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अगले कई सालों तक गर्मी से नहीं मिलने वाली राहत

२९ मई २०२५

आने वाले सालों में दुनिया अभूतपूर्व गर्मी का सामना कर सकती है. शीर्ष मौसम एजेंसियों का अनुमान है कि जल्द ही एक नया वार्षिक तापमान रिकॉर्ड बनने की 80 प्रतिशत संभावना है.

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पाकिस्तान में हीटवेव
पाकिस्तान में हीटवेव तस्वीर: Aamir Qureshi/AFP/Getty Images

दुनिया की दो शीर्ष मौसम एजेंसियों ने पूर्वानुमान लगाया है कि आने वाले कई वर्षों तक और भी अधिक रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ेगी. जो पृथ्वी को और भी अधिक घातक, उग्र और असुविधाजनक चरम स्थितियों की ओर ले जाएगी.

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) और यूके मौसम विज्ञान कार्यालय की ओर से बुधवार को जारी पांच-वर्षीय पूर्वानुमान के मुताबिक, अगले पांच वर्षों में विश्व द्वारा एक और वार्षिक तापमान रिकॉर्ड तोड़ने की 80 फीसदी संभावना है, यह और भी अधिक संभावित है कि विश्व एक बार फिर 10 साल पूर्व निर्धारित अंतरराष्ट्रीय तापमान सीमा को पार कर जाएगा.

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गर्मी के पिछले रिकॉर्ड टूट जाएंगे

कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की जलवायु वैज्ञानिक नैटली माहोवाल्ड, जो इस शोध का हिस्सा नहीं थीं, ने कहा, "उच्च वैश्विक औसत तापमान काल्पनिक लग सकता है, लेकिन वास्तविक जीवन में चरम मौसम की संभावना अधिक है. ताकतवर तूफान, भारी बारिश और सूखा." उन्होंने कहा, "उच्च वैश्विक औसत तापमान का मतलब है अधिक जीवन का बर्बाद होना."

जर्मनी में जलवायु प्रभाव अनुसंधान के लिए पॉट्सडैम इंस्टिट्यूट के निदेशक योहान रॉकस्ट्रॉम ने कहा, "मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया के हर दसवें डिग्री के गर्म होने के साथ, हम अधिक आवृत्ति और अधिक चरम घटनाओं का अनुभव करेंगे." वह इस शोध का हिस्सा नहीं थे.

दोनों एजेंसियों ने कहा है कि पहली बार ऐसी संभावना है, जो बहुत कम है कि दशक के अंत से पहले, विश्व का वार्षिक तापमान पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्य को पार कर जाएगा, जिसके अनुसार तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य तय किया गया है और 1800 के दशक के मध्य से अब तक का सबसे अधिक खतरनाक 2 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया जाएगा.

अगले कुछ साल में धरती का तापमान बढ़ जाएगा

शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि 86 प्रतिशत संभावना है कि अगले पांच वर्षों में से एक वर्ष में तापमान 1.5 डिग्री को पार कर जाएगा और 70 प्रतिशत संभावना है कि कुल मिलाकर पांच वर्षों में औसत तापमान उस वैश्विक मील के पत्थर से अधिक होगा.

यूके के मौसम विभाग में जलवायु प्रभाव अनुसंधान के प्रमुख और एक्सटीयर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रिचर्ड बेट्स ने कहा, "अगले पांच वर्षों में औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहने का अनुमान है. इससे पहले से कहीं अधिक लोगों को भीषण हीटवेव का खतरा होगा, जिससे अधिक मौतें होंगी और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा, जब तक कि लोगों को गर्मी के प्रभावों से बेहतर तरीके से नहीं बचाया जा सकता. साथ ही, हम अधिक भीषण जंगल की आग की आशंका कर सकते हैं, क्योंकि गर्म वातावरण परिदृश्य को सुखा देता है."

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अल नीनो का भी असर

साल 2015 में पेरिस में हुए अंतरराष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन में विश्व के 196 नेताओं ने सहमति जताई थी कि ग्लोबल वॉर्मिंग को दो डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं होने देंगे और वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस के भीतर रखने के लिए प्रयास करते रहेंगे.

अल नीनो की स्थिति आमतौर पर हर दो से सात साल बाद बनती है. इसकी वजह से मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर गर्म हो जाता है और समुद्र की सतह का औसत तापमान बढ़ जाता है. अल नीनो की वजह से महासागरों की सतह के औसत तापमान में साल 1991-2020 के औसत की तुलना में 0.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी देखी गई.

एए/वीके (एपी)