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ईरान में सुप्रीम लीडर की सत्ता गई तो उनकी जगह कौन लेगा?

२० जून २०२५

1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से ही ईरान के लोग चांद और सूरज के अलावा बस एक ही नाम जानते हैं जो उनके दिन तय करता है, सुप्रीम लीडर. देश के सर्वेसर्वा रहे सुप्रीम लीडर को हटाने की कोशिश में इस्राएल जुटा हुआ है.

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ईरान के सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह अली खामेनेई
अयातोल्लाह अली खामेनेई लगभग 35 साल से ईरान के सर्वोच्च नेता हैंतस्वीर: KHAMENEI.IR/AFP

ईरान-इस्राएल संघर्ष में साफ दिख रहा है कि इस्राएल, ईरान में नेतृत्व बदलना चाहता है. हालांकि विभाजित विपक्ष और मौजूदा हालात में यह गारंटी नहीं दी जा सकती कि नये नेतृत्व का रुख अलग होगा.

ईरान के परमाणु ठिकानों और मिसाइल भंडारों के अलावा जिन चीजों को इस्राएल ने हमलों का निशाना बनाया है उनमें सरकारी टीवी चैनल (आईआरआईबी) का केंद्र भी शामिल है. इस्राएल, ईरान के परमाणु केंद्रों और हथियारों के अलावा देश के सुप्रीम लीडर अयातोल्लाह अली खामेनेई को भी हटाना चाहता है.

इराक और लीबिया के सबक

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है, "हम जानते हैं" खामेनेई, "कहां छिपे हैं." हालांकि 35 सालों से देश की सर्वोच्च शक्ति रहे सुप्रीम लीडर के हटने से वहां की सत्ता में जो अनिश्चितता और जोखिम पनपेगा वह मामूली नहीं है. यूरोपीय नेताओं को 2003 में इराक पर अमेरिकी हमले और 2011 में लीबिया में नाटो के नेतृत्व में हुई दखलंदाजी के बाद बने हालात अच्छे से याद हैं.

ईरान के शाह मोहम्मद रजा पहलवी के बेटे रजा पहलवी
रजा पहलवी ईरान के भीतर और बाहर सबसे जाना माना नाम हैंतस्वीर: Alfred Yaghobzadeh/abaca/picture alliance

इन कार्रवाइयों के नतीजे में सद्दाम हुसैन और मुअम्मर गद्दाफी जैसे तानाशाहों को हटाए जाने ने दोनों देशों को दशकों के लिए रक्तरंजित संघर्ष और अस्थिरता में धकेल दिया. कनाडा में जी7 की बैठक खत्म होने के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने कहा, "आज सबसे बड़ी गलती होगी ईरान में सैन्य उपायों के जरिए सत्ता परिवर्तन, वह वहां अव्यवस्था फैला देगा." माक्रों ने यह भी कहा, "क्या किसी ने सोचा है कि 2003 में जो इराक में किया गया... या फिर पिछले दशक में लीबिया में किया गया वह एक अच्छा विचार था?"

ईरान पर हमले की निंदा मुस्लिम देशों के दिखाने के दांत

सुप्रीम लीडर की जगह कौन

विशेषज्ञों का कहना है कि खामेनेई और उनके साथी मौलवियों को हटाने से देश की सत्ता में जो खालीपन आएगा उसे रेवॉल्यूशनरी गार्ड्स के कट्टरपंथी तत्व या फिर ईरानी सेना के लोग भरेंगे. कार्नेगी एंडाउमेंट की फेलो निकोल ग्राजेव्स्की का कहना है, "इस्राएल के हमलों का ध्यान ऐसा लगता है संवर्धन रोकने से ज्यादा सत्ता परिवर्तन पर है." ग्राजेव्स्की ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "निश्चित रूप से इस्राएल बैलिस्टिक मिसाइल और सेना से जुड़े केंद्रों को निशाना बना रहा है लेकिन वे आईआरआईबी जैसे नेतृत्व के प्रतीकों को भी निशाना बना रहे हैं. अगर सत्ता बदलती है तो उम्मीदें एक उदार और लोकतांत्रिक सरकार की होगी. हालांकि इस बात की आशंका ज्यादा है कि आईआरजीसी जैसे दूसरे ताकतवर तत्व उसकी जगह ले लेंगे."

