नया इनकम टैक्स बिल 1961 के आयकर कानून से कितना अलग
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 11 अगस्त को लोकसभा में संशोधित आयकर विधेयक पेश किया. नए मसौदे में प्रवर समिति के सुझावों को शामिल किया गया है. इसका उद्देश्य 1961 के आयकर कानून को बदलना है.
संसद में पेश नया इनकम टैक्स बिल 2025
छह दशक से चले आ रहे आयकर कानून इस बिल के साथ बदल दिए जाएंगे. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में इस नए बिल को पेश किया. नए इनकम टैक्स बिल में बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली प्रवर समिती के ज्यादातर सुझावों को शामिल किया गया है. सरकार ने 13 फरवरी को पेश किए गए पिछले बिल को वापस ले लिया था और नया बिल संसद में पेश किया.
नए बिल की खास बातें
सरकार के मुताबिक नया बिल पुराने कानून को सरल और टैक्स देने वालों के लिए सुविधाजनक बनाने की कोशिश है. इसमें 23 चैप्टर, 536 सेक्शंस और 16 शेड्यूल हैं, जो टेबल और फॉर्मूले के जरिए आसानी से समझने के लिए बनाया गया है.
टैक्स देने वालों को राहत देने की कोशिश
समिति ने इनकम टैक्स से जुड़े कुछ नियमों में भी सुधार की सिफारिश की है. ये हैं आईटीआर की अनिवार्यता में ढील: सिर्फ टीडीएस (स्रोत पर काटा गया टैक्स) वापसी के लिए अब पूरा आईटीआर दाखिल करना जरूरी नहीं होगा.
देर से रिटर्न भरने पर भी रिफंड
टैक्स रिटर्न देर से फाइल करने वालों के लिए रिफंड का नियम है. पहले के ड्राफ्ट में सेक्शन 263 के तहत देर से रिटर्न दाखिल करने पर रिफंड नहीं मिलता था. अब इस नियम को हटा दिया गया है, जिससे टैक्सपेयर्स देर से रिटर्न दाखिल करने पर भी रिफंड का दावा कर सकेंगे.
शून्य टीडीएस सर्टिफिकेट
टैक्सपेयर्स को बिना किसी टैक्स देनदारी के "निल TDS सर्टिफिकेट” लेने की सुविधा दी गई है, जिससे उनकी आय पर टैक्स नहीं कटेगा.