जर्मनी: विधानसभा चुनावों में एएफडी को मिलेगी सत्ता?
१७ अगस्त २०२५जर्मनी की धुर-दक्षिणपंथी पार्टी 'ऑल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड' (एएफडी) की पकड़ और मजबूत होती नजर आ रही है. जर्मनी में हुए एक हालिया सर्वे में करीब 68 फीसदी लोगों ने यह अनुमान जताया कि 2026 तक कई जर्मन राज्यों के नेतृत्व की बागडोर एएफडी के किसी नेता के हाथ में होगी. यह सर्वे जर्मन अखबार 'बिल्ड अम सोनटाग' के लिए इन्सा ओपिनियन रिसर्च इंस्टिट्यूट ने करवाया है.
एएफडी का बढ़ता प्रभाव
जर्मनी के कई राज्यों में 2026 में चुनाव होने हैं. जैसे राइनलैंड प्लाटिनेट, बाडेन वुर्टेमबर्ग, सैक्सनी अनहाल्ट और बर्लिन. सर्वे में शामिल 43 फीसदी लोगों ने अनुमान जताया कम-से-कम एक राज्य में एएफडी पार्टी से ही कोई मुख्यमंत्री बनेगा.
वहीं, करीब 25 फीसदी लोगों का मानना है कि आगामी चुनावों के बाद कई राज्यों के मुख्यमंत्री एएफडी से हो सकते हैं. सिर्फ 19 फीसदी लोगों की ही राय थी कि किसी भी राज्य में एएफडी को मुख्यमंत्री पद नहीं मिलेगा. वहीं, 13 फीसदी लोगों की इस मुद्दे पर कोई राय नहीं थी.
एएफडी के खिलाफ मौजूद फायरवॉल को हटाने के पक्ष में लोग
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से ही जर्मनी की सभी राजनीतिक पार्टियों में एक आम सहमति बनी थी कि किसी भी धुर-दक्षिणपंथी पार्टी को सत्ता में आने से रोका जाएगा. इसे 'फायरवॉल' कहा जाता था, जो एएफडी पर भी लागू है. साथ ही, यह दूसरी राजनीतिक पार्टियों को भी धुर-दक्षिणपंथी पार्टी के साथ काम करने से हतोत्साहित करता है.
हालांकि, इस सर्वे में शामिल करीब 40 फीसदी लोगों ने कहा कि वे फायरवॉल की अवधारणा का विरोध करते हैं. छह फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें इससे फर्क नहीं पड़ता और करीब सात फीसदी ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. सर्वे में मौजूदा जर्मन चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स की पार्टी का भी विरोध दिखा. 47 फीसदी लोगों ने कहा कि वे सीडीयू और सीएसयू का एएफडी के साथ मिलकर काम करने का विरोध करते हैं.
जर्मनी की खुफिया एजेंसी 'फेडरल ऑफिस फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ दी कॉन्स्टिट्यूशन' एएफडी को 'दक्षिणपंथी चरमपंथी' पार्टी करार दे चुकी है. एसपीडी समेत कई दूसरी राजनीतिक पार्टियां एएफडी पर प्रतिबंध लगाने की मांग करती रही हैं. बावजूद इसके जर्मनी में इस साल हुए राष्ट्रीय चुनावों में एएफडी का प्रदर्शन देखते हुए उसकी बढ़ती लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है. 20 फीसदी से अधिक वोटों के साथ एएफडी इन चुनावों में दूसरे नंबर पर रही थी.