बैलेट पेपर या ईवीएम: जर्मनी में किससे होता है चुनाव?
२३ फ़रवरी २०२५जर्मनी में 23 फरवरी को हो रहे चुनावमें मतदाता चुनाव करेंगे कि बुंडेसटाग, यानी जर्मन संसद के निचले सदन में कौन जाएगा. वोट से यह भी तय होगा कि जर्मनी का अगला चांसलर कौन बनेगा. बुंडेसटाग के पास महत्वपूर्ण विधायी अधिकार हैं. इसके सदस्यों यानी सांसदों को चार साल के लिए निर्वाचित किया जाता है.
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ईवीएम या बैलेट पेपर, किससे होती है वोटिंग?
जर्मनी में मतदान के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल नहीं होता. हालांकि, एक संक्षिप्त अवधि में ईवीएम का सीमित इस्तेमाल हुआ था. साल 1999 में यूरोपीय संसद के लिए हुए चुनाव में पहली बार जर्मनी में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग की व्यवस्था लाई गई. संसदीय चुनावों में इसका पहला इस्तेमाल 2002 में हुआ. फिर 2005 के चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल का दायरा और बढ़ा. इस साल हुए चुनाव में पांच जर्मन राज्यों में लगभग 20 लाख मतदाताओं ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग की थी. लेकिन फिर ईवीएम के इस्तेमाल को अदालत में चुनौती दी गई.
राजनीतिक विज्ञानी योआखीम वीसनर और उनके बेटे, फिजिस्ट उलरिष वीसनर ने शिकायत की कि यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और वोटर यह नहीं देख सकता कि कंप्यूटर के भीतर उसके वोट का क्या हुआ. नतीजों में गड़बड़ी का भी जोखिम बताया गया.
इसके बाद 2009 में जर्मनी की सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुनाया कि 2005 के चुनाव में इस्तेमाल हुए उपकरणों में कमियां थीं. कोर्ट ने माना कि वोटिंग मशीनें, चुनाव की पारदर्शिता से जुड़े संवैधानिक सिद्धांतों पर खरी नहीं उतरती हैं. यह जरूरी माना गया कि वोटिंग मशीनें संभावित गड़बड़ी या छेड़छाड़ के जोखिम से सुरक्षित हों, और इसकी प्रक्रिया पारदर्शी हो ताकि लोगों को समझ आए.
हालांकि, गड़बड़ी का कोई साक्ष्य नहीं मिलने के कारण 2005 के चुनाव में ईवीएम से डाले गए वोट वैध ही रहे. इसके बाद जर्मनी में बैलेट पेपर से ही वोटिंग होती है.
कौन डाल सकता है वोट?
सभी जर्मन नागरिक, जिनकी उम्र 18 साल और इससे ज्यादा है, वोट डाल सकते हैं. नए वोटर, जो मतदान के दिन कम-से-कम 18 साल के हुए हैं, वो भी वोट करते हैं. इस बार जर्मनी में मतदान योग्य लोगों की संख्या कम-से-कम 5.92 करोड़ है, जिनमें करीब 23 लाख नए वोटर हैं.
जर्मन चुनाव में इस बार क्या दांव पर लगा है?
वोटर, मतदान केंद्र पर जाकर या फिर डाक से बैलेट पेपर भेजकर मतदान कर सकते हैं. जर्मनी में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से मतदान नहीं होता है. देश से बाहर रह रहे जर्मन मतदाता भी वोट डाल सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि चुनाव से पहले वे एक लिखित आवेदन भेजकर वोटर्स रजिस्टर में अपना नाम दर्ज कराएं.
वोटिंग किस दिन हो सकती है, इसका भी नियम
जर्मनी में 'फेडरल इलेक्शन्स ऐक्ट' के सेक्शन 16 के तहत, मतदान केवल रविवार या सार्वजनिक छुट्टी के दिन ही हो सकता है. नियमों के तहत, बुंडेसटाग के चुनाव मुख्य त्योहारों के दौरान नहीं करवाए जा सकते हैं.
चांसलर का चुनाव कैसे होता है?
जर्मन मतदाता, बुंडेसटाग के सदस्यों का चुनाव करेंगे. फिर ये निर्वाचित प्रतिनिधि चांसलर को चुनेंगे. इस बार पांच प्रमुख दलों/समूहों ने चांसलर पद के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है, ये हैं: क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन (सीडीयू) और उसकी सहोदर पार्टी क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू), सोशल डेमोक्रैट्स (एसपीडी), ग्रीन्स, ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) और जारा वागनक्नेष्ट अलायंस (बीएसडब्ल्यू).