विपक्ष के जिन लोगों को ईरान में सत्ता का संभावित दावेदार माना जा रहा है उनमें अमेरिका में बसे रजा पहलवी भी हैं. वह ईरान के शाह मोहम्मद रजा पहलवी के बेटे हैं. उन्होंने कहा है कि इस्लामिक रिपब्लिक, "अब गिरने की कगार पर है," उन्होंने आरोप लगाया है कि खामेनेई "एक डरे हुए चूहे" की तरह "भूमिगत" हो गए हैं. पहलवी लंबे समय से ईरान और इस्राएल के बीच अच्छे रिश्ते बहाल करने की मांग करते रहे हैं जैसा कि उनके पिता के शासन के समय था. वह चाहते हैं कि इस्राएल के अस्तित्व को ठुकराने का अपना रुख ईरान बदल दे.

ईरान ने कहा, सरेंडर नहीं करेंगे

उनके जैसे राजशाही समर्थक इस्राएल के साथ संबंध सुधार को "साइरस अकॉर्ड्स" का नाम देना चाहते हैं. यह नाम प्राचीन फारसी राजा का है जिन्हें बेबिलोन से यहूदियों को छुड़ाने का श्रेय दिया जाता है. हालांकि पहलवी के पास ईरान के अंदर या फिर निर्वासितों के बीच पर्याप्त समर्थन का अभाव है. उनके समर्थकों का राष्ट्रवाद और इस्राएल के साथ उनके संबंध विभाजनकारी माने जा रहे हैं. खासतौर से ऐसे वक्त में जब उन्होंने ईरान पर इस्राएली हवाई हमलों की निंदा करने से इनकार कर दिया.

ईरान और अमेरिका की रंजिश की कहानी

एक और प्रमुख संगठित गुट पीपुल्स मुजाहिदीन (एमईके) का है. इस गुट के नेता मरयम राजावी ने बुधवार को यूरोपीय संसद से कहा, "ईरान के लोग इस सत्ता को उखाड़ फेंकना चाहते हैं." हालांकि एमईके को ईरान के दूसरे विपक्षी गुटों का समर्थन नहीं है और उसे ईरान के कुछ लोग ईरान-इराक जंग में सद्दाम हुसैन का समर्थक मानते हैं.

ईरान में लोकतांत्रिक विकल्प का अभाव

ओटावा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर थॉमस जुनॉ का कहना है, "इस्लामिक रिपब्लिक के पतन पर उसके विकल्पों के बारे में सोचने में एक बड़ी चुनौती यह है कि वहां कोई संगठित, लोकतांत्रिक विकल्प नहीं है." उन्होंने यह भी कहा कि रजा पहलवी विपक्ष के नेता हैं जिन्होंने ईरान के भीतर और बाहर सबसे ज्यादा नाम कमाया है लेकिन उनके समर्थक "देश के भीतर उनके समर्थन को बढ़ा चढ़ा कर दिखाते हैं." जुनॉ ने यह भी कहा, "एक ही विकल्प है कि रेवॉल्यूशनरी गार्ड्स तख्तापलट कर दे या फिर धार्मिक शासन की जगह सैन्य तानाशाही आए, लेकिन वह भी चिंताजनक हालात पैदा करेगा."

विश्लेषक यह भी चेतावनी देते हैं कि भविष्य की अनिश्चितता ईरान के जातीय समूहों के देखते हुए ज्यादा बड़ी होगी जिसकी अकसर अनदेखी होती है. ईरान की आबादी में कुर्द, अरबी, बलोच और तुर्क अल्पसंख्यकों की भी बड़ी हिस्सेदारी है. ग्राजेव्स्की का कहना है, "जातीय विभाजनों का फायदा उठाने की कोशिश शत्रु देशों की तरफ से भी हो सकती है."

अमेरिकी थिंक टैंक सूफान सेंटर के विश्लेषकों का कहना है कि ईरानी नेतृत्व का बचे रह जाने को अब रणनीतिक नाकामी के तौर पर देखा जा रहा है, इराक के "दूसरे संस्करण" के आसार उभर रहे हैं. उनका कहना है, "सत्ता बदलने के बाद जो परिदृश्य अभी से नजर आ रहा है वह अब भी अनिश्चित है और वह क्षेत्रीय स्थिरता को इराक की तुलना में कई गुना ज्यादा बड़े स्तर पर उभारेगा जिसके नतीजे पूरी दुनिया पर असर डालेंगे."