समुद्री लहरों से बचने के लिए मैंग्रोव का सहारा ले रही हैं महिलाएं
इंडोनेशिया में समुद्र किनारे बसे लोग एक एक कर अपनी जमीन खो रहे हैं. समंदर का बढ़ता पानी उनके घरों को निगल रहा है. लेकिन कुछ महिलाएं बढ़ते जलस्तर से निपटने के लिए मैंग्रोव के पेड़ का सहारा ले रही हैं.
समुद्र में डूबते घर
इंडोनेशिया के मध्य जावा प्रांत में 55 साल की गृहिणी पासीजा, हर सुबह समुद्र की आवाज सुनकर जगती हैं. उनका घर रेजोसारी सेनिक के इस हिस्से में बचा हुआ एकमात्र घर है, जो जावा के उत्तरी तट पर एक छोटा सा गांव है. यह कभी सूखी जमीन पर था लेकिन अब पानी में डूबा हुआ है.
घर छोड़कर जाते लोग
पिछले कुछ सालों में पासीजा के पड़ोसियों ने अपने घरों, सब्जियों के खेतों और चावल के खेतों को समुद्र में छोड़ दिया, लेकिन वह और उसका परिवार यहां से जाने की कोई योजना नहीं बना रहे हैं. उन्होंने रॉयटर्स से कहा, "मेरा यहां रहने का पूरा इरादा है और इस घर के लिए मेरी भावनाएं अभी भी बनी हुई हैं."
जीवन के लिए खतरा बनता बढ़ता जल स्तर
इंडोनेशिया हजारों द्वीपों का एक द्वीपसमूह है. इसकी तटरेखा लगभग 81,000 किमी है, जो इसे बढ़ते समुद्र और कटाव के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील बनाती है.
प्रकृति का सहारा
समुद्र के बढ़ते जल स्तर से बचने के लिए पासीजा और उनका परिवार प्रकृति का सहारा ले रहा है. उन्होंने पिछले दो दशकों में हर साल लगभग 15,000 मैंग्रोव के पेड़ लगाए हैं. हर दिन, वह नीले प्लास्टिक के बैरल से बनी नाव में बैठकर झाड़ियों की देखभाल करती हैं और नए पौधे लगाती हैं.
जमीन को निगलता पानी
पासीजा ने कहा, "बाढ़ का पानी लहरों में आता है, धीरे-धीरे, एक साथ नहीं. मुझे एहसास हुआ कि पानी बढ़ने के बाद मुझे मैंग्रोव के पेड़ लगाने की जरूरत है ताकि वे फैल सकें और हवा और लहरों से घर की रक्षा कर सकें."
अस्थाई गांवों में शरण लेने को मजबूर लोग
प्लास्टिक के थैले को साफ करता एक इंडोनेशियाई नागरिक. इन्हीं थैलों को दोबारा बेचकर उसकी जिंदगी चलती है. इसका घर डूब गया है और दीवारों से घिरे इलाके में किसी तरह दिन गुजर रहे हैं.