पार्टियों के चुनाव प्रदर्शन के आधार पर इनमें से किसी उम्मीदवार को सरकार बनाने की कोशिश करने का न्योता दिया जा सकता है. रिजल्ट से ही तय होगा कि वे खुद अपने बूते सरकार बनाते हैं, या फिर गठबंधन में. हालांकि, गठबंधन की भी संभावना अधिक है. प्रमुख सवाल होगा कि गठबंधन में कितने दल होंगे.
इन पांच दलों के अलावा भी पार्टियां हैं, जो चुनाव लड़ रही हैं. इनमें लेफ्ट धड़ा 'डी लिंके' और बिजनस समर्थक पार्टी एफडीपी शामिल हैं. इन्होंने चांसलर पद के लिए उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, यह सोचकर कि आगामी गठबंधन में मुख्य दल होने के लिहाज से वे काफी छोटे हैं.
आम चुनाव में दो वोट क्यों डालते हैं जर्मन वोटर?
दो वोटों की इस व्यवस्था में पहला वोट, मतदाता के निर्वाचन क्षेत्र से सीधे एक उम्मीदवार के चुनाव को जाता है. इसे "डायरेक्ट मैनडेट" कहते हैं. यह उम्मीदवार आमतौर पर किसी पार्टी का होता है. स्वतंत्र उम्मीदवार भी हिस्सा ले सकते हैं, लेकिन चुनाव में खड़े होने के लिए उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र के 200 मतदाताओं के हस्ताक्षर जमा करने होते हैं.
दूसरे मत (सेकंड वोट) के लिए मुकाबला राजनीतिक दलों के बीच होता है. यह वोट खासा अहम है. समूचे देश को मिलाकर उन्हें मिले सेकंड वोट का अनुपात तय करता है कि बुंडेसटाग में पार्टियों को कितनी सीटें मिलेंगी और कौन सा दल सबसे बड़ा बनेगा. संसद में सीट तय करने की ये दो वोटों की व्यवस्था जर्मनी की चुनावी व्यवस्था को अपेक्षाकृत जटिल बनाती है.
बुंडेसटाग में किसे मिल सकती है सीट?
जर्मनी में निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या 299 है. ये सीटें देश के सभी 16 राज्यों के बीच वितरित हैं. नॉर्थ-राइन वेस्टफालिया में सबसे ज्यादा आबादी है और इस राज्य में सबसे ज्यादा- 64 निर्वाचन क्षेत्र हैं. किसी निर्वाचन क्षेत्र में मैजॉरिटी फर्स्ट वोट्स (पहले वोट में बहुमत) पाने वाले उम्मीदवार, डायरेक्ट मैनडेट की राह सीधे बुंडेसटाग में पहुंच जाते हैं. बशर्ते, सेकेंड वोट में उनकी पार्टी को वोटों का पर्याप्त हिस्सा मिला हो.
बुंडेसटाग के कुल सदस्यों की संख्या इससे दोगुनी होती है. ऐसे में सभी राज्यों में पार्टी लिस्ट के भीतर अन्य उम्मीदवार जोड़े जाते हैं. सेकंड वोट में पार्टी के प्रदर्शन पर उनका चुनाव तय करता है. पार्टी लिस्ट में शीर्ष के आसपास जिन उम्मीदवारों का नाम होता है, उनके बुंडेसटाग में पहुंचने की संभावना अधिक होती है.
पार्टियों को बुंडेसटाग में जगह मिले, इसके लिए न्यूनतम पांच फीसदी वोटों का भी नियम है. संसद में सीट मिलने के लिए जरूरी है कि सेकंड वोट में पार्टियों को न्यूनतम पांच प्रतिशत वोट हासिल हों.
यह फिल्टर, राजनीतिक प्रतिनिधित्व को बहुत छोटे-छोटे हिस्सों में बंटने से बचाने के लिए है. बुंडेसटाग के बहुत सारे छोटे-छोटे समूहों में बंटने पर उसकी काम करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. हालांकि, राष्ट्रीय अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टियों को न्यूनतम पांच प्रतिशत वोटों के नियम से छूट मिलती है. इसके अलावा, पांच प्रतिशत के इस न्यूनतम निशान से कम रही पार्टियां भी संसद में जा सकती हैं अगर उन्हें कम-से-कम तीन निर्वाचन क्षेत्रों में डायरेक्ट मैनडेट मिल जाए.
एसएम/आरएस (डीपीए)