकारी दी जाती हो. उन्होंने डीडब्ल्यू से बातचीत में रेखांकित किया कि आखिरकार, जर्मनी में 'कार अभी भी परिवहन का नंबर एक साधन है' और कई लोग लाइसेंस पर निर्भर हैं.

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वर्षा अय्यर यह सब अच्छी तरह जानती हैं. मूल रूप से भारत की रहने वाली वर्षा 2018 में पढ़ाई के लिए जर्मनी आई थीं. उन्हें जर्मनी में लाइसेंस बनवाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा और काफी पैसे भी खर्च हुए. हालांकि, उनके पास कोई और चारा नहीं था क्योंकि कार के बिना उन्हें अपने घर से डुसेलडॉर्फ शहर में स्थित कॉलेज जाना मुश्किल था.

ड्राइविंग सीखने के लिए उन्हें काफी पैसे जुटाने पड़े. इसके लिए उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान एक बेकरी में पार्ट-टाइम नौकरी की. उन्होंने अपने पहले प्रयास में थिअरी परीक्षा पास कर ली, लेकिन प्रैक्टिकल परीक्षा में पांच बार असफल रहीं.

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उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "सबसे बड़ी परेशानी यह थी कि टेस्ट के नियम बहुत सख्त थे. मैं समझती हूं कि बेहतर नियम जरूरी हैं, लेकिन असल जिंदगी में गाड़ी चलाने के दौरान ये नियम उतने काम के नहीं होते हैं." वर्षा को लाइसेंस बनवाने में कुल मिलाकर 5,000 यूरो से ज्यादा लगे, जो उनकी पूरी बचत के बराबर था.

जर्मनी में लाइसेंस हासिल करने की यह प्रकिया वर्षा अय्यर जैसे प्रवासियों के लिए काफी कठिन है. पहले तो इन्हें भाषा संबंधी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा ये प्रवासी जिस देश से आते हैं, वहां की यातायात व्यवस्था जर्मनी से बिल्कुल अलग हो सकती है. जैसे, भारत में सड़क के बाईं ओर गाड़ी चलाने की व्यवस्था है, तो जर्मनी में दाईं ओर.

वर्षा ने बताया, "जर्मनी में गाड़ी चलाना स्पष्ट रूप से सौभाग्य की बात है, या यूं कहें कि यह एक विशेषाधिकार है. बहुत कम लोगों के पास ही टेस्ट के लिए दोबारा भुगतान करने लायक पर्याप्त पैसा होता है."

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यूरोपीय संघ के किसी एक देश में बना ड्राइविंग लाइसेंस समूचे ब्लॉक में मान्य होता है, लेकिन लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया और नियम राष्ट्रीय स्तर पर तय किए जाते हैंतस्वीर: Michael Probst/AP/picture alliance

दूसरे देशों से लाइसेंस हासिल करना भी मुश्किल

ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में आने वाले काफी ज्यादा खर्च के कारण जर्मनी में काफी लोग पोलैंड जैसे पड़ोसी देशों में अपना ड्राइविंग टेस्ट देने पर विचार कर रहे हैं. हालांकि, यह इतना आसान भी नहीं है.

एडीएसी की प्रवक्ता काटारीना लुका ने डीडब्ल्यू को बताया, "लोग अक्सर भूल जाते हैं कि लाइसेंस पाने के लिए आपको उस देश में कम-से-कम 185 दिन रहना होगा. इसके बाद, वहां आने-जाने और घर का खर्च अलग है."

लुका का मानना है कि असली हल जर्मनी के सिस्टम में सुधार लाना है, ताकि ड्राइविंग सीखना और आसान हो जाए. फ्लोरियान म्यूलर के मुताबिक, सीखने की प्रक्रिया एक तरह का पैमाना है. उन्होंने कहा, "इससे पता चलता है कि क्या हो रहा है. हम यह देख रहे हैं कि लोगों को अपना लाइसेंस पाने में पहले से कहीं ज्यादा समय लग रहा है."

सुरक्षा मानकों के समूह 'टीयूवी एसोसिएशन' के आंकड़ों के मुताबिक, अब लगभग दो में से एक उम्मीदवार थिअरी टेस्ट में फेल हो जाता है. ये अब तक की सबसे ज्यादा दर है. प्रैक्टिकल टेस्ट में भी फेल होने वालों की संख्या बढ़ रही है और एक तिहाई से ज्यादा लोग पास नहीं हो पाते.

