भारत में आजादी घटी, पर कश्मीर में बढ़ी: फ्रीडम हाउस
लोकतंत्र पर शोध करने वाले अमेरिकी समूह फ्रीडम हाउस ने कहा है कि 2024 में दुनियाभर में आजादी के स्तर में गिरावट आई. समूह ने कहा कि भारत में भी लोकतंत्र में और गिरावट देखने को मिली.
गिरा आजादी का स्तर
फ्रीडम हाउस ने कहा है कि 2024 में पूरी दुनिया में आजादी के स्तर में गिरावट दर्ज की गई. समूह की सालाना रिपोर्ट की सह-लेखक याना गोरोखोवस्काया ने कहा कि यह लगातार 19वां साल था जब वैश्विक स्तर पर आजादी का स्तर गिरा, लेकिन 2024 में हुए कई चुनावों की वजह से यह साल विशेष रूप से अस्थिर था.
कश्मीर में तरक्की
रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में तानाशाही प्रवृत्ति के नेताओं ने सत्ता पर अपनी पकड़ और मजबूत की, लेकिन दक्षिण एशिया में कई देशों में उम्मीद की किरण देखने को मिली. भारतीय कश्मीर ने सूचकांक में काफी तरक्की दर्ज की. प्रदेश में 2019 के बदलावों के बाद पहली बार चुनाव कराए गए थे.
भारत में गिरावट
हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक भारत में "आजादी" में और गिरावट ही देखने को मिली. रिपोर्ट में इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा न्यायिक नियुक्तियों पर अधिकार हासिल करने की कोशिशों को जिम्मेदार ठहराया गया. फ्रीडम हाउस ने 2021 में ही भारत को "स्वतंत्र" से "आंशिक रूप से स्वतंत्र" श्रेणी में डाल दिया था.
दक्षिण एशिया में सुधार
2024 में सूचकांक में भूटान "स्वतंत्र" श्रेणी में इकलौता दक्षिण एशियाई देश रहा. बांग्लादेश और श्रीलंका की श्रेणी तो नहीं बदली, लेकिन अपनी अपनी श्रेणी के अंदर ही दोनों देशों ने काफी तरक्की दर्ज की. गोरोखोवस्काया ने कहा कि बांग्लादेश और सीरिया में नागरिक स्वतंत्रता में सुधार देखने को मिला, लेकिन राजनीतिक प्रतिनिधित्व में सुधार आने में समय लगेगा.
मध्य पूर्व में चिंताजनक स्थिति
मध्य पूर्व एशिया में एक दुर्लभ उम्मीद का स्रोत रहा जॉर्डन, जिसे "स्वतंत्र नहीं" से "आंशिक रूप से स्वतंत्र" श्रेणी में डाल दिया गया. इसके उलट कुवैत, नाइजर, तंजानिया और थाईलैंड को "आंशिक रूप से स्वतंत्र" से "स्वतंत्र नहीं" श्रेणी में डाल दिया गया. भूटान के अलावा सेनेगल को भी "स्वतंत्र" श्रेणी में डाला गया.
किसे मिला परफेक्ट स्कोर
स्वतंत्रता के मानकों पर 100 का परफेक्ट स्कोर पाने वाला इकलौता देश रहा फिनलैंड. न्यूजीलैंड, नॉर्वे और स्वीडन को 99 अंक दिए गए.
डॉनल्ड ट्रंप का असर
फ्रीडम हाउस की स्थापना 1941 में अमेरिका में दोनों पार्टियों के समर्थन के साथ की गई थी. संस्था को अमेरिकी सरकार से फंडिंग मिलती है लेकिन इसका संचालन स्वतंत्र रूप से किया जाता है. राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए फंडिंग को रोक दिया है जिसकी वजह से फ्रीडम हाउस ने छंटनी की योजना बनाई है. सीके/वीके (एएफपी)