जानिए जर्मनी के नौ यूरो के ट्रेन टिकट के बारे में
जर्मनी के सस्ते ट्रेन टिकट की भारत में भी चर्चा हो रही है. इसकी वजह से आना जाना सस्ता तो हुआ, लेकिन कुछ समस्याएं भी हुईं. जानिए क्यों कुछ लोग सस्ते टिकट की आलोचना कर रहे हैं.
स्वप्नलोक जैसे द्वीप की सस्ती यात्रा
नार्थ सी के सिल्ट द्वीप का स्वप्नलोक जैसा सफेद समुद्री तट हर साल लाखों लोगों को आकर्षित करता है. इनमें से अधिकांश लोग धनि होते हैं क्योंकि सिल्ट घूमने के लिए जर्मनी के सबसे महंगे स्थानों में से है. नौ यूरो के टिकट की बदौलत कम से कम वहां पहुंचना तो कम खर्च में संभव हो पाया.
लेकिन बढ़ गई भीड़
यात्रा खर्च कम हो जाने का असर यह हुआ कि अमूमन धनि लोगों के आगमन के लिए जाने जाने वाले द्वीप पर थोड़े कम संसाधनों वाले लोगों की भीड़ हो गई. पंक और उपभोक्तावाद की आलोचना करने वाले दूसरे समूहों के लोग बड़ी संख्या में आ गए. वहां अक्सर जाने वालों को इन लोगों की उपस्थिति नागवार गुजरी.
हैम्बर्ग को हुआ फायदा
ग्रेटर हैम्बर्ग में तो नौ यूरो टिकट पूरी तरह से हिट रहा. पहले दो महीनों में 18 लाख से ज्यादा टिकट बिके. कई लोगों ने मौके का फायदा उठा कर हैनसियाटिक शहर के नजारे भी देख डाले. एक सर्वेक्षण के मुताबिक इससे चालीस लाख से भी ज्यादा गाड़ी से की गई यात्राएं बच गईं.
राइनलैंड-पालाटीनेट में ज्यादा पर्यटक
राइनलैंड-पालाटीनेट समेत जर्मनी के कई इलाकों में टिकट का इस्तेमाल पर्यटक स्थलों को देखने के लिए किया. बड़ी संख्या में लोग ट्रायर कैथेड्रल भी देखने पहुंचे, जो एक यूनेस्को विश्व धरोहर साइट है.
नुश्वानस्टाइन किले का आकर्षण बढ़ा
बवेरिया में परी लोक जैसा नुश्वानस्टाइन किला हमेशा से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है, लेकिन कोरोना वायरस महामारी की वजह से वहां लोगों का जाना कम हो गया था. नौ यूरो टिकट ऐसे में बिल्कुल सही समय पर आया और यहां जाने वालों की संख्या बढ़ गई. टेगेर्नसे, चीम्से और होहेनश्वांगाऊ किलों की तरफ भी पर्यटकों का आकर्षण बढ़ गया.
सैक्सन स्विट्जरलैंड के पहाड़
सस्ते टिकट की वजह से सैक्सन स्विट्जरलैंड के नाम से जाने जाने वाले जर्मनी के इस पहाड़ी इलाके में भी पर्यटकों की संख्या बढ़ गई. यह तस्वीर बास्टी पुल की है जहां हजारों पर्यटक यहां के मनोरम दृश्य को देखने के लिए जमा हुए. इनमें से कई बस दिन भर के लिए वहां गए थे.
ग्रामीण इलाकों में सार्वजनिक यातायात
ग्रामीण इलाकों में यातायात का अपना साधन होना बेहतर है, क्योंकि यहां मेक्लेनबर्ग-पश्चिमी पोमेरेनिया में ट्रेनें कभी कभार ही दिखती हैं. इसलिए पर्यावरण संगठन ग्रामीण इलाकों स्थानीय सार्वजनिक यातायात के लिए और समर्थन की मांग कर रहे हैं. एक अध्ययन के अनुसार मेट्रोपोलिटन इलाकों के बाहर 5.5 करोड़ जर्मन लोगों को पर्याप्त सार्वजनिक यातायात उपलब्ध नहीं है.
ऐतिहासिक ट्रेनों की भी हुई चांदी
मेक्लेनबर्ग-पश्चिमी पोमेरेनिया की समुद्र के किनारे चलने वाली "मौली" जैसी ऐतिहासिक ट्रेनों में भी नौ यूरो टिकट की बदौलत कई लोगों ने यात्रा की. ऑपरेटरों का कहना है कि तीन महीनों में यात्रियों की संख्या में बड़ा उछाल आया. ऐसा ही हार्ज की छोटी लाइन की ट्रेनों और रशिंग रोलैंड नाम की भाप से चलने वाली ट्रेन के साथ भी हुआ.
वीकेंड के लिए आदर्श
नौ यूरो टिकट सप्ताहांत पर घूमने फिरने वालों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय रहा. सांख्यिकी विभाग के मुताबिक जून में इस विशेष ऑफर के पहले महीने में प्रांतीय और स्थानीय ट्रेनों के इस्तेमाल में कोविड-19 से भी पहले के मुकाबले रविवार को 83 प्रतिशत और शनिवार को 61 प्रतिशत उछाल आया.
क्या सस्ता टिकट वापस आएगा?
इस समय तो नौ यूरो के भाड़े को बनाए रखना अवास्तविक लग रहा है. अधिकांश जर्मन एक ऐसी सेवा देखना चाहेंगे जो पूरे देश में हर तरह के भाड़े पर लागू हो - और उसके लिए ज्यादा पैसे भी खर्च करेंगे. फिर एरफुर्ट जैसे मेट्रोपोलिटन इलाके ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित करते रहेंगे, लेकिन स्थानीय सार्वजनिक यातायात के विस्तार के बिना ग्रामीण इलाके मुमकिन है कि पीछे रह जाएं. (मार्टिन कोक)