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परमाणु बम बनाने से कितना दूर है ईरान

निखिल रंजन रॉयटर्स
१९ जून २०२५

ईरान के परमाणु केंद्रों पर हमले के पीछे इस्राएल की दलील है कि ईरान परमाणु बम बना रहा है. अब तक जो जानकारी है उसके आधार पर ईरान को परमाणु बम तक पहुंचने में कितना समय लगेगा?

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नतांज के परमाणु केंद्र में यूरेनियम संवर्धन करने वाले सेंट्रीफ्यूज
2018 में परमाणु समझौता टूटने के बाद ईरान ने यूरेनियम संवर्धन पर लगी सीमाओं का उल्लंघन शुरू कर दियातस्वीर: IRIB/AP Photo/picture alliance

बीते शुक्रवार, 12 जून को जब इस्राएल ने ईरान पर हमला शुरु किया तो इस्राएली सेना के एक बयान में कहा गया कि वे ईरान के परमाणु हथियार बनाने की योजना में आई तेजी और उसका रहस्य सामने ला रहे हैं. ईरान के परमाणु हथियार को इस्राएल अपने लिए खतरा मानता है.

प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू इस तरह के आरोप कई सालों से ईरान पर लगाते रहे हैं. यहां तक उन्होंने 2012 में बम का एक कार्टून भी संयुक्त राष्ट्र में पेश किया था. हालांकि इस्राएल यह साबित नहीं कर सका है कि ईरान परमाणु बम बनाने के करीब है, जिसका वह आरोप लगाता रहा है.

संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी आईएईए ईरान के परमाणु केंद्रों पर नजर रखती आई है और उसने उनका वहां जा कर निरीक्षण भी किया है. आईएईए का कहना है कि वह यह गारंटी नहीं दे सकती कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है लेकिन उसे वहां सक्रिय रूप से हथियार बनाने के कार्यक्रम के कोई "विश्वसनीय संकेत" भी नहीं मिले हैं.

मामला यहां तक कैसे पहुंचा

2015 में दुनिया के ताकतवर देशों के साथ हुआ परमाणु करार कुछ सालों के बाद खत्म होने के बाद ईरान ने अपना परमाणु कार्यक्रम का विस्तार कर उसे तेज कर दिया. इसके जरिए वह इच्छा होने पर बम बनाने के करीब पहुंच सके. हालांकि उसने हमेशा इस बात से इनकार किया है कि उसका इरादा बम बनाने का है. 

2015 के परमाणु करार में ईरान की परमाणु गतिविधियों पर कठोर सीमाएं लागू की गई थीं. इसके बदले में उसे कुछ प्रतिबंधों से छूट दी गई लेकिन उसके संवर्धित यूरेनियम का भंडार बहुत नीचे चला गया. समझौते में ईरान को यूरेनियम का सिर्फ 3.67 फीसदी तक की शुद्धता तक संवर्धन करने की ही अनुमति थी. बम बनाने के लिए मोटे तौर पर 90 फीसदी तक शुद्धता वाले यूरेनियम की जरूरत होती है.

अमेरिका का कहना है कि उस समय प्रमुख लक्ष्य यह था कि ईरान को परमाणु बम के लिए पर्याप्त फिसिल मटीरियल बनाने में लगने वाले समय को बढ़ाया जाए, कम से कम एक साल तक. ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम में यह सबसे बड़ी बाधा थी.

नतांज परमाणु केंद्र की सेटेलाइट से ली गई तस्वीर
सेटलाइट से ली गई तस्वीरों के आधार पर आईएईए ने नतांज में नुकसान की जानकारी दी हैतस्वीर: Maxar Technologies/AP/picture alliance

2018 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान डॉनल्ड ट्रंप इस समझौते से बाहर निकल गए. ईरान पर दोबारा प्रतिबंध लग गए और उसके तेल की बिक्री घटी और अर्थव्यवस्था को कड़ी चोट पहुंची. 2019 में ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर समझौते के तहत लगी सीमाओं का उल्लंघन शुरू किया. उसके बाद से वह उसे काफी आगे ले गया. 

ईरान की मिसाइल क्षमताओं से खतरा क्यों है?

धीरे-धीरे ईरान ने समझौते की सारी सीमाएं खत्म कर दीं. इनमें यह भी शामिल था कि कहां और किन मशीनों से किस स्तर तक यूरेनियम का संवर्धन होगा और कितना मटीरियल वह जमा कर सकता है.

समझौते में उसके यूरेनियम भंडार के लिए 202.8 किलो की सीमा तय की गई थी. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी, आईएईए की एक रिपोर्ट के मुताबिक मई में उसका यूरेनियम भंडार 9.2 टन तक होने का अनुमान है.

कितना आगे निकल गया है ईरान

इस्राएल का हमला शुरू होने के बाद ईरान के परमाणु केंद्रों और मटीरियल के बारे में सही स्थिति की पक्की जानकारी नहीं है. इस्राएल का हमला होने तक ईरान यूरेनियम को 60 फीसदी की शुद्धता तक संवर्धित कर रहा था. आईएईए के मापदंडों के मुताबिक उसके पास जो यूरेनियम था उसे और संवर्धित कर 9 परमाणु हथियार बनाया जा सकता है. 

