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समाज

मौत के कारण बनते सेप्टिक टैंक

२० अक्टूबर २०२०

सेप्टिक और सीवर टैंक में घुसकर सफाई करने वालों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया है. दिल्ली में एक सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान जहरीली गैस की चपेट में आने से दो मजदूरों की मौत हो गई और चार घायल हो गए.

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तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Das

देश में सेप्टिक टैंक की सफाई जोखिम भरा काम है और मजदूर चंद रुपयों के लिए बिना सुरक्षा उपकरण के जान जोखिम में डालकर सेप्टिक और सीवर टैंक की सफाई करने उतर जाते हैं. ताजा मामला दिल्ली के आदर्श नगर इलाके का है, जहां एक फैक्ट्री के "सेफ्टी टैंक" की सफाई के दौरान जहरीली गैस की चपेट में आने से दो कर्मचारियों की मौत हो गई. चार अन्य मजदूर बुरी तरह से घायल हो गए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक परिवार के सदस्यों और दिल्ली फायर सर्विस का कहना है कि मजदूरों के पास जरूरी सुरक्षा उपकरण नहीं थे. सुरक्षा नियमों के तहत सीवर टैंक या सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान जब कोई मजदूर जाता है तो उसके पास मास्क, सेफ्टी जूते, सेफ्टी बेल्ट्स आदि होने चाहिए लेकिन आरोप है कि इनके पास सुरक्षा उपकरण नहीं थे.

मृतकों की पहचान इदरीस और सलीम के रूप में हुई है और दोनों ही उत्तर प्रदेश के खुर्जा के रहने वाले थे. वे अक्सर दिल्ली आते थे और सोने की चेन फैक्ट्री के सेफ्टी टैंक में उतर कर सोने के अवशेष इकट्ठा करने के लिए जाते थे. डीसीपी नार्थवेस्ट विजयंता आर्या के मुताबिक मजदूरों को रोज का 400 रुपये मेहनताना दिया जाता था. उन्होंने बताया कि फैक्ट्री में सोने की चेन बनती है और टैंक में आभूषणों को साफ करने वाला केमिकल जमा होता है. टैंक की सफाई का काम फैक्ट्री के मालिक ने निजी ठेकेदार को दिया था. पुलिस के मुताबिक दोनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 और 337 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. दिल्ली में 15 दिन में ऐसी दूसरी घटना है.

भयानक स्थिति

दिल्ली फायर विभाग के अधिकारी ने मीडिया को बताया कि टैंक 15 से 20 फीट गहरा हो सकता है. मजदूरों को पर्याप्त सुरक्षा उपकरण नहीं दिए गए थे. सफाई वाली जगह पर एक बांस की सीढ़ी थी और मजदूर उसी पर खड़े थे. विभाग के मुताबिक हेडलाइट की जगह बस एक बल्ब लटकी हुई थी. दिल्ली फायर सर्विस के मुताबिक जहरीली गैस की चपेट में आने से वहां खड़ा पहला मजदूर बेहोश हो गया और उसके बाद उसे बचाने कूदा दूसरा मजदूर भी बेहोश हो गया. फायर सर्विस का कहना है कि टैंक के अंदर से सख्त दुर्गंध आ रही थी.

राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के मुताबिक पिछले एक दशक में सेप्टिक टैंकों की सफाई के दौरान 631 लोगों की मौत हुई है. सबसे अधिक मौत साल 2019 में 115 लोगों की हुई.

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आमिर अंसारी, डीडब्ल्यू हिन्दी, नई दिल्ली
आमिर अंसारी डीडब्ल्यू के दिल्ली स्टूडियो में कार्यरत विदेशी संवाददाता.
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