25 लाख साल से शरीर के इस हिस्से को भूल गए हैं इंसान
इंसानी शरीर के विकास के साथ ही कई अंग ऐसे थे जो या तो बेकार हो गए या इंसान उनका इस्तेमाल करना ही भूल गए. ऐसी ही एक भूली बिसरी मांसपेशी के बारे में वैज्ञानिकों ने फिर से पता लगाया है.
किन अंगों को भूले
विज्ञान के मुताबिक विकास के क्रम में जब कपियों की कुछ प्रजातियों से इंसान बनने की यात्रा शुरू हुई, उस समय कई अंग उन दिनों की जरूरत के हिसाब से हमारे शरीर में मौजूद थे. ये अंग समय के साथ या तो गायब हो गए या इनका कोई इस्तेमाल ही नहीं रहा.
खो गई कान हिलाने की ताकत
जर्मनी की जारलैंड यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों का दावा है कि इंसानों के पूर्वज अपने कान हिला सकते थे लेकिन लगभग 25 लाख साल पहले उन्होंने यह क्षमता खो दी थी. रिसर्चर फिलहाल इसके कारणों की छानबीन कर रहे हैं.
खड़े हो जाते हैं कान
वैज्ञानिकों का कहना है कि भले ही इंसानों ने कान हिलाने की क्षमता खो दी है लेकिन वे आज भी बातों को ध्यान से सुनते समय अपने कान खड़े करने की कोशिश करते हैं.
जानवरों के लिए जरूरी
कुत्तों समेत कई जानवरों के लिए कान की हरकत करना बेहद जरूरी होता है. किसी खास आवाज पर ध्यान देने और कौन सी आवाज किस दिशा से आ रही है, यह पता लगाने में कान की हरकतें उनकी मदद करती हैं.
कुछ लोगों के पास है क्षमता
करीब 10 से 20 फीसदी लोगों के पास आज भी कानों को हिलाने की क्षमता बची है. कान हिलाने के लिए तीन बड़ी मांसपेशियां जरूरी हैं. ये कान को खोपड़ी और खाल से जोड़ती हैं. जब इंसान ध्यान से कुछ सुनने का प्रयास करते हैं, तब ये सक्रिय हो जाती हैं.
इलेक्ट्रोमायोग्राफी की तकनीक
इंसानों की ध्यान से सुनने की क्षमता का पता लगाने के लिए इलेक्ट्रोमायोग्राफी नामक तकनीक का प्रयोग किया गया. यह तकनीक मांसपेशियों में होने वाली गतिविधि को मापती है.
20 लोगों पर किया अध्ययन
टीम ने मांसपेशियों की सक्रियता का पता लगाने के लिए 20 लोगों को ऑडियोबुक और ध्यान भटकाने के लिए कुछ पॉडकास्ट सुनाए. कठिनाई के अलग-अलग स्तर पर सभी प्रतिभागियों पर पांच मिनट के बारह प्रयोग किए गए.
मांसपेशियों ने दी प्रतिक्रिया
अध्ययन के बाद आंकड़ों की तुलना करने पर रिसर्चरों ने पाया कि जब कठिनाई का स्तर बढ़ा दिया गया था तब आवाज सुनने के लिए मांसपेशियां ज्यादा सक्रिय थीं. हालांकि रिसर्चर बेहतर परिणाम के लिए एक बड़े समूह पर इसका प्रयोग करने की बात करते हैं.