विशेषज्ञों के मुताबिक इसका मतलब है कि ईरान का कथित "ब्रेकआउट टाइम" शून्य पर पहुंच गया है. ब्रेकआउट टाइम का मतलब उस समय से है जो ईरान को परमाणु बम के लिए हथियार बनाने लायक यूरेनियम तैयार करने में लगने वाला समय. इस स्थिति में कुछ दिनों या फिर एक हफ्ते से कुछ ज्यादा समय में ईरान परमाणु बम बनाने लायक यूरेनियम संवर्धित कर सकता है. 

ईरान के पास तीन संवर्धन केंद्र हैं. नतांज में एक जमीन पर मौजूद संवर्धन केंद्र, दूसरा नतांज में ही भूमिगत और विशाल संवर्धन केंद्र और तीसरा पहाड़ों के भीतर जो फोर्दो में है.

आईएईए के महानिदेशक रफायल ग्रोसी एक प्रेस कांफ्रेंस में
आईएईए के प्रमुख रफायल ग्रोसी ने बताया है कि इस्राएल के हमलों में ईरान के नतांज परमाणु केंद्र को नुकसान पहुंचा हैतस्वीर: Elisabeth Mandl/REUTERS

इस्राएल के ताजा हमलों के बाद आईएईए का कहना है कि सिर्फ फोर्दो का परमाणु केंद्र ही इनसे अछूता है. आईएईए के प्रमुख रफायल ग्रोसी का कहना है कि नतांज में जमीन पर मौजूद परमाणु केंद्र ध्वस्त हो गया है और भूमिगत परमाणु केंद्र में यूरेनियम का संवर्धन करने वाले सेंट्रीफ्यूज को नुकसान पहुंचा है.

इसकी वजह से ईरान का ब्रेकआउट टाइम बढ़ गया है. अनुमान है कि या तो नतांज के परमाणु घर नहीं चल रहे हैं या अगर चल भी रहे हैं तो बहुत सीमित क्षमताओं के साथ. संवर्धित यूरेनियम के भंडार की स्थिति के बारे में जानकारी नहीं है.

कितनी तेजी से बम बना सकता है ईरान

यूरेनियम संवर्धन के अलावा एक सवाल यह भी है कि ईरान को परमाणु हथियार की बाकी चीजों को बनाने में कितना समय लगेगा. इसके साथ ही संभवतया उसे इसे छोटा भी रखना होगा ताकि अगर वह इसे लॉन्च करना चाहे तो, इसे बैलिस्टिक मिसाइल जैसे डिलीवरी सिस्टम के जरिए लॉन्च किया जा सके. इसके बारे में अनुमान लगाना कठिन है क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि ईरान इस बारे में कितना जानता है.

ईरान को परमाणु हथियार बनाने में लगने वाले समय के बारे में जो अनुमान है वह महीनों से लेकर एक साल तक का है. मंगलवार को रफाएल ग्रोसी ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन से बातचीत में ईरान को बम बनाने में लगने वाले समय के बारे में कहा, "निश्चित रूप से यह कल नहीं होगा... हालांकि मुझे यह भी नहीं लगता कि इसमें कई साल लगेंगे."

क्या ईरान परमाणु हथियार बनाएगा?

अमेरिकी खुफिया एजेंसी और आईएईए का मानना है कि ईरान परमाणु हथियारों के लिए उस कार्यक्रम को चलाता रहा था, जिसे उसने 2003 में रोकने की बात कही थी. 2015 में आईएईए को एक रिपोर्ट से पता चला कि हथियारों से जुड़े कुछ काम 2009 तक चलते रहे. ग्रोसी का कहना है कि इस महीने जो उन्हें ताजा जानकारी मिली है, वह मोटे तौर पर उस रिपोर्ट के मुताबिक ही है. 

भीषण मोड़ लेता ईरान-इस्राएल संघर्ष

ईरान इस बात से इनकार करता है कि उसका कोई परमाणु हथियार कार्यक्रम है. हालांकि सुप्रीम लीडर अयातोल्लाह अली खामेनेई का कहना है कि अगर वह बम बनाना चाहेगा तो "दुनिया के नेता उसे रोक नहीं पाएंगे." आईएईए को ईरान की बम बनाने की क्षमता के बारे में पूर्व अधिकारियों के दिए कुछ बयानों से भी चिंता है.

इन बयानों में ईरान के पूर्व परमाणु ऊर्जा प्रमुख अली अकबर सालेही का दिया बयान है जिसमें उन्होंने परमाणु हथियार बनाने की तुलना कार बनाने से की थी और कहा था कि ईरान जानता है कि सभी जरूरी हिस्सों को कैसे बनाया जाए.

2015 के करार में तय हुई शर्तों को लागू करने से ईरान ने इनकार कर दिया है. ऐसे में आईएईए अब पूरी तरह से ईरान के सेंट्रीफ्यूज बनाने और मौजूदा भंडार पर नजर नहीं रख सकता. इसके साथ ही यह तत्काल कोई निरीक्षण भी नहीं कर सकता. इसकी वजह से यह आशंका भी जोर पकड़ रही है कि कहीं ईरान ने कोई खुफिया संवर्धन केंद्र ना खोल लिया हो, हालांकि इसके बारे में कोई पक्के संकेत नहीं हैं.