भारत को समय से पहले और पर्याप्त मानसून से कितना फायदा
२ जून २०२५भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के सामान्य से अधिक मानसून के पूर्वानुमान से कृषि उत्पादन और ग्रामीण मांग में जोरदार वृद्धि होने की उम्मीद है, जबकि मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने में मदद मिलेगी. शनिवार को सामान्य से आठ दिन पहले, केरल के सुदूर दक्षिणी राज्य के तट पर पहुंचने के बाद, बारिश तय समय से पहले ही लगभग आधे देश में पहुंच चुकी है.
मानसून क्यों जरूरी
मानसून लगभग चार ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में वार्षिक वर्षा का लगभग 70 प्रतिशत लाता है, जिसमें कृषि, जो 1.4 अरब की आधी से अधिक आबादी को रोजगार देती है, अर्थव्यवस्था में लगभग 16 फीसदी का योगदान देती है.
जबकि चावल, गेहूं, गन्ना, सोयाबीन और कपास जैसी प्रमुख फसलों के लिए बारिश अहम है, इसका असर व्यापक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है, जिससे समग्र विकास को बढ़ावा मिलता है जबकि इससे महंगाई दर और कर्ज की दरों को सीमित करने में मदद मिलती है.
अधिक फसल होने से चीनी पर निर्यात प्रतिबंध भी कम हो सकते हैं और चावल और प्याज जैसे प्रमुख खाद्य पदार्थों के अधिक निर्यात की अनुमति मिल सकती है. इसके उलट सूखे के दौरान खाद्य आयात और निर्यात प्रतिबंधों की जरूरत बढ़ जाती है.
अर्थव्यवस्था को गति देती बारिश
फसलों की पैदावार ज्यादा होने से अधिक कमाई करने वाले किसान अगले त्यौहारों और शादी के मौसम में उपकरणों और ज्वेलरी पर अधिक खर्च करते हैं, जिससे खपत बढ़ जाती है.
क्रिसिल की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, "सामान्य से अधिक मानसून के लगातार दूसरे वर्ष का पूर्वानुमान सच होता है तो स्वस्थ कृषि उत्पादन, ग्रामीण मांग को मजबूत करने और खाद्य कीमतों पर नियंत्रण रखने के अर्थव्यवस्था के एक और वर्ष की उम्मीद की जा सकती है."
वित्त वर्ष 2025 में, कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों में ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) 4.6 प्रतिशत बढ़ा, जो वित्त वर्ष 2015-24 के दशकीय औसत 4.0 प्रतिशत से अधिक है. इसी तरह, वित्त वर्ष 2025 की मार्च तिमाही में उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति (सीपीआई) में भारी गिरावट आई, क्योंकि खाद्य आपूर्ति में सुधार हुआ, जिससे खाद्य मुद्रास्फीति कम हुई.
रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर बारिश पूर्वानुमान के अनुरूप होती है, तो ये सकारात्मक रुझान जारी रहने की संभावना है.
पहाड़ों के लिए अभिशाप बनती मानसून की बारिश
अधिक बारिश से महंगाई पर काबू की उम्मीद
भारत के सीपीआई में खाद्य पदार्थों का हिस्सा लगभग आधा है, जिस पर केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति तय करने में बारीकी से नजर रखता है. 2024 में औसत से ज्यादा बारिश ने खाद्य पदार्थों की कीमतों पर लगाम लगाने में मदद की, जिससे भारतीय रिजर्व बैंक को कर्ज दरों में कटौती करने में मदद मिली.
इस साल औसत से अधिक मानसूनी बारिश का पूर्वानुमान आरबीआई को राहत प्रदान करेगा, जो विकास को गति देने के लिए 6 जून को लगातार तीसरी बार और अगस्त में एक बार फिर ब्याज दरों में कटौती कर सकता है.
मानसून के जल्दी आने से देश भर में भीषण गर्मी से राहत मिली है, इसके अलावा भीषण गर्मी के दौरान एयर कंडीशनिंग और खड़ी फसलों की सिंचाई के लिए बिजली की मांग पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही ऊर्जा कंपनियों को भी राहत मिली. तापमान में तेज गिरावट के कारण बिजली की खपत में कमी आई, जिससे बिजली एक्सचेंजों पर कीमतें शून्य के करीब पहुंच गईं.
कोल्ड ड्रिंक्स और आइसक्रीम की बिक्री भी उम्मीद से करीब तीन सप्ताह पहले ही कम होने लगी. बारिश से दक्षिणी और पश्चिमी भारत में जलाशयों में पानी भर रहा है, जिससे सप्लाई संबंधी चिंताएं दूर हो रही हैं, क्योंकि इस समय पानी आमतौर पर कम होता है.