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एएफडी की चुनौतियों के बीच जर्मन संसद की पहली सभा

२५ मार्च २०२५

जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेसटाग के नवनिर्वाचित सदस्य मंगलवार को पहली सभा के लिए संसद पहुंचे. जर्मनी में पिछले महीने ही चुनाव हुए थे.

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जर्मन संसद के निचले सदन में नवनिर्वाचित सांसद
पिछले महीने के चुनाव के बाद मंगलवार 25 मार्च को नवनिर्वाचित सांसद पहली बार संसद आएतस्वीर: Fabrizio Bensch/REUTERS

संसद के सत्र की शुरुआत ग्रेगोर गीजी ने की जो फिलहाल बुंडेसटाग के सबसे अधिक समय से सांसद हैं. संसद का नया अध्यक्ष चुने जाने तक सभा की अध्यक्षता वही करेंगे.

रुढ़िवादी संसदीय गुट सीडीयू/सीएसयू ने अनुभवी राजनेता यूलिया क्लॉकनर को इस पद के लिए नामांकित किया है. पारंपरिक रूप से संसद के सबसे बड़े दल के किसी नेता को ही इस पद के लिए चुना जाता है.

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संसद में ताकतवर हुई एएफडी

मध्य दक्षिणपंथी समूह सीडीयू/सीएसयू को फरवरी के चुनावों में 28.5 फीसदी वोट मिले और इसके साथ ही यह संसद में पहले नंबर की पार्टी बन गई. सीडीयू यानी क्रिश्चियन  डेमोक्रैटिक यूनियन के नेता फ्रीडरिष मैर्त्स जर्मनी के अगले चांसलर बनेंगे. मध्य वामपंथी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी के साथ गठबंधन पर उनकी बातचीत चल रही है जिसके पूरा होते ही सरकार का गठन होगा.

नई संसद की पहली सभा के सभापति ग्रेगर गीजी
सबसे लंबे समय से सांसद रहे ग्रेगर गीजी ने नई संसद की पहली सभा की अध्यक्षता कीतस्वीर: Lisi Niesner/REUTERS

सभापति या अध्यक्ष आमतौर पर सत्रों का प्रारंभ और समापन करते हैं. कामकाज के लिए विषयों को चुनते और सांसदों को बोलने की अनुमति देते हैं. पिछली संसद में सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी की बेर्बेल बास के पास यह जिम्मेदारी थी. 

52 साल की क्लोकनर इस पद पर पहुंचने वाली जर्मनी की चौथी महिला होंगी. एक बार संसद के अध्यक्ष का चुनाव हो जाने के बाद उपसभापतियों के चुनाव पर ध्यान दिया जाएगा. इस बार यह मामला थोड़ा ज्यादा अहम है क्योंकि पहली बार धुर दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड यानी एएफडी के नेता को उपसभापति का पद हासिल करने के योग्य बनी है. 2027 में संसद में दाखिल होने के बाद से अब तक एएफडी के नेताओं को दूसरे संसदीय समूहों का वोट नहीं मिला था कि वे इस पद पर पहुंच सकें. 

1945 के बाद यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी संख्या में धुर दक्षिणपंथी संसद में रहेंगे. 23 फरवरी को हुए चुनाव में एएफडी दूसरे नंबर की पार्टी बन कर उभरी. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद कभी धुर दक्षिणपंथियों को इतना समर्थन नहीं मिला था. जर्मनी फिलहाल कई दशकों के सबसे बड़े राजनीतिक और आर्थिक संकट से जूझ रहा है.  यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद जर्मनी में पैदा हुई आर्थिक मुश्किलों ने भी एएफडी के उभार में योगदान दिया है.

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पहले दिन से शुरू हुई खींचतान

मंगलवार को जब संसद का सत्र शुरू हुआ तो इसके कुछ ही मिनटों के बाद एएफडी के पूर्व नेता आलेक्जांडर गाउलांड ने मांग रखी कि संसद के सबसे उम्रदराज सांसद को सत्र की शुरुआत करनी चाहिए, ना कि लेफ्ट पार्टी के नेता ग्रेगर गीजी को जो सबसे लंबे समय से सांसद हैं.

संसद की नई सभापति चुनी गईं यूलिया क्लॉकनर
पहले दिन के कामकाज में संसद के नए सभापति का चुनाव भी शामिल थातस्वीर: Juliane Sonntag/IMAGO

वास्तव में 2017 में नियम बदला गया था ताकि एएफडी के सदस्य को संसद के सत्र की शुरुआत करने से रोका जा सके. एएफडी के संसदीय दल के नेता बैर्न्ड बाउमन ने कहा, "आपके तिकड़म हमारे उभार को नहीं रोक सके."

