स्वैच्छिक सैन्य सेवा की वापसी के लिए जर्मनी तैयार
२७ अगस्त २०२५बुधवार, 27 अगस्त को जर्मनी की कैबिनेट ने अनिवार्य सैन्य सेवा का बिल पेश करने की मंजूरी दे दी. इस मौके पर जर्मन चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स ने कहा कि जर्मनी, "सैन्य सेवा आधारित सेना के रास्ते पर लौट आया है."
मैर्त्स की कैबिनेट ने देश में सबके लिए स्वैच्छिक सैन्य सेवा की शुरुआत करने का फैसला किया है. जर्मनी में सैन्य ढांचे को मजबूत करने के लिए बुधवार को जिन कदमों पर सहमति बनी है उनमें यह भी शामिल है. संसद ने देश में एक नए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के गठन को की दिशा में कदम बढ़ाने पर भी सहमति दे दी है. यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी यूरोप में सुरक्षा को लेकर जो बेचैनी बढ़ी है, ये कदम उसी का नतीजा हैं.मैर्त्स पहले कहते रहे हैं कि वजह यूरोप की सबसे ताकतवर सेना जर्मनी में बनाएंगे.
जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने सैन्य सेवा बिल तैयार किया है. इसमें युवाओं को स्वैच्छिक आधार पर सेना में दाखिला देने का प्रस्ताव है. पिस्टोरियस ने इस योजना को "आगे की ओर विशाल कदम" कहा है. इसमें यह प्रावधान भी किया गया है कि अगर सेना में भर्ती के लिए स्वैच्छिक योजना के तहत पर्याप्त युवा नहीं मिलते तो फिर इसे अनिवार्य सेवा में भी बदला जा सकता है. जर्मनी में सैन्य सेवा को अनिवार्य बनाने को लेकर लंबे समय से बहस चल रही है.
हालांकि जर्मनी में गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रही चांसलर मैर्त्स की पार्टी सीडीयू ने इस बिल की आलोचना की है. पार्टी का कहना है कि जर्मन सेना, बुंडेसवेयर को मजबूत करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए हैं. यह बिल अब संसद के निचले सदन बुंडेसटाग में पेश किया जाएगा. वहां इस पर जोरदार बहस होने के आसार हैं और इसमें अहम बदलाव भी हो सकते हैं.
रूस पर नजर
यह वैधानिक प्रस्ताव ऐसे वक्त में आया है जब पूरा यूरोप यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद सुरक्षा को लेकर खतरा महसूस कर रहा है. बर्लिन में कैबिनेट की बैठक के बाद मैर्त्स ने कहा, "रूस हमारे खिलाफ लंबे समय से हाइब्रिड हमले कर रहा है." मैर्त्स ने जर्मन लोकतंत्र में और आईटी सुरक्षा पर लक्षित हमलों की ओर ध्यान दिलाया.
नाटो की क्षमता बढ़ाने के लक्ष्यों के तहत जर्मनी अपने सैनिकों की संख्या 260,000 तक बढ़ाने वाला है. इसका मतलब है लगभग 80,000 सक्रिय सैनिकों की नियुक्ति करनी होगी. रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2025 की शुरुआत में 170,800 पेशेवर सैनिक जर्मनी में थे. एक जुलाई को यह संख्या बढ़ कर 171,650 हो गई.
नई सैन्य सेवा को बड़े रिजर्व सैन्यबल का आधार बनाने की मंशा है. इस योजना की शुरुआत 15,000 नए सैनिकों की भर्ती से होगी. इसके साथ ही अनिवार्य मेडिकल परीक्षण को भी लागू किया जाएगा. ये दोनों योजनाएं 2027 में शुरू करने का लक्ष्य है. भविष्य में युवाओं को एक प्रश्नावली के जरिए यह बताना होगा कि वे सेना में भर्ती होने के लिए सक्षम और सहमत हैं.
दूसरी तरफ महिलाएं स्वेच्छा से यह काम कर सकेंगीं. सैन्य सेवा को ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए सैनिकों को ऊंची तनख्वाह दी जाएगी. अनुमान है कि उन्हें 2,000 यूरो प्रतिमाह से ज्यादा का वेतन मिलेगा.
देश को युवाओं जरूरत है
मैर्त्स का कहना है कि नई योजना दसियों हजार सैनिकों की भर्ती के लिए पर्याप्त होगी, जिनकी जरूरत है. उन्होंने कहा, "आज के परिप्रेक्ष्य में मुझे भरोसा है कि हम वह संख्या हासिल कर लेंगे जिसकी शुरूआत में जरूरत है." मैर्त्स ने यह भी कहा कि आगे की परिस्थितियों के आधार पर अतिरिक्त उपाय किए जाएंगे. इनमें अनिवार्य सैन्य सेवा शामिल है.
पिस्टोरियस की मध्य वामपंथी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी (एसपीडी) अपने रूढ़िवादी सहयोगी पार्टी सीडीयू की ओर से आ रहे दबाव के आगे नहीं झुकी और शुरुआत से ही सैन्य सेवा को अनिवार्य नहीं किया गया. पिस्टोरियस का कहना है कि नई योजना युवा जर्मनों का मन बदल सकती है और उनमें देश की सेवा के आदर्श का भाव पैदा कर सकती है. उनका कहना है कि युवा पीढ़ी के लोगों को यह तय करना होगा कि वे जर्मनी की सुरक्षा में किस तरह योगदान दे सकते हैं.
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद
जर्मनी की कैबिनट ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) बनाने को भी मंजूरी दी है. इसका लक्ष्य देश के लिए सुरक्षा नीति बनाना और संकट के समय तेजी से फैसले लेना संभव करना है. यह परिषद अमेरिका और ब्रिटेन में मौजूद इस तरह के परिषदों की तरह होगी. उस पर आशंकित खतरों को देखते हुए दीर्घकालीन रणनीति बनाने की जिम्मेदारी भी होगी.
एनएससी के अध्यक्ष चांसलर होंगे साथ ही इसमें कई मंत्रियों के साथ ही सहयोगी देशों और संगठनों के अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा. इनमें यूरोपीय संघ और नाटो भी शामिल हैं. एनएससी को स्थापित करने पर चर्चा 30 साल से चल रही थी लेकिन मैर्त्स का का कहना है कि नई सरकार ने कामकाज संभालने के कुछ ही महीने के भीतर इसको मंजूरी दे दी है. कैबिनेट के सुझाए दूसरे कदमों में साइबर सुरक्षा को बढ़ाना भी शामिल है.