जर्मनी में अगली सरकार के लिए गठबंधन समझौता तैयार
९ अप्रैल २०२५जर्मनी में अगली सरकार बनाने के लिए पार्टियों के बीच सहमति बन गई है. इस मौके पर बर्लिन की एक प्रेस कांफ्रेंस में गठबंधन का एलान करते वक्त चांसलर बनने जा रहे सीडीयू नेता फ्रीडरिष मैर्त्स ने कहा कि जर्मनी को एक मजबूत सरकार मिलेगी जो काम करने में सक्षम होगी.
आप्रवासियों के लिए सख्ती बढ़ेगी
रुढ़िवादी दल के नेता फ्रीडरिष मैर्त्स ने कहा कि इस समझौते ने "देश को आगे ले जाने की एक मजबूत योजना पेश की है." मैर्त्स ने यह भी कहा कि सरकार "मोटे तौर पर अनियमित आप्रवासन को खत्म कर देगी." इसके लिए उन्होंने सीमा पर सख्त नियंत्रण लागू करने के साथ ही शरण मांगने वालों को लौटाने की भी बात कही है.
मैर्त्स ने जर्मनी की नागरिकता के नियमों को भी सख्त करने की बात कही है. पिछली सरकार ने इन नियमों को उदार बनाया था. नई सरकार सीरिया और अफगानिस्तान के लोगों को उनके देश वापस भेजने पर भी काम करेगी. इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि गठबंधन समझौते में शामिल सभी पार्टियां इस समझौते को मंजूरी दे देंगी.
गठबंधन सरकार की प्राथमिकताओं में ऊर्जा की कीमतों में कमी, कृषि के लिए डीजल में टैक्स छूट और इलेक्ट्रिक गाड़ियों की खरीदारी में प्रोत्साहन देने की बात कही गई है.
कई हफ्तों की बातचीत के बाद गठबंधन
नई सरकार के लिए मध्य दक्षिणपंथी क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन (सीडीयू)और उसकी बवेरियाई सहयोगी पार्टी क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू) ने एसपीडी के साथ समझौता किया है. फरवरी में हुए संसदीय चुनाव के बाद से कई हफ्तों तक चली औपचारिक बातचीत में दोनों पक्ष गठबंधन के लिए रजामंद हुए हैं.
यह सरकार सीडीयू नेता 69 साल के फ्रीडरिष मैर्त्स के नेतृत्व में काम करेगी. पार्टी से जुड़े सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी डीपीए ने खबर दी है कि 60 साल में पहली बार सीडीयू विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालेगी. एसपीडी को वित्त और रक्षा मंत्रालय मिल रहा है.
जर्मनी की नई सरकार से कैसी उम्मीद रखते हैं एशिया देश
सरकार बनाने पर समझौता एक मुश्किल वक्त में हुआ है. निर्यात आधारित जर्मन अर्थव्यवस्था पहले से ही लगातार दूसरे वर्ष की मंदी से जूझ रही है. इसके अलावा उस पर अमेरिकी सरकार के नए आयात शुल्क का भी बुरा असर होने का अंदेशा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने यूरोपीय संघ से आने वाले सामानों पर 20 फीसदी शुल्क लगाने की बात की है. इसके साथ ही ट्रंप ने जर्मनी के कार उद्योग पर भी आयात शुल्क लगाया है.
नई सरकार की चुनौतियां
मैर्त्स की सरकार को पहले से बने रूसी खतरे और यूक्रेन को घटते अमेरिकी समर्थन जैसी स्थितियों का भी सामना करना होगा. इसके अलावा देश में धुर दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड यानी एएफडी का उभार भी उसकी बड़ी चुनौतियों में शामिल है. बुधवार को हुए एक सर्वे में एएफडी को पहली बार देश में सबसे ज्यादा समर्थन वाली पार्टी बताया गया है.
शॉल्त्स की सरकार गिरने के बाद जर्मन संसद बुंडेसटाग के मध्यावधि चुनाव में सीडीयू/सीएसयू को सबसे ज्यादा 28.5 फीसदी वोट मिले. दूसरे नंबर पर एएफडी और तीसरे नंबर पर एसपीडी रही. इस स्थिति में सरकार बनाने के लिए एक ही विकल्प दिख रहा था कि एसपीडी सीडीयू/सीएसयू के साथ गठबंधन करे.
मुख्यधारा की सभी पार्टियों ने एएफडी के साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया है. जाहिर है कि इन नतीजों के साथ कोई और गठबंधन संभव नहीं था. ऐसे में दोनों पक्षों पर यह दबाव था कि अपनी चिर प्रतिद्वंद्विता को भुलाकर सहयोग के लिए तैयार हों.
मैर्त्स के पास अभी चांसलर पद पर एसपीडी नेता ओलाफ शॉल्त्स की जगह लेने से पहले कई हफ्ते का समय है. सबसे पहले एसपीडी के सदस्य इस समझौते पर मंजूरी की मुहर लगाएंगे. इसके लिए सदस्यों को 10 के भीतर एक ऑनलाइन वोटिंग में हिस्सा लेना होगा. इसी तरह सीडीयू के प्रतिनिधियों को भी पार्टी के सम्मेलन में इस पर मंजूरी देनी होगी.
मैर्त्स बार बार कहते रहे हैं कि वह ईस्टर तक अपनी सरकार बना लेने की इच्छा रखते हैं. हालांकि ऐसा लग रहा है कि चांसलर पद पर उनकी ताजपोशी मई की शुरुआत में ही हो पाएगी.