महामारी में गरीब महिलाओं पर कैसे टूटा कहर
भारत में कोरोना वायरस महामारी ने सभी तबकों को प्रभावित किया है. लेकिन लॉकडाउन में नौकरी सहित सभी परेशानियों के मामले में सबसे ज्यादा अगर किसी ने झेला है तो वह देश के कम आय वाले परिवारों की महिलाएं हैं.
महिलाओं पर कैसा असर
कंसल्टिंग फर्म डालबर्ग द्वारा किए गए शोध के मुताबिक भारत में कम आय वाले घरों में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक बार नौकरी से हाथ धोना पड़ा, उन्होंने अपने भोजन का सेवन और आराम कम कर दिया. कम आय वाले परिवार की महिलाओं ने घर की देखरेख और अपने बच्चों की देखभाल में ज्यादा समय बिताया. यह वो काम है जिसके लिए उन्हें वेतन नहीं मिलता है.
दोबारा रोजगार के लिए लंबा इंतजार
शोध में 10 राज्यों में सर्वे में पहली लहर के असर की पड़ताल की गई है. इस शोध के मुताबिक महिलाओं ने बताया कि उन्हें दोबारा से काम या मजदूरी खोजने में भारी दिक्कत पेश आ रही है.
कम खाया, परिवार के लिए भोजन बचाया
सर्वे में शामिल होने वाली 10 फीसदी महिलाओं ने कहा कि उन्होंने कम खाना खाया या घर पर राशन खत्म हो गया. जबकि 16 प्रतिशत महिलाओं के पास माहवारी के दौरान सैनिटरी पैड नहीं था.
निजी सेहत पर भी असर
33 प्रतिशत से अधिक विवाहित महिलाएं गर्भनिरोधक का उपयोग नहीं कर सकीं क्योंकि महामारी ने सार्वजनिक स्वास्थ्य तक उनकी पहुंच को बाधित किया.
वेतन नहीं, घर का काम बढ़ा
43 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में लगभग 47 प्रतिशत महिलाओं ने घर के काम में बढ़ोतरी की बात कही. 41 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि बिना वेतन वाला काम बढ़ा है जबकि 37 प्रतिशत पुरुषों ने भी यही बात कही.
महामारी में मुसीबत
सर्वे में शामिल 27 फीसदी महिलाओं ने कहा कि उन्हें कोरोना वायरस महामारी के दौरान बहुत कम आराम मिला. ऐसा कहने वाले 18 प्रतिशत पुरुष भी थे.
कार्यबल में महिलाएं
कोरोना वायरस महामारी से पहले 24 फीसदी महिलाएं कार्यबल का हिस्सा थीं, लेकिन नौकरी गंवाने वालों में इनकी संख्या 28 फीसदी थी. इनमें से 43 फीसदी की अब भी नौकरी नहीं लगी है.
10 राज्यों में हुआ सर्वे
कोरोना महामारी के असर को जानने के लिए डालबर्ग ने भारत के दस राज्यों में कम आय वाले परिवारों की लगभग 15 हजार महिलाओं और 2,300 पुरुषों को सर्वे में शामिल किया.