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तकनीकसंयुक्त राज्य अमेरिका

विवादित नामों के मसले कैसे सुलझाता है गूगल

आर्थर सलिवन
३० जनवरी २०२५

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप मेक्सिको की खाड़ी का नाम बदलने की बात कर रहे थे. गूगल ने मैप्स पर इसका नाम बदलने को लेकर अपना रुख अब साफ कर दिया है. क्या है गूगल की नाम बदलने की नीति, आइए जानते हैं.

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मोबाइल फोन पर दिखता गूगल मैप का लोगो
गूगल मैप दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला नेविगेशन सिस्टम हैतस्वीर: Mateusz Slodkowski/SOPA Images/Sipa USA/picture alliance

गूगल ने यह साफ कह दिया है कि अगर अमेरिका आधिकारिक तौर पर कुछ इलाकों के नाम बदलेगा तो गूगल मैप्स पर अमेरिकी लोगों के लिए भी ये नाम बदल दिए जाएंगे. बीते दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने मेक्सिको की खाड़ी और उत्तरी अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी डेनाली का नाम बदलने की बात कही थी.

20 जनवरी को आधिकारिक शपथ ग्रहण समारोह में ट्रंप ने कहा था कि वो 'मेक्सिको की खाड़ी' का नाम बदलकर 'अमेरिका की खाड़ी' और अपने नाम को लेकर लंबे समय से विवादों में रही पर्वत की चोटी डेनाली का नाम बदलकर माउंट मैकिनले करने की योजना बना रहे हैं.

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गूगल ने इस मामले पर भौगोलिक नाम सूचना प्रणाली (जीएनआईएस) का हवाला देते हुए एक्स पर लिखा, "हम अपनी पुरानी नीति के तहत सरकारी आंकड़ों में नाम बदलने पर, उसे अपने रिकॉर्ड में भी बदल देते हैं. जब ऐसा होगा तब हम इन नामों को बदलकर अमेरिका में गूगल मैप्स पर माउंट मैकिनले और अमेरिका की खाड़ी नाम दिखाना शुरू कर देंगे."

कब बदलेंगे नाम

24 जनवरी को ट्रंप प्रशासन की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार मेक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर उसे अमेरिका की खाड़ी कर दिया गया है. ट्रंप ने अपने कार्यकाल के पहले ही दिन इन दोनों नामों को बदलने वाले आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए थे.

अमेरिका का गृह विभाग फिलहाल इन आदेशों को लागू कराने पर काम कर रहा है, लेकिन आधिकारिक सरकारी नक्शों में इन नामों को अभी बदला नहीं गया है. अंतिम रूप से नाम बदलने का काम जीएनआईएस करता है.

गूगल के बयान से यह स्पष्ट है कि जीएनआईएस जब इन बदलावों को अपडेट करेगा, वह अपने मैप्स में इन नामों को तभी बदलेगा.

मैप दिखाती मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम
एक दस्तावेज के हवाले से मेक्सिको की राष्ट्रपति का कहना है कि संयुक्त राज्य अमेरिका को 'अमेरिका मेक्सिकाना' कहा जाना चाहिएतस्वीर: Alfredo Estrella/AFP

सबको नहीं दिखेगा नया नाम

गूगल ने अपने बयान में कहा है, "जब अलग-अलग देशों में आधिकारिक नाम अलग होते हैं, तो गूगल मैप्स इस्तेमाल करने वालों को उनके देश द्वारा तय किया गया आधिकारिक नाम ही दिखाई देता है. बाकी दुनिया में सबको दोनों नाम दिखते हैं. यही नियम यहां भी लागू होता है."

इसका मतलब है कि अमेरिका में गूगल मैप्स इस्तेमाल करने वालों को "गल्फ ऑफ अमेरिका", जबकि मेक्सिको में "गल्फ ऑफ मेक्सिको" ही दिखता रहेगा.

दुनिया के बाकी हिस्सों में यूजरों को दोनों नाम दिखेंगे. गूगल ने यह नहीं बताया है कि दूसरे यूजरों को ये नाम किस क्रम में दिखेंगे, हालांकि न्यूयॉर्क टाइम्स ने 'कंपनी की योजनाओं को जानने वाले दो लोगों' के हवाले से कहा है कि मेक्सिको की खाड़ी का नाम पहले आएगा. डीडब्ल्यू ने इस पर प्रतिक्रिया के लिए गूगल से संपर्क किया है.

