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क्या है भारत का ग्रीन हाइड्रोजन मिशन

५ जनवरी २०२३

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी है. इसके तहत सरकार की उत्सर्जन में कटौती की योजना है. ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए भारत ने 19,744 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी.

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ग्रीन हाइड्रोजन
ग्रीन हाइड्रोजनतस्वीर: DW

इस मिशन के तहत को भारत को ऊर्जा-स्वतंत्र बनाने की योजना, अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों को कार्बन मुक्त करना, और वैकल्पिक ईंधन और इसके डेरिवेटिव के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र में बदलना है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस मिशन के लिए बुधवार को 19,744 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी. मिशन के तहत यह उम्मीद की जा रही है कि भारत 2030 तक 50 लाख टन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का लक्ष्य हासिल कर लेगा.

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की योजना 13,000 करोड़ रुपये के हरित हाइड्रोजननिर्माण के लिए प्रत्यक्ष प्रोत्साहन देने की है. इसमें इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण के लिए लगभग 4,500 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन की परिकल्पना की गई है.

मिशन का नेतृत्व कैबिनेट सचिव और सचिवों का एक अधिकार प्राप्त समूह करेगा. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने पत्रकारों से कहा कि मिशन के तहत छह लाख से ज्यादा नौकरियों के अवसर पैदा होने के आसार हैं.

महंगे पेट्रोल-डीजल का विकल्प

सरकार का कहना है कि इस फैसले से जीवाश्म ईंधन जैसे कच्चा तेल, कोयला आदि के आयात में एक लाख करोड़ रुपये तक की कमी का अनुमान है. इसके अलावा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में पांच करोड़ टन की कमी आएगी. इस मिशन का मकसद पेट्रोल-डीजल जैसे जीवश्म ईंधनपर निर्भरता खत्म करते हुए देश को स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन का केंद्र बनाना है. मिशन के तहत ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादक और उपभोक्ता को एक ही जगह लाया जाएगा ताकि ढुलाई खर्च भी न बढ़े. योजना सफल होने पर लोगों को महंगे पेट्रोल और डीजल का विकल्प मिल जाएगा.

क्या है ग्रीन हाइड्रोजन

ग्रीन हाइड्रोजन एक तरह की स्वच्छ ऊर्जा है. इसे नवीकरणीय ऊर्जा की मदद से इलेक्ट्रोलिसिस के जरिए बनाया जाता है और इसे बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह से कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन से मुक्त होती है. हाइड्रोजन बनाने के दो तरीके हैं. पहला पानी में से बिजली को गुजारा जाता है, दूसरा प्राकृतिक गैस से हाइड्रोजन और कार्बन को तोड़ कर बनाया जाता है. इलेक्ट्रोलिसिस में स्वच्छ ऊर्जा इस्तेमाल हुई तो उससे बनने वाली हाइड्रोजन ग्रीन कहलाएगी. जानकारों का कहना है कि यह ऑयल रिफाइनिंग, फर्टिलाइजर, सीमेंट, स्टील और भारी उद्योगों को कार्बन मुक्त करने में मदद कर सकती है.

फिलहाल भारत में प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन दर काफी कम है और इसने अपने नेट जीरो उत्सर्जन लक्ष्य की सीमा 2070 तक कर दी है और ऐसा माना जा रहा है कि साल 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने में भी ये मदद करेगा.

हाइड्रोजन से चलने वाली बस

आमिर अंसारी, डीडब्ल्यू हिन्दी, नई दिल्ली
आमिर अंसारी डीडब्ल्यू के दिल्ली स्टूडियो में कार्यरत विदेशी संवाददाता.