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कारोबारजर्मनी

आईटी क्षेत्र में जर्मन मिटेलश्टांड के साथ सहयोग बढ़ाएगा भारत

९ जून २०२२

'दुनिया सोचे आईटी, तो नाम आए भारत का'. इसे मोटो बनाने वाले भारत के आईटी उद्योग संगठन, नैसकॉम ने जर्मनी में नए सहयोग समझौते किए हैं. वह जर्मनी के एसएमई उद्यमों के संगठन के साथ आईटी क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाएगा.

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Mechanical engineering in Germany - A Dürr AG employee tests a painting robot.
जर्मन अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने में एसएमई सेक्टर की कंपनियों का बड़ा हाथ रहा हैतस्वीर: dpa/picture alliance

मिटेलश्टांड यानि छोटे और मझोले आकार वाली कंपनियां जर्मन अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती हैं. उनके प्रतिनिधि संगठन BVMW मिटेलश्टांड ने जर्मनी में डिजिटल तरक्की को बढ़ावा देने के लिए भारतीय आईटी सेक्टर के साथ हाथ मिलाया है. जर्मनी के हनोवर में होने वाले विश्व के सबसे बड़े सालाना औद्योगिक मेले के दौरान मिटेलश्टांड संगठन ने भारत के नैसकॉम के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.

जर्मनी के विख्यात एसएमई सेक्टर के सामने बीते सालों में जल्द से जल्द डिजिटाइजेशन की ओर बढ़ने की चुनौती पेश आ रही है. घरेलू बाजार और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए इन कंपनियों को डिजिटल तौर तरीके अपनाने की जरूरत है. उद्योगों और नई तकनीकें विकसित करने के मामले में अग्रणी रहने वाला जर्मनी सॉफ्ट पावर यानि आईटी स्किल के मामले में भारत के साथ सहयोग को और गहरा बनाना चाहता है.

Indian IT meets German Mittelstand at the Indian Embassy
बाएं से दाएं: श्टेफान श्नॉर (जर्मन डिजिटल एवं ट्रांसपोर्ट मंत्रालय), पी. हरीश (भारतीय राजदूत, जर्मनी), मार्कुस येर्गर (जर्मन मिटेलश्टांड) और गगन सभरवाल (नैसकॉम) तस्वीर: BVMW

जर्मन राजधानी बर्लिन स्थित भारतीय दूतावास में मीडिया से बातचीत में जर्मन मिटेलश्टांड के कार्यकारी अध्यक्ष मार्कुस येर्गर ने इस नए सहयोग समझौते को स्थायी और दूरगामी संबंध स्थापित करने की दिशा में एक अहम कदम बताया और कहा कि "पहले ही कुछ ठोस कदमों की योजना बना ली गई है जिससे सदस्य कंपनियों को अलग अलग मौकों पर इस फ्रेमवर्क के अंतर्गत साथ लाया जाएगा." मार्कुस येर्गर ने बताया, "डिजिटल युग में जर्मन अर्थव्यवस्था की रीढ़ यानि मिटेलश्टांड के लिए यह बेहद जरूरी है कि वे अपने बिजनेस प्रोसेस इस तरह से डिजिटाइज करें कि वैश्विक बाजार में बने रहें. मुझे पूरा भरोसा है कि आईटी सेक्टर के भारतीय पार्टनर अपनी विशेषज्ञता और संसाधनों से इसमें मदद कर पाएंगे.”

जर्मनी में भारत के राजदूत पी हरीश ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विस्तार से कहा कि भारतीय आईटी उद्योग जर्मन कंपनियों के डिजिटाइजेशन में किस तरह की भूमिका निभा सकता है. इस समझौते के अंतर्गत निवेश, संयुक्त उपक्रमों और बिजनेस डेलिगेशनों के आने जाने को बढ़ावा दिया जाएगा. ऐसे कदमों से द्विपक्षीय संबंधों को गहरा और भरोसेमंद बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है. इसके अलावा सेमिनार, कॉन्फ्रेंस और रोड शो जैसे कार्यक्रम आयोजित करने की भी योजना है. हनोवर की ही तरह जर्मनी के दूसरे व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों में भी भारतीय आईटी कंपनियां शिरकत करेंगी और जर्मनी में कारोबारी संबंधों को बेहतर बनाएंगी.

नैसकॉम की अध्यक्ष देबयानी घोष ने इस समझौते के बारे में कहा, "एक ओर जर्मनी अत्याधुनिक रिसर्च, विकास और निर्माण के मामले में बेहतरीन है. वहीं भारत का तकनीक से जुड़ा एसएमई सेक्टर नई उभरती तकनीकों, क्लाउड तकनीक और डिजिटल तकनीक में दक्ष पेशेवरों की मदद से बहुत बड़े डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन से गुजरा है. ऐसे में यह दोनों ही देशों के छोटे और मझोले उद्योगों के लिए फायदे की साझेदारी साबित होनी चाहिए.”

भारतीय आईटी उद्योग को अपने आप में एक पावरहाउस की संज्ञा दी जाने लगी है. इसके दो मुख्य कारण भारी आर्थिक प्रभाव और लाखों लोगों को इस सेक्टर में मिला रोजगार है. वहीं जर्मन मिटेलश्टांड भी अपने आप में बहुत खास हैं. जर्मनी के इन करीब 30 लाख छोटे और मझौले उद्यमों में मिलने वाले रोजगार के कारण देश में बेरोजगारी की दर भी यूरोप के दूसरे देशों के मुकाबले भी काफी कम रही है. इन कंपनियों में मिलने वाला व्यावसायिक प्रशिक्षण एक तरह से नौकरी पाने की गारंटी है. देश के 10 में 8 ट्रेनी इन्हीं उद्यमों में ट्रेनिंग पाते हैं.

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एडिटर, डीडब्ल्यू हिन्दी
ऋतिका पाण्डेय एडिटर, डॉयचे वेले हिन्दी. साप्ताहिक टीवी शो 'मंथन' की होस्ट.@RitikaPandey_