ऐसे मामलों में क्या करता है गूगल

गूगल मैप्स दुनिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला नेविगेशन और मैपिंग ऐप है, जिसके अनुमानित एक अरब मासिक एक्टिव यूजर्स हैं.

इसकी लोकप्रियता की वजह से भी यह अक्सर राजनीतिक और भौगोलिक विवादों से घिर जाता है, जिसमें देशों के बीच नाम और सीमा जैसे मुद्दे केंद्र में होते हैं.

जैसा कि गूगल ने अपने ताजा बयान में कहा है, जब नाम से जुड़े विवादों की बात आती है, तो वह यूजर की लोकेशन को ध्यान में रखते हुए एक ही जगह के लिए अलग-अलग नामों का इस्तेमाल करता है.

खाड़ी के नाम भी ऐसे ही विवादों का हिस्सा हैं. सऊदी अरब और ईरान के बीच का पानी, फारस की खाड़ी या अरब की खाड़ी के रूप में जाना जाता है. ईरान इसे फारस की खाड़ी कहता है, जबकि सऊदी अरब और अन्य अरब देश इसे अरब की खाड़ी कहते हैं.

ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान
ईरान और सऊदी अरब ने खाड़ी के नाम को लेकर गूगल से आपत्ति जताई थीतस्वीर: Iran's Presidency/WANA Handout via REUTERS

2012 में, ईरान ने गूगल पर मुकदमा करने की धमकी दी थी क्योंकि उसने मैप्स पर उस खाड़ी को उसके आधिकारिक नाम से चिह्नित नहीं किया था. उस समय ईरान के विदेश मंत्री रामिन मेहमानपरस्त ने कहा था, "अगर गूगल ने जल्द से जल्द अपनी गलती नहीं सुधारी, तो हम गूगल के खिलाफ आधिकारिक शिकायत दर्ज कराएंगे."

गूगल ने इस आलोचना को खारिज करते हुए कहा था कि उसने कभी भी उस खाड़ी को लेबल नहीं किया. अब, अपनी बताई नीति के अनुसार, गूगल दोनों नाम दिखाता है. खाड़ी के पास के अरब देशों के यूजरों को यह अरब की खाड़ी के रूप में दिखता है और ईरान में यह फारस की खाड़ी के रूप में दिखता है.

सीमाओं का विवाद

सीमाओं को लेकर होने वाला विवाद नामों के विवाद से ज्यादा गंभीर होता है. दुनिया भर में कई क्षेत्रीय विवाद चल रहे हैं. गूगल ने अपने सपोर्ट पेज पर एक बयान में कहा है, "देशों की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं राजनीतिक स्थिति के हिसाब से अलग-अलग शैलियों में दिखाई जाती हैं. जिन सीमाओं को लेकर दो देशों के बीच कोई विवाद नहीं होता, जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा, उन्हें मैप्स पर एक ठोस हल्की काली लाइन के रूप में दिखाया जाता है. अस्थायी सीमाओं को एक डैश वाली ग्रे लाइन से दिखाया जाता है.

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गूगल के मुताबिक, "जम्मू कश्मीर और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर जैसी विवादित सीमाएं एक डैश वाली ग्रे लाइन से दिखाई जाती हैं. इसमें शामिल जगहों पर सीमाओं पर आपसी सहमति नहीं होती है."

2014 में, रूस के क्रीमिया पर आक्रमण के छह हफ्ते बाद, गूगल मैप्स ने क्रीमिया को रूसी यूजर के लिए रूसी क्षेत्र के रूप में और यूक्रेनी यूजर्स के लिए इसे यूक्रेनी क्षेत्र के रूप में दिखाना जारी रखा और अन्य देशों के यूजर को सीमा दिखाने के लिए ग्रे लाइन का इस्तेमाल किया.

यूक्रेन के चार इलाके जिन पर रूस ने 2022 में कब्जा कर लिया था, अभी भी यूक्रेनी इलाकों के रूप में दिखाई देते हैं. रूस के एक यूजर ने डीडबल्यू से इसकी पुष्टि की है.

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