कैसे मनाते हैं मलेशिया के तमिल हिंदू अपना त्योहार "थाईपुसम"
मलेशिया के तमिल हिंदू हर साल तमिल कैलेंडर के थाई महीने में "थाईपुसम" त्योहार मनाते हैं. देखिए क्या क्या होता है इस त्योहार में.
तमिल हिंदुओं का त्योहार
"थाईपुसम" के दिन मलेशिया में हजारों तमिल हिंदू देश के मंदिरों में इकट्ठा होते हैं. इस त्योहार को उस दिन को याद करने के लिए मनाया जाता है जिस दिन मान्यता के अनुसार देवी पार्वती के बेटे मुरुगन ने अपनी मां से एक अलौकिक अस्त्र प्राप्त कर शूर्पद्म नाम के असुर का वध किया था.
यातना सहते हैं श्रद्धालु
त्योहार को मनाने के लिए श्रद्धालु राजधानी कुआलालुंपुर के बाहर स्थित बाटू गुफा मंदिर की 272 सीढ़ियां भारी आर्द्रता वाले मौसम में नंगे पांव चढ़ते हैं. कुछ श्रद्धालु सर पर भारी कांवड़ उठाए रहते हैं जिसे उनके शरीर में छड़ों को भोंक कर लगाया जाता है.
भगवान को धन्यवाद
ये कांवड़ भारी होते हैं. कुछ तो 100 किलो तक वजन के होते हैं. कुछ लोगों के गालों और जीभ तक में सुइयां भोंकी जाती हैं. माना जाता है कि लोग ऐसा भगवान मुरुगन को धन्यवाद देने के लिए और तप का भाव दिखाने के लिए करते हैं.
अवचेतन अवस्था
नगाड़ों की धुन पर आगे बढ़ते इन श्रद्धालुओं को देखकर ऐसा लगता है जैसे मानो ये एक अवचेतन अवस्था में हों. जो यह सब नहीं करवाते वो पीले कपड़े पहन दूध और नारियल ले कर दूर दूर से पैदल मंदिर जाते हैं. नारियलों को चढ़ावे के लिए मंदिर में फोड़ा जाता है.
सात्विक आचरण
त्योहार को मनाने वाले हफ्तों पहले से सात्विक आचरण अपना लेते हैं. इसमें रोज पूजा करना, शाकाहारी भोजन खाना और यौन क्रिया से दूर रहना जैसे कदम शामिल हैं.
सिंगापुर में भी मनाया जाता है
थाईपुसम तमिल कैलेंडर के "थाई" महीने में "पुसम" नक्षत्र के तहत पहली पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इसे भारत और सिंगापुर के तमिल भी मनाते हैं. लेकिन मलेशिया में इसकी विशेष धूम होती है. मलेशिया की करीब 3.4 करोड़ आबादी में लगभग सात प्रतिशत लोग भारतीय मूल के हैं. (सीके/वीके/एफपी)