भारत में सांसद से लेकर राष्ट्रपति तक, किसको मिलता है कितना वेतन
भारत में गांव के सरपंच से लेकर देश के राष्ट्रपति तक को हर महीने सरकारी खजाने से वेतन दिया जाता है. जानिए देश के राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपालों और सांसदों को कितना वेतन मिलता है.
राष्ट्रपति का वेतन पांच लाख रुपये
भारत के राष्ट्रपति को 2018 तक हर महीने 1.50 लाख रुपये वेतन मिला करता था. यह शीर्ष स्तर के अधिकारियों से भी कम था. इसके बाद केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति का वेतन बढ़ाकर 5 लाख रुपये प्रति महीना कर दिया. इसके अलावा उन्हें सरकारी खर्च पर 340 कमरों के राष्ट्रपति भवन में आवास, गाड़ियां, रेल और हवाई यात्रा की सुविधा, चिकित्सा और बीमा जैसी सुविधाएं मिलती हैं.
जीवनभर के लिए मिलता है आवास
पद से रिटायर होने के बाद भी पूर्व राष्ट्रपति को कई सुविधाएं आजीवन मिलती रहती हैं. इनमें पेंशन के अलावा सरकारी खर्च पर आवास, स्वास्थ्य सेवाएं, एक निजी सचिव, एक अतिरिक्त निजी सचिव, एक निजी सहायक, दो चपरासी और भारत में कहीं भी एक व्यक्ति के साथ सबसे ऊंची श्रेणी में रेल या हवाई यात्रा की सुविधा शामिल है.
उपराष्ट्रपति का वेतन चार लाख रुपये
उप-राष्ट्रपति का वेतन 'संसद अधिकारी वेतन और भत्ता अधिनियम, 1953' के तहत निर्धारित होता है. 2018 में उप-राष्ट्रपति का प्रति माह वेतन 1,25,000 रुपये से बढ़ा कर 4,00,000 रुपया कर दिया गया था. इसके अलावा सरकारी खर्च पर आवास, यातायात और मेडिकल इलाज जैसी सुविधाएं मिलती हैं.
वेतन की आधी मिलती है पेंशन
उपराष्ट्रपति को पद छोड़ने के बाद वेतन की आधी रकम पेंशन के रूप में मिलती है. इसके अलावा वे आजीवन एक निजी सचिव, एक अतिरिक्त निजी सचिव, एक निजी सहायक और दो चपरासी रखने के हकदार होते हैं. इनपर होने वाला खर्च भारत सरकार द्वारा उठाया जाता है. इसके अलावा चिकित्सा और मुफ्त यात्रा जैसी सुविधाएं भी मिलती रहती हैं.
प्रधानमंत्री को मिलता है विशेष विमान
भारत में प्रधानमंत्री को कितना मासिक वेतन मिलता है, इसकी आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है. हालांकि, एनडीटीवी की एक खबर के मुताबिक, प्रधानमंत्री को हर महीने 1.66 लाख रुपये वेतन मिलता है. इसके अलावा उन्हें एसपीजी का सुरक्षा कवर, आधिकारिक दौरों के लिए विशेष विमान और आधिकारिक आवास भी मिलता है.
राज्यपाल को मिलते हैं 3.50 लाख रुपये
साल 2018 तक सभी राज्यपालों को हर महीने 1.10 लाख रुपये वेतन मिला करता था. इसके बाद केंद्र सरकार ने इसमें बढ़ोतरी करके इसे 3.5 लाख रुपये प्रति महीने कर दिया. सातवां वेतन आयोग लागू होने के बाद, शीर्ष सरकारी अधिकारियों को राज्यपालों से अधिक वेतन मिला करता था. इस अंतर को खत्म करने के लिए राज्यपाल का वेतन बढ़ाया गया.
सांसदों की भी बढ़ाई गई सैलरी
मार्च 2025 में सांसदों के वेतन में भी बढ़ोतरी की गई. सांसद पहले जहां हर महीने एक लाख रुपये वेतन पाते थे, अब उन्हें 1.24 लाख रुपये प्रति महीना वेतन मिलता है. पूर्व सांसदों की पेंशन भी बढ़ाई गई थी. अब उन्हें हर महीने 31,000 रुपये पेंशन मिलती है. पहले यह रकम 25,000 रुपये थी.
मुख्यमंत्रियों का वेतन एक समान नहीं
भारतीय राज्यों के मुख्यमंत्रियों के वेतन में समानता नहीं है. जैसे, तेलंगाना में मुख्यमंत्री को हर महीने 4.10 लाख रुपये वेतन मिलता है. वहीं, त्रिपुरा में सीएम को हर महीने 97 हजार रुपये वेतन मिलता है और करीब 60 हजार रुपये अन्य भत्तों के रूप में मिलते हैं. मुख्यमंत्री का वेतन राज्य स्तर पर ही तय किया जाता है, इसलिए विभिन्न राज्यों के सीएम के वेतन में अंतर है.