पाकिस्तान में 200 साल पुराना साधु बेला मंदिर
पाकिस्तान में सिंधु नदी के रेतीले किनारों पर कुछ हिंदू रंग बिरंगी नावों में सवार हो कर उस द्वीप पर जाते हैं जहां 200 साल पुराना मंदिर है.
साधु बेला की जयकार
नाव जैसे ही किनारों की तरफ बढ़ती है और सामने मार्बल और चंदन की लकड़ी से बना मंदिर नजर आता है. नाव के यात्री साधु बेला की जयकार करने लगते हैं. हर साल दसियों हजार हिंदू त्याहारों या छुट्टियों के मौके पर इस मंदिर में अपने अराध्य के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
साधु बेला मंदिर
साधु बेला के मंदिर को जोधपुर के कारीगरों ने करीब 200 साल पहले बनाया था. इसकी वास्तुकला में ताजमहल की छाप दिखाई देती है. 2023 में इसका 200वां स्थापना दिवस मनाया जायेगा. श्रद्धालुओं की भीड़ से मंदिर जीवंत हो जाता है.
बनखंडी महाराज
कहा जाता है कि इस जगह को बनखंडी महाराज ने आबाद किया था. वह दिल्ली या फिर नेपाल से यहां 1823 में आये थे. यह जगह उन्हें इतनी पसंद आई कि यहीं उन्होंने अपनी धुनी रमा ली. उनकी पुण्यतिथि पर हर साल यहां मेला लगता है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.
मुस्लिम जमींदारों का तोहफा
करीब दो शताब्दी पहले सिंध के अमीर मुस्लिम जमींदारों ने हिंदू समुदाय को यह द्वीप तोहफे में दिया था. आज के पाकिस्तान में इसकी कल्पना नहीं की जा सकती क्योंकि मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में अब हिंदुओं को कई तरह के भेदभाव, दमन और शोषण का सामना करना पड़ रहा है.
सिंध में हिंदुओं के निशान दिखते हैं
पाकिस्तान और खास तौर पर सिंध में हिंदू संस्कृति के कुछ निशान अब भी बचे हुए हैं. भले ही संख्या घट गई हो लेकिन यहां उनके कुछ मंदिर अब भी हैं. हिंदुओं के अपने कारोबार, स्वास्थ्य और शिक्षा संस्थान भी सिंध में ही हैं. इनमें से ज्यादातर भारत पाकिस्तान के बंटवारे के पहले से चल रहे हैं.
द्वीप पर और भी हैं मंदिर
सिंध में सुक्कुर से करीब कुछ दूरी पर मौजूद इस द्वीप पर साधु बेला के अलावा आठ मंदिर और भी हैं. इसके अलावा मंदिर के पुजारियों के रहने के लिए घर और श्रद्धालुओं के लिए भी रहने की व्यवस्था है. पार्क और भोजनालय के साथ ही यहां आसपास का माहौल भी काफी अलग है.
पाकिस्तान में हिंदू होना आसान नहीं
पाकिस्तान में कुल मिला कर अब 40 लाख हिंदू हैं यह देश की आबादी का करीब 1.9 फीसदी है. इनमें से लगभग 14 लाख सिंध में रहते हैं. पाकिस्तान में हिंदुओं को पूजा करने पर रोक नहीं है लेकिन सार्वजनिक तौर पर धर्म का पालन सामान्य नहीं है. कई दशकों से चली आ रही राजनीतिक दुश्मनी ने पाकिस्तान में हिंदुओं के लिये यहां कई चुनौतियां पैदा की हैं.