जर्मनी का नया ट्रेंड, एकला रहो रे
१६ जुलाई २०२५आंकड़े जुटाने में जर्मनी का कोई जवाब नहीं. खुद जर्मन भी जानते हैं कि उनका देश बेहद जरूरी आंकड़ों के साथ साथ विचित्र किस्म का डेटा भी जुटा लेता है. जर्मनी के संघीय सांख्यिकी विभाग ने बुधवार को सोलो लिविंग का डेटा जारी किया. सोलो लिविंग यानी ऐसे लाइफस्टाइल, जिसमें लोग अकेले रहते हैं. इसकी वजह मजबूरी भी हो सकती है और झमेले मुक्त जीवन की हसरत भी.
फेडरल स्टैटिस्टिकल ऑफिस के मुताबिक 2024 में जर्मनी में करीब 1.7 करोड़ लोग अकेले रह रहे थे. दो दशकों के बाद इस संख्या में इतना उछाल देखा गया है. ठीक 20 बरस पहले, 2004 में सिंगल हाउसहोल्ड के तहत देश की करीब 17.1 फीसदी आबादी अकेले रह रही थी. अब यह 20.6 प्रतिशत है, यानी जर्मनी में हर पांचवां शख्स अकेला रह रहा है.
अकेला रहना, ख्वाहिश या मजबूरी
सिंगल पर्सन हाउसहोल्ड के इस डेटा से सामाजिक ताने बाने का पता चलता है. अकेले रहने वाले लोगों में सबसे ज्यादा संख्या 65 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों की है. लेकिन इस ट्रेंड में अब नौजवान भी शामिल हो रहे हैं. 25 से 34 साल के 28 फीसदी युवा भी अकेले रह रहे हैं. यूरोपीय संघ में अकेले रहने वाले लोगों का औसत 16.2 फीसदी है. इस लिहाज से जर्मनी अपने यूरोपीय पार्टनरों के मुकाबले काफी आगे है.
जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए की रिपोर्ट के मुताबिक, अकेले रहने वालों पर गरीबी का खतरा ज्यादा मंडराता है. 2024 में हुई एक मिनी जनगणना के शुरुआती नतीजों के मुताबिक, अकेले रहने वाले 29 फीसदी लोगों पर गरीबी का दोगुना खतरा है.
अकेले रहने और अकेलेपन में फर्क
जर्मनी की येना यूनविर्सिटी के रिसर्चरों ने नंवबर 2023 में सिंगल लिविंग पर शोध किया. शोध पत्र के लेखक फिलिप केर्स्टन लिखते हैं कि अकेले रहने वाले लोगों में भले ही अकेलेपन का जोखिम मंडराता हो, लेकिन वो अकेलेपन से घिर ही जाएंगे, यह दावा नहीं किया जा सकता. इसके उलट, अकेले रहने वाले लोग भी विविधता से भरे और संतुष्टि देने वाले माहौल में रह सकते हैं.
हालांकि शोधकर्ताओं ने यह जरूर कहा कि दूसरे इंसानों के साथ ज्यादा नियमित संपर्क खुशहाली का एक अहम कारक है और ऐसा कोई भी कर सकता है.
जर्मनी यूरोप की सबसे बड़ी और दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था है. 2024 की गणना में देश की आबादी 8.39 करोड़ बताई गई.