कैसे धड़ाम हुई भारत-अमेरिका की ट्रेड डील वार्ता
नरेंद्र मोदी और उनके मित्र डॉनल्ड ट्रंप, साथ मिलकर भारत और अमेरिका की ट्रेड डील का एलान करना चाहते थे. लेकिन अब ये दोस्ती भारी मतभेदों और कड़वाहट में तब्दील हो चुकी है.
फरवरी में दोस्त को जीत की बधाई
फरवरी 2025 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका दौरे पर गए. वॉशिंगटन में उन्होंने दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति बने डॉनल्ड ट्रंप से मुलाकात की और उन्हें बधाई दी. दोनों नेताओं ने 2025 के पतझड़ तक एक सीमित कारोबारी समझौते तक पहुंचने की इच्छा जताई. 2030 तक इस डील को 500 अरब के व्यापार तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया.
मार्च में उत्साह ही उत्साह
ट्रेड डील के लिए होने वाली बातचीत को गति देने के लिए भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल वॉशिंगटन पहुंचे. गोयल ने वहां अमेरिकी वाणिज्य मंत्री होवार्ड लुटनिक और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) जैमिसन ग्रीर से बातचीत की. इसके बाद मार्च अंत में अमेरिकी अधिकारी बात आगे बढ़ाने नई दिल्ली आए. इस दौरान भारत ने कहा कि बातचीत अच्छी तरह आगे जा रही है.
जल्द साथ निभाने के वादे
मार्च में ही नई दिल्ली में भारतीय अधिकारियों से बातचीत के दौरान ही यूएसटीआर ने भारत के महंगे आयात शुल्कों की तरफ ध्यान दिलाया. अमेरिकी अधिकारियों ने भारत के सामने नॉन-टैरिफ बैरियर, डेटा कानून और पेटेंट संबंधी मुद्दे भी उठाए, लेकिन इन शिकायतों के निपटारे के संकेत भी मिलने लगे.
अप्रैल में भारत आए वैंस और पहलगाम हमला
अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वैंस परिवार समेत भारत के दौरे पर आए. इस दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय बातचीत को संदर्भ देने वाली शर्तें भी तय कर लीं. भारतीय अधिकारियों ने कहा कि दोनों देशों के बीच 9 जुलाई की डेडलाइन से पहले ही एक डील हो सकती है. लेकिन वैंस के दौरे के दौरान ही 22 अप्रैल को पहलगाम में पर्यटकों पर जानलेवा हमला हुआ.
बातचीत के बीच ऑपरेशन सिंदूर
ट्रेड डील पर बातचीत को आगे बढ़ाने पीयूष गोयल फिर अमेरिका गए. उनके साथ मुख्य मध्यस्थ राजेश अग्रवाल भी थे. नई दिल्ली ने उम्मीद जताई कि एक पंसदीदा नतीजा जल्द ही सामने आ सकता है. लेकिन इसी दौरान भारत ने पहलगाम हमले के जवाब में पाकिस्तान पर हवाई हमले कर दिए. इन हमलों के साथ ही चार दिन तक भारत और पाकिस्तान भीषण सैन्य संघर्ष छिड़ा.
मई में ट्रंप का सीजफायर पोस्ट
10 मई 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच भीषण परमाणु युद्ध की आशंका को टालते हुए, संघर्ष विराम करा दिया है. पाकिस्तान ने ट्रंप के इस बयान का स्वागत किया और नई दिल्ली ने इसे खारिज करते हुए कहा कि संघर्ष विराम आपसी स्तर पर हुआ और इसमें तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है.
जून में किरकिरी बनते बयान
3 जून को अमेरिकी वाणिज्य मंत्री लुटनिक ने कहा कि अमेरिका और भारत प्रगति कर रहे हैं और जल्द ही एक डील फाइनल हो सकेगी. ट्रंप ने भी कहा कि भारत के साथ एक बड़ी ट्रेड डील जल्द होने वाली है. लेकिन इसी दौरान भारतीय अधिकारियों ने कहा कि बातचीत आयात शुल्कों पर फंस गई है. इस बीच ट्रंप बार-बार संघर्ष विराम में अपनी भूमिका वाले बयान देते रहे.
दोस्ती में खटास
20 जून को ओडिशा में एक रैली के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किया. इसके बाद मोदी ने दावा किया कि उन्होंने ट्रंप के न्योते पर वॉशिंगटन जाने से मना कर दिया है. वहीं ट्रंप नई दिल्ली की नाराजगी के बावजूद संघर्ष विराम में अपनी भूमिका को दोहराते रहे.
जुलाई में, हमसे ना हो पाएगा
जून में अमेरिका गया भारतीय प्रतिनिधि मंडल बिना किसी ठोस नतीजे के जुलाई की शुरुआत में भारत लौट आया. 4 जुलाई को भारतीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि उनका देश किसी डेडलाइन की बाध्यता के लिए ट्रेड डील नहीं करेगा. गोयल ने यह भी कहा कि उनके लिए देश के हित सबसे ऊपर हैं. इसके बाद मध्य जुलाई में यह प्रतिनिधि मंडल फिर वॉशिंगटन गया, लेकिन गतिरोध बना रहा.
अति उत्साह के बाद ठंडा रुख
भारतीय संसद के मॉनसून सत्र में पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि "दुनिया के किसी नेता ने हमें यह ऑपरेशन रोकने के लिए नहीं कहा." इसके बाद भारत सरकार के उच्च स्तरीय नेतृत्व की तरफ से अमेरिका के साथ बातचीत करने की कोई पहल नहीं की गई.
पुराने दोस्त को मजबूर करने की कोशिश
31 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत पर 25 फीसदी आयात शुल्क लगा दिया. भारत पर टैरिफ लगाने के साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने रूस और ईरान से भारत की तेल खरीद पर भी कड़ी आपत्तियां जतानी शुरू कर दीं. इसी दौरान अमेरिका और पाकिस्तान के बीच ट्रेड डील भी हुई.