नई संसद में धुर दक्षिणपंथी समूह ना सिर्फ पहले से दोगुना हो गया है बल्कि कई ऐसे नेताओं के साथ संसद में दाखिल हुआ है जो अभूतपूर्व चरमपंथी विचारों को प्रगट करते रहे हैं.

एएफडी के सांसद

इनमें से एक सदस्य हैं माक्सिमिलियान क्राह जो पहले यूरोपीय संसद के सदस्य थे. क्राह एक अखबार को दिए इंटरव्यू में जर्मन तानाशाह अडोल्फ हिटलर के कुख्यात अर्धसैनिक बल एसएस की तारीफ करने से खुद को नहीं रोक सके. इसी वजह से फ्रांस की धुर दक्षिणपंथी नेता मरीन ला पेन की पार्टी के साथ एएफडी के संबंध बिगड़ गए.

क्राह को यूरोपीय संसद में पार्टी से अलग कर दिया गया. अब उन्हें जर्मन संसद में लाया गया है जो पार्टी के बढ़ते आत्मविश्वास को दिखाता है. सीडीयू/सीएसयू के मुकाबले एएफडी का अंतर काफी कम हो गया है.

इसी तरह एएफडी के एक और नेता हैं माथियास हेल्फरिष. वह 2021 में संसद पहुंचे थे लेकिन जब उनके कुछ आपत्तिजनक संदेश लीक हो गए तो उन्हें संसद में पार्टी से अलग कर दिया गया. इन संदेशों में उन्होंने खुद को "नाजियों का दोस्ताना चेहरा बताया" था. हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि वह सिर्फ मजाक था. पार्टी अब उन्हें एक बार फिर पूरे दमखम से संसद में ले आई है. 

 जर्मन संसद का मुख्य हॉल
संसद में पार्टियों की नई स्थिति के हिसाब से बैठने की व्यवस्था बनाई गई है, पहली बार एएफडी के सांसद इतनी बड़ी संख्या में संसद में हैंतस्वीर: Michael Kappeler/dpa/picture alliance

कभी यूरोविरोधी अर्थशास्त्रियों की पार्टी रही एएफडी का गठन 2013 में हुआ था. तब उसने मुस्लिम आप्रवासियों का विरोध कर अपने लिए समर्थन जुटाया और फिर युद्ध में यूक्रेन के खिलाफ रूस की ओर अपना रुझान दिखाया. यह पार्टी यूरोपीय संघ को खत्म करने की मांग करती है. इसके नए सदस्यों में कई लोग सेना की पृष्ठभूमि वाले हैं. 

एएफडी की सीमित शक्तियां

जर्मनी में आर्थिक अनिश्चितता बढ़ गई है. एक तरफ यूक्रेन युद्ध है तो दूसरी तरफ व्हाइट हाउस में डॉनल्ड ट्रंप - इन सबने देश की राजनीति को प्रभावित किया है. जर्मनी की लेफ्ट पार्टी ने भी कई सालों के बाद बेहतर प्रदर्शन कर संसद में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है.

संसद में एएफडी की औपचारिक शक्ति सीमित होगी क्योंकि संसदीय जांच कमेटियों के गठन के लिए कम से कम 25 फीसदी सीटों की जरूरत होती है. अगर ऐसा हुआ होता तब उसे सरकार की मुश्किलें बढ़ाने के लिए पर्याप्त अधिकार मिल जाते.

हालांकि कर्ज सीमा बढ़ाने का बिल पास कराने के लिए फ्रीडरिष मैर्त्स को जो बाकी पार्टियों के साथ समझौते करने पड़े हैं उसने एएफडी को मदद दी है. सर्वेक्षण बता रहे हैं कि उसने सीडीयू/सीएसयू से अपना अंतर चुनाव के बाद और कम कर लिया है.

630 सीटों वाली संसद में 24 फीसदी सीटों के साथ एएफडी के पास बहस का मूड तय करने के पर्याप्त मौके होंगे. इसके साथ ही यह अपने खिलाफ राजनीतिक असहयोग की दीवार को भी चुनौती देने की हालत में होगी. 

इसी महीने एक अदालत ने फैसला सुनाया कि संसद की फुटबॉल टीम अब एएफडी के सांसदों को अपने से दूर नहीं रख सकती.

एनआर/आरपी (डीपीए, रॉयटर्स)