जितनी ज्यादा प्रैक्टिस, उतना ज्यादा खर्च

जर्मनी के राज्य परिवहन मंत्री अब प्रशिक्षण के सैद्धांतिक (थिअरी) हिस्से को आसान बनाने पर जोर दे रहे हैं. हालांकि, नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया में ड्राइविंग प्रशिक्षकों के संघ के अध्यक्ष कुर्ट बार्टेल्स को संदेह है कि इससे ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने में कम खर्च आएगा. आखिरकार, सैद्धांतिक परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन करने में सिर्फ 25 यूरो का खर्च आता है.

उन्होंने बताया, "असल में, लोगों को जितनी ड्राइविंग क्लास लेनी पड़ती हैं उनकी संख्या की वजह से खर्च बढ़ता है. हमारे ग्राहक बदल गए हैं. युवा लोग अब सड़क पर नहीं, बल्कि अपने स्मार्टफोन पर नजर रखते हैं. वे हमारे पास आते हैं और वे ट्रैफिक के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते हैं."

हाल के वर्षों में यातायात की स्थिति भी बहुत जटिल हो गई है. अब ट्रेनिंग के दौरान ई-स्कूटर या 'एडवांस ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम' जैसी चीजों का भी ध्यान रखना होता है और इन सभी का पैसा लगता है.

इसके अलावा ड्राइविंग स्कूल बढ़ते किराए, वाहन की लागत और योग्य प्रशिक्षकों की कमी से भी जूझ रहे हैं.

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ड्राइविंग सिम्युलेटर के माध्यम से गाड़ी चालक बुनियादी चीजें जैसे कि गियर बदलना और ब्रेक लगाना सीख सकते हैं. मगर क्या ये असली प्रशिक्षण की जगह ले सकता है?तस्वीर: Vivek Sharma/DW

क्या ड्राइविंग सिम्युलेटर इसका समाधान है?

एक तरीका यह सुझाया गया है कि गाड़ी चलाना सिखाने के प्रशिक्षण में ड्राइविंग सिम्युलेटर को शामिल किया जाए. गियर बदलना या ब्लाइंड स्पॉट देखना, ऐसी बुनियादी चीजें वर्चुअल तरीके से सिखाई जा सकती हैं.

म्यूलर का मानना है कि प्रशिक्षकों की संख्या कम होने के कारण सिम्युलेटर बोझ को कम करने में मदद कर सकते हैं. उन्होंने कहा, "आप इस बात पर विचार कर सकते हैं कि कौन से काम केवल ड्राइविंग प्रशिक्षक ही कर सकते हैं और कौन से हिस्से संभावित रूप से मशीन की मदद से किए जा सकते हैं."

फ्रांस जैसे देशों में, सिम्युलेटर पहले से ही ड्राइविंग पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं. जर्मनी में अभी तक इसे आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं मिली है. बार्टेल्स भी इसपर संशय में हैं. वह कहते हैं, "अगर आप सिम्युलेटर का इस्तेमाल करते हैं, तो वह भी प्रशिक्षक की निगरानी में होना चाहिए. कोई भी सिम्युलेटर असल ड्राइविंग की जगह नहीं ले सकता, खासकर जब बात ऑटोबान या रात को गाड़ी चलाने की हो."

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महत्वाकांक्षा और असलियत के बीच फर्क

फ्लोरियान म्यूलर द्वारा लाइसेंस को और अधिक किफायती बनाने के हालिया प्रस्ताव को बुंडेसटाग में खारिज कर दिया गया. फिर भी इस दिशा में कदम उठाने का दबाव बढ़ रहा है. साल 2020 से ड्राइविंग स्कूल और टेस्ट की लागत में 38 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो मुद्रास्फीति की दर से कहीं अधिक है.

एडीएसी की प्रवक्ता लुका कहती हैं, "हो सकता है हमारी ड्राइविंग शिक्षा महंगी हो, लेकिन यह बहुत अच्छी तरह से सिखाई जाती है. साथ ही, हम यह भी देखते हैं कि जिन दूसरे देशों में ड्राइविंग सिखाने के कार्यक्रम सस्ते हैं, वहां जरूरी नहीं कि हादसे ज्यादा होते हों."

उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रिया में जो लोग गाड़ी चलाना सीख रहे होते हैं वे किसी ऐसे बड़े व्यक्ति के साथ अकेले में गाड़ी चला सकते हैं, जिनके पास लाइसेंस है. इससे ड्राइविंग स्कूल की क्लास का खर्च कम हो जाता है.

इन सब के बीच, वर्षा अय्यर का मानना है कि जर्मनी में ड्राइविंग लाइसेंस "एक विशेषाधिकार है, जो अन्य विशेषाधिकारों के दरवाजे खोलता है. अगर आप इसे हासिल करने का खर्च उठा सकते हैं, तो आपको फायदा मिलेगा. अगर नहीं, तो स्टीयरिंग वील आपकी पहुंच से बाहर है."

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